• January 9, 2023

नाबालिग का नाम और फोटो प्रकाशित करने के कारण मिड-डे अखबार को नोटिस: बॉम्बे हाई कोर्ट

नाबालिग का नाम और फोटो प्रकाशित करने के कारण  मिड-डे अखबार को नोटिस: बॉम्बे हाई कोर्ट

बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई स्थित अखबार मिड-डे को किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 74 का उल्लंघन करने के लिए नोटिस जारी किया। मिड-डे ने अपने लेख में बच्चे का नाम और फोटो प्रकाशित किया था। जिस नाबालिग के खिलाफ इस अदालत ने साइकिल चलाते हुए महिला को टक्कर मारने के आरोप में दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया था।

इस कोर्ट ने 9 साल के लड़के के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया था, जिसने गलती से साइकिल चलाते समय महिला को टक्कर मार दी थी। कोर्ट ने आईपीसी की धारा 83 के तहत प्रदान किए गए अपवाद के बावजूद प्राथमिकी दर्ज करने पर नाराजगी व्यक्त की। राज्य के लिए एपीपी ने अदालत को बताया कि प्राथमिकी दर्ज करने वाले सहायक पुलिस आयुक्त के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई थी। इसलिए, उन्होंने एपीपी को उक्त पूछताछ/की गई कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। उक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि लागत, जैसा कि इस न्यायालय द्वारा दिनांक 20 अक्टूबर 2022 के आदेश द्वारा निर्देशित किया गया है, याचिकाकर्ता को आज से एक सप्ताह के भीतर भुगतान किया जाएगा।

इस अदालत को आगे बताया गया कि संबंधित अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की जा चुकी है, जिसके बाद उक्त चूक के लिए जिम्मेदार संबंधित अधिकारी से लागत वसूल की जाएगी। उन्होंने कहा कि जांच तीन सप्ताह के भीतर समाप्त हो जाएगी, और मामला 20.12.22 के लिए रखा गया था।

प्रतिवादी की दलीलें:
प्रतिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने 20.12.22 को न्यायालय के संज्ञान में लाया था कि 20 अक्टूबर, 2022 के आदेश के अनुसार मिड-डे द्वारा प्रकाशित एक लेख में पार्टियों के नाम और फोटो प्रकाशित किए गए थे। उन्होंने प्रस्तुत किया कि मिड-डे द्वारा नाबालिग के नाम के साथ-साथ फोटो का प्रकाशन स्पष्ट रूप से किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 74 के उल्लंघन में है। यह धारा किसी भी बच्चे के नाम को प्रकाशित करने पर रोक लगाती है। जो कानून के खिलाफ है।

न्यायालय का अवलोकन
इस कोर्ट ने 20.12.22 को इस तथ्य के संबंध में नोटिस जारी करना उचित समझा कि मिड-डे ने बच्चे का नाम और फोटो प्रकाशित किया था। मिड-डे की यह कार्रवाई किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 74 के उल्लंघन में पाई गई थी। उक्त लेख के लेखक शिरीष वक्तानिया, मिड के प्रकाशक और संपादक को नोटिस जारी किए गए थे। -डे, पूछ रहे हैं कि उनके खिलाफ स्वत: कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए। नोटिसों को 01.02.2023 को वापसी योग्य बनाया गया था।

कोर्ट का फैसला:
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मिड-डे के लेखक, प्रकाशक और संपादक को अपने लेख में नाबालिग का नाम और फोटो प्रकाशित करने के लिए नोटिस जारी किया।

मामला: एबीसी बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य।
कोरम: माननीय न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज के. चव्हाण
केस नं.: आपराधिक रिट याचिका सं. 2022 का 3062
याचिकाकर्ता के वकील: श्री श्रवण गिरी

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