- March 10, 2015
न्यूनतम भूमि अधिग्रहण में कुछ संशोधनों पर विचार- श्री वेंकैया नायडू
नई दिल्ली – संसदीय मामलों के मंत्री श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा कि सरकार विपक्षी दलों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम भूमि अधिग्रहण सुनिश्चित करने के लिए कुछ और संशोधनों पर विचार करने की इच्छुक है। प्रस्तावित उचित मुआवजे का अधिकार और पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना में पारदर्शिता (संशोधन) विधेयक, 2015 पर आज लोकसभा में जारी बहस के दौरान हस्तक्षेप करते हुए श्री नायडू ने यह बात कही।
श्री नायडू ने कहा कि सरकार छूट प्राप्त श्रेणियों से सामाजिक ढांचागत परियोजनाओं को हटाने, विकास परियोजनाओं हेतु अधिग्रहण के लिए राज्यों द्वारा खाली पड़ी भूमि का लैंड बैंक बनाने के प्रस्ताव, भूमि गंवाने वालों की शिकायतों के निवारण के लिए परेशानी मुक्त व्यवस्था कायम करने, भूमि अधिग्रहण के चलते अपनी आजीविका गंवाने वालों को अनिवार्य रूप से रोजगार देने इत्यादि पर विचार कर सकती है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्री श्री बीरेंद्र चौधरी इस संबंध में आधिकारिक संशोधन पेश करेंगे।
श्री नायडू ने 40 मिनट के अपने हस्तक्षेप के दौरान जोर देते हुए कहा कि भूमि अधिग्रहण पर अध्यादेश लाने का सरकारी निर्णय एकतरफा नहीं था, बल्कि यह सभी राज्यों के सुझावों एवं विचारों पर आधारित था। इन सुझावों के जरिए राज्यों द्वारा सामूहिक रूप से यह इच्छा दर्शाई गई थी कि एक ऐसा कानून बने जिससे विकास बाधित न हो।
उन्होंने जून 2014 में सरकार द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में राज्यों द्वारा दिए गए सुझावों का विशेष रूप से जिक्र किया। उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री श्री पृथ्वीराज चव्हाण एवं पूर्व केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री आनंद शर्मा द्वारा लिखे गए पत्रों का भी उल्लेख किया जिनमें भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के प्रतिकूल नतीजों पर गंभीर चिंता जताई गई थी।
श्री नायडू ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के एवज में भूमि मालिकों को बाजार मूल्य का चार गुना मुआवजा देने के प्रस्ताव से कोई समझौता किए बगैर सरकार ने इस अधिनियम में कुछ संशोधनों का प्रस्ताव किया है, ताकि विकास का काम सुविधाजनक ढंग से हो सके। इनमें केवल पांच और श्रेणियां जोड़ी गई हैं। रक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा, बुनियादी ढांचा, गरीबों के लिए आवास एवं किफायती मकान, औद्योगिक कॉरीडोर इत्यादि इनमें शामिल हैं।