- May 3, 2015
पं. लक्ष्मीनारायण द्विवेदी का महाप्रयाण – एक युग का अंत – डॉ. दीपक आचार्य
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बांसवाड़ा ही नहीं बल्कि राजस्थान और देश के ज्योतिष, धर्म-अध्यात्म जगत और सामाजिक सेवा के सरोेकारों के लिए रविवार का दिन एक युग के साथ समाप्त हो गया जब पं. लक्ष्मीनारायण द्विवेदी का महाप्रयाण हुआ।
जाने-माने ज्योर्तिविद, कर्मकाण्डी, दैवी साधक, कर्मचारी नेता, सामाजिक चिन्तक पं. लक्ष्मीनारायण द्विवेदी का रविवार 3 मई 2015 अपराह्न बांसवाड़ा में निधन हो गया। वे कुछ समय से बीमार चल रहे थे।
पं. लक्ष्मीनारायण द्विवेदी ऎसी गरिमामय हस्ती थे जो अपने अपने कई-कई किरदारों में जीये और मातृभूमि की सेवा में इतना कुछ किया कि आने वाली पीढ़ियाँ तक याद रखेंगी।
अपने बहुआयामी व्यक्तित्व, दैवीयकृपा के पात्र और निरन्तर कर्मयोग के प्रति समर्पण का उनका ज़ज़्बा ही था कि बांसवाड़ा जिले में छोटे से गांव तलवाड़ा से निकली इस प्रतिभा ने देश भर में अपने विलक्षण हुनर और कमाल के व्यक्तित्व का लोहा मनवाया और ख्याति अर्जित की।
सामाजिक सेवा, धार्मिक आध्यात्मिक जगत से लेकर प्राच्यविद्याओं के हर क्षेत्र में आधिकारिक दखल और आत्मीय एवं समर्पित भागीदारी का इतिहास रचने वाले पं. लक्ष्मीनारायण द्विवेदी अपने आप में दैवीय गुणों से सम्पन्न वो विलक्षण व्यक्तित्व थे जिन्होंने अंतिम साँस तक समाज के लिए काम किया और समाजसेवा के आदर्शों को साकार किया।
प्रदेश और देश भर में श्रेष्ठतम ज्योतिर्विद, दैव वाणी संस्कृत और प्राच्यसंस्कृति, ब्राह्मण समाज की उन्नति, धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक गतिविधियों के सूत्रधार, संघर्षशील नेता, राज्य कर्मचारी संगठनों के नेतृत्वकर्ता से लेकर समाज-जीवन के हरेक क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले पं. लक्ष्मीनारायण द्विवेदी ने इतना कुछ दिया कि जिसका बखान नहीं किया जा सकता।
दैवी साधना के मामले में उनका कोई सानी नहीं। त्रिपुर सुन्दरी मैया के अनन्य भक्त पं. द्विवेदी पर माँ की इतनी कृपा थी कि विजयश्री और आशातीत सफलता हमेशा उनके साथ रही और हर मोर्चे पर उन्होंने इतिहास रचा।
राष्ट्रीय ख्याति के ज्योर्तिविद पं. लक्ष्मीनारायण द्विवेदी ब्राह्मण समाज के उत्थान, ब्राह्मणों के संगठन को सुदृढ़ करने और ब्राह्मणों की सर्वांगीण उन्नति के लिए दशकों तक सर्मपित रहे।
कर्मचारी नेता के रूप में राजस्थान भर के राज्यर्कमियों में उनकी अलग ही पहचान थी। कई कर्मचारी आन्दोलनों का नेतृत्व करते हुए उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता और सामाजिक क्षेत्रों से संबंधित गतिविधियों में विशेषज्ञता का परिचय दिया।
देश के नामी संत-महात्माओं, राजनेताओं और विभूतियों से उनका निरन्तर सम्पर्क बना रहा। श्रेष्ठतम ज्योतिषी के रूप में उन्होंने सदैव आदर-सम्मान और श्रद्धा पायी।
सच्चे एवं नैष्ठिक दैवी उपासक पं. लक्ष्मीनारायण द्विवेदी त्रिपुर सुन्दरी के अनन्य भक्तों में से एक थे जिन्होंने दैवी उपासना के क्षेत्र में माँ त्रिपुर सुन्दरी के धाम पर रहकर अनेक सिद्धियाँ प्राप्त की।
बांसवाड़ा की इस महान विभूति ने अपने नैष्ठिक कर्मयोग और सामाजिक सरोकारों के प्रति समर्पण के बूते राजस्थान ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर दैदीप्यमान नक्षत्र के रूप में अपनी अमिट छवि कायम की।
उनके निधन से राजस्थान में प्राच्यविद्या, ज्योतिष, र्धामिक आध्यात्मिक एवं कर्मकाण्ड जगत से लेकर सामाजिक सेवा क्षेत्रों में बहुत बड़ा शून्य बन गया है जिसकी र्पूति कर पाना संभव नहीं है।
उनके देहावसान से बांसवाड़ा के धर्म-अध्यात्म , ज्योतिष एवं सामाजिक क्षेत्रों में शोक की लहर व्याप्त हो गई है।
पं. लक्ष्मीनारायण द्विवेदी का अवसान युगीन घटना है जिसे भुला पाना संभव नहीं है।
महान ज्योतिर्विद एवं सामाजिक चिन्तक पं. लक्ष्मीनारायण द्विवेदी के प्रति सच्ची श्रद्धान्जलि यही होगी कि हम प्राच्यसंस्कृति की रक्षा में उनके योगदान का स्मरण करते हुए अपनी समर्पित भागीदारी का संकल्प ग्रहण करें।