• November 30, 2020

दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर लगाई धारा-288 : केंद्र सरकार के वार्ता प्रस्ताव खारिज

दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर लगाई धारा-288 : केंद्र सरकार के वार्ता  प्रस्ताव  खारिज

नई दिल्ली – केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और राजस्थान समेत दर्जनभर राज्यों के किसानों का आंदोलन लगातार 5वें दिन भी जारी है। सोमवार को किसानों ने यूपी गेट पर चेतावनी का बैनर लगा दिया।

किसान यूनियन की धारा 288 लगाई गई है। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि पुलिस ने धारा 144 लगाकर हमें प्रतिबंधित करने की कोशिश की है, तो हमने धारा 288 लगाकर उन्हें प्रतिबंधित कर दिया है। अब हम उनकी सीमा में नहीं जाएंगे और उन्हें अपनी सीमा में नहीं आने देंगे।

दिल्ली-यूपी गेट पर धीरे-धीरे किसानों का जमावड़ा बढ़ने लगा है। सोमवार को यूपी गेट पर आंदोलन कर रहे किसानों ने अब तक दो बार दिल्ली पुलिस का बैरिकेड तोड़ा है। इससे पहले रविवार को पांच बार बैरिकेड तोड़ा था। इसके चलते पुलिस ने अब बैरिकेड के पास पर बड़े-बड़े पत्थर रख दिए हैं, जिससे किसान इसे तोड़ नहीं सकें।

एक मेडिकल टीम भी सिंघु बॉर्डर पर तैनात कर दी है और यहां पर मेडिकल कैंप लगाया गया है। यहां पर प्रदर्शनकारियों की जांच-पड़ताल की जा रही है। मेडिकल टीम में शामिल डॉक्टर का कहना है कि हमें यहां COVID-19 टेस्ट आयोजित करना चाहिए। अगर सुपर स्प्रेडर की कोई संभावना है, तो बीमारी अन्य लोगों में फैल सकती है, जो विनाशकारी होगा।

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर कहा है कि देशभर में मंडियां समाप्त नहीं होंगी, बल्कि चलती रहेंगीं। उन्होंने ट्ववीट किया है- ‘नए कृषि कानून APMC मंडियों को समाप्त नहीं करते हैं। मंडियां पहले की तरह ही चलती रहेंगी। नए कानून ने किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आज़ादी दी है। जो भी किसानों को सबसे अच्छा दाम देगा वो फसल खरीद पायेगा चाहे वो मंडी में हो या मंडी के बाहर।

सिंघु के साथ टिकरी और दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर भी किसानों ने मोर्चा मोर्चा संभाल लिया है। इस बीच दिल्ली पुलिस ने बताया है कि सिंधु और टीकरी बॉर्डर पर सभी तरह का यातायात आवागन पूरी तरह से रोक दिया गया है।

यह भी जानकारी मिली है कि हरियाणा व पंजाब के किसानों ने रविवार को हरियाणा से सटे गांवों के रास्ते दिल्ली में प्रवेश कर लिया। दिल्ली में प्रवेश करने के बाद वे सिंघु बॉर्डर पर ही रुक गए। रविवार शाम एक ओर किसान प्रदर्शन कर रहे थे और पुलिस दूसरी तरफ तैनात थी। उसी समय पंजाब के अमृतसर से आया किसानों का जत्था सोनीपत से होते हुए हरियाणा की सीमा से सटे दिल्ली के गांवों में घुस गया। ट्रैक्टरों का यह बेड़ा इतनी आसानी से दिल्ली में प्रवेश कर गया कि किसी को इसकी भनक भी नहीं लगी। दिल्ली पुलिस के उच्च अधिकारी किसानों से बार-बार बुराड़ी के संत निरंकारी मैदान में जाने की अपील करते रहे, लेकिन किसानों ने पुलिस की एक न मानी और वहीं पर डेरा डाल दिया और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।

केंद्र सरकार पर तीनों कृषि कानूनों का वापस लेने के लिए दबाव बनाने के लिए दिल्ली को किसानों ने 3 ओर से घेर लिया है। आलम यह है कि हरियाणा से सटे सिंघु और टिकरी बॉर्डर के साथ यूपी गेट पर उत्तर प्रदेश के किसान भारी संख्या में डेरा डाले हुए हैं। यूपी गेट पर सोमवार सुबह से किसानों ने आंदोलन तेज कर दिया है। यूपी गेट पर भी सैकड़ों किसान रविवार रात भर जमा रहे और सोमवार सुबह की शुरुआत उन्होंने चाय पीने के साथ की।

रविार को भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी पंजाब के अध्यक्ष सुरजीत सिंह फुल की अध्यक्षता में सोनीपत में 30 किसान संगठनों की बैठक में केंद्र सरकार के वार्ता के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया, जिसमें बुराड़ी में प्रदर्शन की बात कही गई थी।

रविवार शाम को दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर आयोजित पत्रकार वार्ता में सुरजीत सिंह फुल ने कहा कि किसान बाहरी दिल्ली के बुराड़ी स्थित संत निरंकारी मैदान में नहीं जाएंगे। इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसान दिल्ली को चारों तरफ से घेरकर केंद्र को मांगें पूरा करने को विवश कर देंगे। किसान चार महीने का राशन साथ लेकर आए हैं। जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती, वे लोग धरना देते रहेंगे।

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