नागालैंड ग्रामीणों का मुख्य स्रोत– काॅटन कृषि

नागालैंड ग्रामीणों का मुख्य स्रोत– काॅटन कृषि

(हिदी अंश -नागालैंड पोस्ट से)—-नागालैंड की मिटटी और जलवायु की स्थिति काॅटन कृषि के लिए उपयुक्त है। अनैतिक रूप् से नागा शुरू से ही काॅटन कृषि से संबंद्ध रहे हैं। काॅटन कातने और बुनने में नागा दक्ष है। काॅटन से विभिन्न डिजाईन तैयार की जाती है। जबकि वर्तमान समय बदल गया है।

लोगों का झूकाव बाजार में उपलब्ध आसान और आधुनिक पोशाक की ओर हुआ है जिसके कारण राज्य के काॅटन उत्पादन की लोकप्रियता में गिरावट आई है। फिर भी राज्य के कुछ देहाती क्षेत्र में काॅटन काफी प्रचलित है ।

70कि0मी0 टयूनसांग शहर से दूर टयूनसांग जिला में नोकलाॅक प्रखंड के पैथोस गाॅव है। इस गाॅव का आमदनी के मुख्य स्रोत आज भी कृषि तथा अंशतः पालतू पशु है। आज भी काॅटन-कृषि गाॅव और गाॅव से लगने वाले क्षेत्र में आय के मुख्य स्रोत है।

गाॅव के स्कूलों में काॅटन फर्मिंग,प्रबंधन ऐजेंसी,कृषि तकनीकी महिलाओं की आर्थिक उन्नति के साधन है। काॅटन उत्पादकों को प्रशिक्षण देने के लिए स्कूल खोला गया। आत्मा की सहायता से काॅटन उत्पादकों को कच्चा काॅटन की बृद्धि करने में काफी सहायता मिली। कताई और बुनाई में भी वृद्धि हुई। स्वयं सहायता समूह के महिलाओं ने विभिन्न तरह की डिजाईने और पोशाक तैयार करने लगीं जिसके कारण गाॅववासी ही नहीें, गाॅव के बाहर भी बिक्री होने लगी।

मुख्य आकर्षण का केन्द्र उनके बढिया और दक्षपूर्ण परिषकरण के साथ अतिआकर्षक डिजाईने हैं। वे स्थानीय उपलब्ध रंगों का उपयोग करते हैं। महिलाओं की यह प्रारंभिक शुरूआत आमदनी के साथ-साथ दिन प्रतिदिन लोकप्रियता हासिल कर रही है।

——-कुनोटो वाई चिशी, डीपीडी आत्मा टयूनसांग

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