ताप ऊर्जा के संरक्षण विधि— पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान,भारत सरकार

ताप ऊर्जा के संरक्षण विधि—  पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान,भारत सरकार

नई दिल्ली ———– सामान्य नियमित ऊर्जा ऑडिट करें. तेल का रिसाव रोकें. प्रति सेकंड एक बूँद रिसाव से प्रति वर्ष 2000 लीटर तेल का नुकसान होता है। तेल को विभिन्न चरणों में फिल्टर करें. तेल में अशुद्धियों से उसके जलने पर प्रभाव पड़ता है। तेल को पहले गर्म करें. उचित ढंग से जलने के लिए, बर्नर की सिरे पर तेल की चिपचिपापन सही होनी चाहिए। पहले पर्याप्त गर्म क्षमता प्रदान करें।
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अपूर्ण रूप से जलने से ईंधन की बरबादी होती है। चिमनी से निकलने वाले धुएँ का रंग देखें। काला धुआँ अपूर्ण रूप से जलना और ईंधन की बरबादी का सूचक है। सफेद धुएँ का अर्थ है अधिक हवा और परिणामस्वरूप ऊष्मा का नुकसान। हल्का भूरा धुआँ तेल के उचित रूप से जलने का द्योतक है।
कम वायु दाब वाले ”फिल्म बर्नर्स” के उपयोग से भट्टियों में 15% तक तेल की बचत होती है.

भट्टी — दहन वायु को प्री-हीट करने के लिए भट्टी से अपशिष्ट ऊष्मा पुनर्प्राप्त करें और उसका उपयोग करें। दहन वायु के तापमान में प्रत्येक 21° से. की वृद्धि से ईंधन तेल की 1% बचत होती है. भट्टियों में अतिरिक्त वायु को नियंत्रित करें। वायु की मात्रा में अतिरिक्त 10% की कमी से भट्टियों में तेल की 1% बचत होती है।

फर्नेस ऑयल की 3000 केएल की वार्षिक खपत के लिए यह 7.5 लाख रुपये की बचत है। (भट्ठी तेल की लागत – प्रति लीटर 25/- रूपये प्रति लीटर)। भट्टियों के खुले भाग से ऊष्मा क्षय रोकें। प्रेक्षण से पता चलता है कि 1000° से. तापमान वाली किसी भट्टी के खुले दरवाज़े (1500 मिमी x 750 मिमी) से ईंधन का 10 ली./घंटा नुकसान होता है. भट्टी के 4000 घंटों तक जलने पर यह लगभग 4 लाख रु. प्रति वर्ष नुकसान होता है।

यदि यदि सतह का तापमान आसपास के वातावरण से 20° से. से अधिक हो जाए तो तापरोधन को बेहतर बनाएँ। अध्ययनों से पता चला है कि 650° से. पर 115 मिमी. मोटी दीवार से होने वाले 2650 Kcal/m2/hr ऊष्मा क्षय को 115 मिमी. की दीवार पर 65 मिमी. तापरोधक का उपयोग करके 850 Kcal/m2/hr तक लाया जा सकता है। गलन भट्टियों के ढक्कनों की सही डिजाइन और ऑपरेटर्स को ढक्कन बंद करने के उचित प्रशिक्षण से ढलाई कारखानों में नुकसान 10-20% तक कम हो सकता है।
बॉयलर गैस का तापमान सामान्य से 40° से. अधिक हो जाने पर सूट निक्षेप हटाएँ। ताप अंतरण सतह पर सूट की 3 मिमी. की परत से ईंधन की खपत में 2.5% की वृद्धि हो सकती है। भाप संघनित्र से ताप पुनर्प्राप्त करना। संघनन से पुर्नप्राप्ति के लिए बॉयलर फीड के जल के तापमान में प्रत्येक 6° से. की वृद्धि से ईंधन की 1% बचत होती है। बॉयलर की क्षमता बढ़ाएँ। फ्ल्यू गैस के नुकसान, अपूर्ण रूप से जलने, ब्लो डाउन नुकसान, अत्यधिक वायु आदि के लिए बॉयलर्स की जाँच होनी चाहिए। इसके उचित नियंत्रण से खपत को 20% तक कम किया जा सकता है। बॉयलर्स में केवल उपचारित जल का उपयोग करें। जल की और 1 मिमी. मोटाई के जमाव से ईंधन की खपत 5-8% बढ़ जाएगी।

भाप का लीकेज रोकें। 7kg/cm2 की दर पर भाप ले जाने वाली पाइपलाइन में 3 मिमी. का छेद प्रति वर्ष 32 कि.ली. ईंधन तेल यानि ३ लाख रु. का नुकसान होगा। भाप के पाइप का तापरोधन ठीक रखें। यह अनुमान लगाया गया है कि 150मिमी. व्यास और 100मिमी. लंबाई वाला एक बिना तापरोधन वाला भाप का पाइप, जिसमें भाप का दाब 8 kg/cm2 रहता हो, एक वर्ष में 6.25 लाख रु. के 25 कि.ली. भट्टी के तेल का नुकसान करेगा।

डीजी सेट
डीजल इंजिन के नियमित रखरखाव का ध्यान रखें।
बिना रखरखाव का इंजेक्शन पंप ईंधन की खपत को 4Gms/KWH बढ़ा देता है।
एक खराब नोजल, ईंधन की खपत को 2Gms/KWH बढ़ा देता है।
अवरुद्ध फिल्टर, ईंधन की खपत को 2Gms/KWH बढ़ा देते हैं।
एक लगातार चल रहा डीजी सेट जनरेटर की प्रति MW क्षमता पर इंजिन के एक्सहॉस्ट के निक्षेपित ताप से 10 से 12 बार पर 0.5 टन/घंटा भाप बना सकता है।
बनने वाली बिजली के प्रति KWH के लिए ईंधन की खपत को लगातार जाँचते रहें। यदि इसमें वृद्धि होती दिखाई दे, तो उसका उपचार करें।

विद्युत ऊर्जा के संरक्षण के सामान्य———–KVA डिमांड चार्ज और प्लांट के भीतर लाइन से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए संधारित्र लगाकर पावर फैक्टर सुधारें।
पावर फैक्टर का 0.85 से बढक़र 0.96 हो जाना उच्चतम KVA में 11.5% और उच्चतम दाब पर नुकसान में 21.6% कमी लाएगा। इसका अर्थ है 0.8 के लोड फैक्टर पर औसत नुकसान में 14.5% की कमी।

मोटर्स को बार-बार रिवाइंड करने से बचें। प्रेक्षणों से पता चलता है कि रिवाइंड की गई मोटर्स की क्षमता 5% तक कम हो जाती है। यह मुख्यतया बिना लोड के नुकसान में होने वाली वृद्धि से होता है। इसलिए ऐसी रिवाइंड की हुई मोटर्स को केवल लो ड्‌यूटी सायकल एप्लीकेशंस पर उपयोग करें।
परिवर्तनीय गति के उपयोगों, जैसे पंखों, पंप्स आदि के लिए वेरिएबल फ्रीक्वेंसी ड्राइवर्स, स्लिप पावर रिकवरी सिस्टम्स और फ्लुइड कपलिंग्स का उपयोग करें।

रोशनी पारंपरिक चोक के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक बैलास्ट का उपयोग 20% तक ऊर्जा बचाता है। एलएस लैंप के स्थान पर सीएफएल लेंप का उपयोग 70% तक ऊर्जा बचा सकता है।
लैंप्स और पुर्जों को नियमित रूप से साफ करें। धूल जमा होने से रोशनी 20-30% तक कम हो सकती है।

40W के स्थान पर 36W की ट्‌यूबलाइट का उपयोग 8 से 10% तक बिजली बचा सकता है।
बड़े क्षेत्रों में रोशनी के लिए मरकरी वेपर लैंप्स के स्थान पर सोडियम वेपर लैंपों का उपयोग करने से 40% तक बिजली बचायी जा सकती है.

संपीड़ित पीड़ित वायु— संपीड़ित वायु बहुत ऊर्जा संवेदी होती है। विद्युत ऊर्जा का केवल 5% उपयोगी ऊर्जा में बदलता है। सफाई के लिए संपीड़ित वायु का उपयोग बहुत कम बार उपयोगी रहता है। अंदर आने वाली वायु का कम तापमान सुनिश्चित करें। अंदर आने वाली वायु के तापमान में 3° से. की वृद्धि बिजली की खपत को 1% बढ़ा देती है.

यह देखा जाना चाहिए कि क्या प्रक्रिया के लिए कम तापमान की वायु का उपयोग किया जा सकता है। डिस्चार्ज दाब में 10% की कमी से 5% तक ऊर्जा की बचत होती है। 7kg/cm2 के दाब पर वायु के पाइप में 1/2 व्यास के छेद से होने वाला लीकेज प्रतिदिन लगभग 2500/- रु. का नुकसान कर सकता है। विद्युत के प्रति यूनिट इनपुट के लिए कम्प्रेसर्स का एयर आउटपुट नियमित अंतरालों पर नापा जाना चाहिए। कम्प्रेसर्स की क्षमता समय के साथ कम होती जाती है।

रेफ्रिजरेशन और एयर कंडिशनिंग दोहरे दरवाजों, स्वचालित डोअर क्लोजर, एयर कर्टेन्स, डबल ग्लेज्ड विंडोज, पॉलिस्टर सन फिल्म्स आदि का उपयोग अंदर के ताप को बढऩे और बिल्डिंग्स की एयर कंडिशनिंग पर बोझ कम करता है।

ताप के उचित हस्तांतरण के लिए कंडेंसर्स का रख-रखाव करें। इवेपोरेटर के तापमान में 5°से. की कमी विद्युत की खपत को 15% बढ़ा देती है। एयर-कंडिशंड/रेफ्रिजरेटेड स्थान का उपयोग जाँचकर ठंडा करने में होने वाले बिजली के खर्च में अधिकतम कटौती की जानी चाहिए।

अतिरिक्त भाप या फ्ल्यू गैसेज के ताप को गैस कंप्रेशन प्रणाली के प्रयोग के बजाय एबसॉर्पशन चिलिंग प्रणाली में बदलने में उपयोग करें और ऊर्जा पर होने वाले व्यय को 50-70% तक कम करें।
कंप्रेसर्स की विद्युत खपत को नियमित अंतरालों पर नापा जाना चाहिए।

सबसे अच्छे कंप्रेसर्स को निरंतर काम में लाया जाना चाहिए और अन्य को स्थानापन्न के तौर पर रखा जाना चाहिए। कूलिंग टावर एल्यूमीनियम या फैब्रिकेटेड स्टील के अक्षम पंखों को मोल्डेड एयरोफॉइल डिज़ाइन वाले एफआरपी पंखों से बदलने पर विद्युत की 15-0% बचत होती है।

20 फीट व्यास के एक पंखे पर अध्ययन से पता लगा कि लकड़ी की ब्लेड के ड्रिफ्ट एलिमिनेटर्स को सेल्युलर पीवीसी के बने ड्रिफ्ट एलिमिनेटर्स के बदलने से ड्रिफ्ट के नुकसान को 0.01-0.02% कम करता है जिससे पंखे में लगने वाली ऊर्जा की 10% बचत होती है. कूलिंग टावर के पंखों में स्वचालित ऑन-ऑफ स्विचिंग स्थापित करें और बिजली पर होने वाले व्यय को 40% तक कम करें। लकड़ी लकड़ी के लट्ठों के स्थान पर पीवीसी का भराव पंपिंग पावर में 20% तक की बचत कराता है।

पंप — पम्पों के गलत चयन से ऊर्जा का काफी अपव्यय हो सकता है। बहाव की किसी चिन्हित दर पर 85% क्षमता वाले पंप की क्षमता उससे आधे बहाव पर केवल 65% हो सकती है। वेरिएबल स्पीड वॉल्व्ज के स्थान पर थ्रॉटलिंग वॉल्व्ज का उपयोग अनुचित है। थ्रॉटलिंग से पावर का 50 से 60% तक नुकसान हो सकता है।

कम लोड पर एक बड़ा पंप चलाने के बजाय कई पंप्स को श्रेणी और समांतर रूप से लगाकर ऑपरेटिंग कंडिशंस में बदलाव से निपटने के लिए उन्हें चालू या बंद करना अच्छा है। पम्पों और मोटर्स के बीच ड्राइव ट्रांस्मिशन बहुत महत्वपूर्ण है। ढीले बेल्ट ऊर्जा का 1-20% तक नुकसान कर सकते हैं।

परंपरागत वी-बेल्ट्‌स के स्थान पर आधुनिक सिंथेटिक फ्लैट बेल्ट्‌स का उपयोग 5% से 10% ऊर्जा बचा सकता है। ठीक तरह से किया गया रखरखाव बहुत महत्वपूर्ण है। ठीक रखरखाव न होने की दशा में पुराने पम्पों की क्षमता 10-15% तक कम हो सकती है।

प्रोत्साहन योजनाएँ ऊर्जा लेखा परीक्षक पैनल योजना– इन के अलावा, पीसीआरए ऊर्जा आडिट, ईंधन तेल नैदानिक अध्ययन, लघु उद्योगों में अध्ययन, अनुवर्ती, तकनीकी बैठकों, उपभोक्ता बैठकों, सेमिनारों, संस्थागत प्रशिक्षण कार्यक्रमों, कार्यशालाओं, क्लिनिकों का आयोजन कर एक्शन ग्रुप की बैठकों और पेट्रोलियम उत्पादों के संरक्षण पर प्रदर्शनियों में मदद करता है।

(स्रोत: पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान)

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