धरती के गिरते भूजल को रिचार्ज की आवश्यकता -राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा0 महेन्द्र सिंह

धरती  के  गिरते  भूजल  को  रिचार्ज की आवश्यकता -राज्यमंत्री  (स्वतंत्र प्रभार) डा0  महेन्द्र  सिंह

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के ग्राम्य विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा0 महेन्द्र सिंह ने कहा है कि धरती के गिरते भूजल को रिचार्ज करने के लिए पुराने कुओं, तालाबों तथा परम्परागत जल स्रोतों का जीर्णोद्धार किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत पुराने कुओं तथा तालाबों का जीर्णोद्धार करके उनके किनारे पीपल, पाकड़, जामुन, बरगद आदि के पौधे लगाने के निर्देश दिए गए हैं जिससे भूगर्भ जल रिचार्ज होता रहे।

उन्होंने कहा कि भविष्य के आसन्न जल संकट को देखते हुए ग्राम्य विकास विभाग के अधीन जो भी भवन एवं अन्य निर्माण कार्य कराए जाएंगे उनमें वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का प्राविधान
अनिवार्य रुप से किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।

ग्राम्य विकास मंत्री आज इंदिरा गाँधी प्रतिष्ठान में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप पेयजल आपूर्ति हेतु प्रस्तावित संचालन एवं अनुरक्षण नीति-2018 पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। इस कार्यशाला में प्रदेश के समस्त जनपदों से आए ग्राम प्रधान, विकासखण्ड अधिकारियों, क्षेत्र प्रचायत अध्यक्षों, जल निगम के अधिकारियों तथा विश्व बैंक एवं दूसरे राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

डा0 महेन्द्र सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में नदियों का जाल फैला हुआ है और पर्याप्त जल सम्पदा भी है, इसका समुचित सदुपयोग एवं संरक्षण करने की जरुरत है। भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। इसके साथ ही ग्रामीण अंचलों में आम जनता को निरन्तर एवं भरपूर शुुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है। गा्र मीण क्षेत्रों में 2,60,110 बसावटें है।

सभी क्षेत्रों तथा बुन्दलेखण्ड जैसे कुछ क्षेत्रों में पेयजल की समस्या है इसको दूर करने के लिए मौजूदा सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप के माध्यम से शुद्ध पेयजल आपूर्ति करने के लिए एक नीति तैयार की जा रही है।

ग्राम्य विकास मंत्री ने कहा कि संचालित पेयजल परियोजनाओं तथा भविष्य में निर्मित होने वाली योजनाओं का संरक्षण जरुरी है। बिना जनता की भागीदारी के यह योजनाएं सफल नहीं हो सकती। इसीलिए जनता को बूंद-बूंद जल के संरक्षण तथा योजनाओं को अपनी योजना समझकर इसकी देख-रेख करने के लिए जागरुकता जरुरी है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में नलकूपों को सौर ऊर्जा से संचालित किया जाएगा।

इसके साथ ही पेयजल आपूर्ति संबंधी परियोजनाओं के रखरखाव, आपरेटर के लिए वेतन आदि के लिए यूजर चार्जेज भी लगाया जाएगा। ग्राम्य विकास मंत्री ने आम जनता से अपील किया कि शहरों की भांति ग्रामीण क्षेत्रों में जल का उपयोग करने के बदले यूजर चार्जेज देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पेयजल योजनाओं में आमजनता की सहभागिता जरुरी है। गुजरात में भागीरथी पाइप पेयजल योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रोें में पेयजल आपूर्ति की जा रही है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में भी पाइप के माध्यम से शुद्ध पेयजल सप्लाई करने के लिए नीति प्रस्तावित की गई है।

ग्राम्य विकास मंत्री ने लोगों से अपील किया कि पुराने कुओं को बंद न करें उनका संरक्षण करके उपयोग में लाए क्योंकि इसी के माध्यम से भूजल रिचार्ज होता है। उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग के अधिकारी आपस में बेहतर समन्वय करके पाइप पेयजल योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कराएं। उन्होंने कहा कि जब लोगों को शुद्ध पेयजल के प्रति भरोसा कायम होगा तभी लोग यजूर चार्जेज भी देंगे।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल मिलने से पानी से होने वाली तमाम बीमारियां स्वतः नियंत्रित हो जाएंगी।

ग्राम्य विकास मंत्री ने कहा कि इस कार्यशाला में सभी प्रतिभागियों तथा विशेषज्ञों के सुझाव को प्रस्तावित नीति में शामिल करके एक व्यवहारिक तथा कारगर नीति तैयार की जाएगी, जिसे सफलता पूर्वक लागू किया जा सके। उन्होंने नीति तैयार करने के लिए विभागीय अधिकारियों की सराहना की।

इसके पूर्व प्रस्तावित नीति पर अपने विचार रखते हुए जल निगम के अध्यक्ष श्री जी. पटनायक ने कहा कि पेयजल आपूर्ति में निजी क्षेत्र को भी शामिल किया जाना चाहिए। प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास श्री अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में 4500 से अधिक पेयजल योजनाएं संचालित की जा रही है। इसके रखरखाव तथा अनुरक्षण के लिए जनता को यूजर चार्जेज देना चाहिए, जिससे इस योजनाओं का क्रियान्वयन सफलता पूर्वक किया जा सके। उन्होंने लाभार्थियों के अंशदान पर जोर दिया।

ग्राम्य विकाय आयुक्त श्री एन.पी. सिंह ने सुझाव देते हुए कहा कि पेयजल योजनाओं के क्रियान्वयन, अनुरक्षण में लाभार्थियों की वित्तीय सहभागिता सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि स्थानीय समुदाय को आभास हो की यह परियोजनाएं उनकी हैं तभी यह नीति सफल होगी। जिलाधिकारी देवरिया श्री अमित किशोर ने कहा कि जेई/एईएस से प्रभावित जनपदों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति से इस बीमारी का प्रकोप कम होगा।

निदेशक पंचायतीराज श्री मासूम अली सरवर ने कहा कि इस नीति मंे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।

ग्राम पंचायतों को डब्ल्यू.एस.एस.ओ. के निदेशक श्री आर.एन. त्रिपाठी ने जल संरक्षण के लिए स्वामित्व की भावना पैदा करने पर जोर देते हुए कहा कि जो भी संसाधन सृजित हों उनके प्रति आम जनता में अपनत्व की भावना पैदा करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। पुरातन स्रोतों को पुनर्जीवित करते हुए अनुरक्षण एवं संरक्षण किया जाना चाहिए। श्रीमती सीमा कुमार ने कहा कि जल संरक्षण एवं इस नीति के क्रियान्वयन के लिए ग्रामीण अंचल की महिलाओं को भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

कार्यक्रम के अंत में अधिशासी निदेशक राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन श्री सुरेन्द्र राम ने अतिथियों के प्रति आभार ज्ञापित किया।

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