• May 12, 2016

देश में पहली बार पैरी-अर्बन एग्रीकल्चर की अवधारणा :- कृषि मंत्री श्री ओम प्रकाश धनखड़

देश में पहली बार पैरी-अर्बन एग्रीकल्चर की अवधारणा :- कृषि मंत्री श्री ओम प्रकाश धनखड़

चंडीगढ़ —- हरियाणा के कृषि मंत्री श्री ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने तथा दिल्ली के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लोगों की मांग को ध्यान में रखते हुए हरियाणा ने देश में पहली बार पैरी-अर्बन एग्रीकल्चर की अवधारणा को साकार रूप देने की पहल की है और आगामी 10 वर्षों में प्रदेश के कृषि योग्य कुल 36 लाख हैक्टेयर भूमि के एक चौथाई हिस्से को बागवानी फसलों के अधीन लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

श्री धनखड़ ने यह जानकारी आज यहां एक पत्रकार सम्मेलन को सम्बोंधित करते हुए दी। उन्होंने कहा कि इस कड़ी 11 मई, 2016 केंद्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह के साथ बड़ी बैठक की जा रही है, जिसमें मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के अलावा कृषि से जुड़े सहकारिता, पशुपालन, बागवानी, कृषि विपणन बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी भाग लेंगे। कृषि मंत्री ने कहा कि चीन के बीजिंग शहर की तर्ज पर पैरी-अर्बन एग्रीकल्चर को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे एनसीआर क्षेत्र की दूध, डेयरी, सब्जी, फल, फूल तथा पोल्ट्री उत्पादों की मांग पूरी हो सकेगी।

उन्होंने कहा कि अन्य खाद्यान्नों को तो देश के अन्य प्रांतों से मंगाया जा सकता है। परन्तु प्रतिदिन की आवश्यकता वाले उत्पादों को बाहर के राज्यों से मंगवाना में असुविधा होती है और यह मंहगा भी पड़ता है। उन्होंने कहा कि हरियाणा का किसान सक्षम किसान है और पैरी-अर्बन एग्रीकल्चर के लिए परम्पागत फसलों के मुकाबले अधिक पूंजी की आवश्यकता होगी और बैठक के दौरान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड व केंद्रीय कृषि मंत्रालय के समक्ष इसके लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाने की मांग की जाएगी।

उन्होंने कहा कि भौगोलिक दृष्टि से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के तीन ओर से हरियाणा सटा है और इसके किसी भी भाग से चार से पांच घंटे के सफर से दिल्ली पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि पैरी-अर्बन एग्रीकल्चर के लिए संरक्षित खेती पॉली हाऊस, टिकाऊ बाजार, फसल प्रबंधन, फसल प्रबंधन विपणन प्रणाली के लिए एक सुनियोजित व्यवस्था खड़ी करने की आवश्यकता है। कृषि मंत्री ने कहा कि ई-मंडी की अवधारणा को भी इससे जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा में 36 लाख हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि है तथा इसमें से बागवानी फसलों के अधीन केवल 4.9 लाख हैक्टेयर भूमि आती है।

आगामी 10 वर्षों में बागवानी के अधीन फसलों को दोगुना करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि सभी विभागों को वर्ष दर वर्ष अपनी योजनाएं व लक्ष्य निर्धारित करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म व टपकन सिंचाई प्रणाली को बढ़ावा दिया जाएगा और इस प्रणाली को अपनाने के लिए किसानों के लिए प्रेरित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग का लक्ष्य दिल्ली व एनसीआर क्षेत्र के चार करोड़ जनसंख्या वाले बाजार में पैरी-अर्बन एग्रीकल्चर के माध्यम से अपनी पहुंच बढ़ाना है।

वर्तमान में दिल्ली को सब्जियंा व फलों के लिए बंगाल, उत्तराखंड, महाराष्ट्र तथा पोल्ट्री उत्पादों के लिए आंध्र प्रदेश पर निर्भर रहना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सोनीपत जिले में खुंभ उत्पादकता पर विशेष जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि गन्नौर में स्थापित की जा रही अन्तरराष्ट्रीय फल व सब्जी मंडी के लिए स्पेशप पर्पज व्हीकल का गठन किया गया है और इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है। यह मंडी भारत की सबसे बड़ी आधुनिकतम मंडी होगी।

उन्होंने बताया कि खेती व टिकाऊ बाजार आज जरूरत बन गया है और इस विषय पर गत दिनों मिस्त्र में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का भी आयोजन किया गया जिसमें यह निष्कर्ष निकलकर आया कि क्लाईमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर की अवधारणा को बढ़ाया दिया जाना चाहिए।

इस अवसर पर कृषि विभाग के निदेशक श्री भूपेन्द्र सिंह, पशुपालन विभाग के महानिदेशक डॉ. जी.एस.जाखड़, मत्स्य विभाग के महानिदेशक श्री आर.एस.सांगवान के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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