• January 3, 2016

तरक्की की राह पर उदयपुर डेयरी : – डॉ. दीपक आचार्य उप निदेशक

तरक्की की राह पर उदयपुर डेयरी : – डॉ. दीपक आचार्य  उप निदेशक

सू०ज०वि०(उदयपुर) –कृषि एवं पशुपालन व्यवसाय प्रधान मेवाड़ अंचल में दुग्ध व्यवसाय के माध्यम से सामाजिक एवं आर्थिक विकास की धाराओं को तीव्रतर करने के बहुमुखी प्रयास आकार ले रहे हैं।

Udaipur Dairy (4)इस मामले में उदयपुर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लि.,उदयपुर अपनी निरन्तर प्रगतिशील गतिविधियों की बदौलत उन्नति के सोपान तय कर रहा है। उदयपुर डेयरी दुग्ध उत्पादकों के साथ ही उनके परिवार को खुशहाली प्रदान करने के लिए अपनी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से निरन्तर प्रयासरत है और इनका सकारात्मक एवं प्रगतिशील असर भी सामने आ रहा है। उदयपुर डेयरी का कार्यक्षेत्र उदयपुर एवं राजसमंद जिला है।

पहले जहां दुग्ध संंघ का औसत दुग्ध संकलन 7500 कि0ग्रा0 प्रति दिन था, वर्ष 2014-15 में बढ़कर 86242 कि0ग्रा0 प्रति दिन हो गया है । वर्ष 2015-16 में दुग्ध संकलन का लक्ष्य 1.02 लाख लीटर प्रतिदिन रखा गया है। उदयपुर दुग्ध संघ का मुख्य उद्देश्य दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों का नियंत्रण दुग्ध उत्पादक सदस्यों के हाथ मे देना है। दूध की उचित कीमत देने के साथ दुग्ध उत्पादन में वृद्धि तथा उत्पादन लागत में कमी लाना ही संघ का मुख्य ध्येय है।

दुग्ध संकलन ०००००००००००००० संघ लगातार दुग्ध संकलन मेें प्रगति कर रहा है वर्ष 2014-15 में संघ का औसत दुग्ध संकलन 86242 क्रिग्रा0/ दिन रहा है जो पिछले वर्ष के दुग्ध संकलन औसत 74431 से 16 प्रतिशत अधिक है। अक्टुबर 2015 में औसत संकलन 111241 किलोग्राम प्रतिदिन रहा है। जो कि पिछले समस्त वर्षो  के औसत संकलन से  अधिक रहा है। वर्तमान में संघ की कुल 711 पंजीकृत दुग्ध समितियां जिसमें से 213 महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियां तथा 43 प्रस्तावित दुग्ध समितियां है। पंजीकृत समितियों में कुल सदस्यता 39 हजार828 है। दुग्ध संघ को राष्ट्रीय उत्पादकता पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

दुग्ध विपणन-संस्था की आर्थिक उन्नति में दुग्ध विपणन का अपना विशिष्ट स्थान है। संघ द्वारा पांच प्रकार के दूध बाजार में उपभोक्ताओं को उपलब्ध करवाये जा रहे हैं (सरस लाइट, डबल टोन्ड,ताजा, शक्ति व गोल्ड)। वर्ष 14-15 तक शहर में 3 जोन व 12 मार्गो एवं2 उत्पाद वितरण मार्ग तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 8 मार्गो के माध्यम से 82 हजार 488  किग्रा0 दूध प्रतिदिन विक्रय किया गया है। वर्ष 2014-15में मार्च 2015 तक  784 डेयरी बूथों एवं शोप एजेन्सी तथा 31 पार्लर के माध्यम से 79769.40 लीटर दुग्ध प्रतिदिन विपणन किया गया है।

संघ द्वारा पनीर, छाछ, दही, मक्खन, गुलाब जामुन, रसगुल्ला, लस्सी व   श्रीखंड का विक्रय भी किया जा रहा है। दुग्ध संघ को उत्कृष्ट गुणवत्ता  प्रमाणीकरण भी प्राप्त हो चुका है। उपभोक्ताओं में दूध की गुणवत्ता के बारे में जागरूकता पैदा करने हेतु दुग्ध संघ द्वारा समय-समय पर उदयपुर शहर एवं अन्य कस्बों में ’’दूध का दूध पानी का पानी‘‘ कार्यक्रम प्रतिवर्ष चलाया जाकर उपभोक्ता के घर से सेम्पल लेकर उन्हीं के सामने दूध की गुणवत्ता जांच कर फैट व एस.एन.एफ के बारे में जानकारी  दी जाती रही है। पांच हजार बच्चों को डेयरी का भ्रमण करवाया गया।Udaipur Dairy (3)

दूध के सभी उत्पाद एक ही जगह उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से उदयपुर डेयरी परिसर में एक मिल्क पार्लर चलाया जा रहा है जिसके अन्तर्गत उपभोक्ताओं को समस्त दुग्ध उत्पाद के साथ दूध जलेबी, पनीर समोसा, पनीर पकोडा, पनीर डोसा, केसर युक्त दूध एवं कुल्फी उपलब्ध है। अप्रैल 2015 में डेयरी के गेट न. 2 पर स्वचालित दुग्ध एटीएम स्थापित किया गया है जिसमें उपभोक्ता को 24 घंटे दूध एवं दूध उत्पाद उपलब्ध करवाये जा रहे हैं। उपभोक्ताओं द्वारा दुग्ध संघ के इस प्रयास को काफी सराहा गया है तथा उदयपुर दुग्ध संघ को राजस्थान का प्रथम मिल्क एटीएम लगाने का गौरव प्राप्त हुआ है।

महिला डेयरी विकास कार्यक्रम ०००००००००० महिला पशुपालकों में जागरूकता लाने हेतु संघ द्वारा 213 महिला समितियों का गठन किया जा चुका है। महिला समितियों का पूर्ण नियंत्रण व प्रबंधन महिलाओं द्वारा ही किया जाता है। महिला विकास कार्यक्रम अन्तर्गत अनुदान प्राप्त कर समितियों एवं दुग्ध उत्पादक महिला सदस्यों को लाभान्वित किया गया।

प्रसूता सहायता योजना ००००००००००००००० दुग्ध संघ द्वारा सदस्य दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों की महिला सदस्यों हेतु एक अनूठी योजना संचालित की जा रही है जिसमें महिला सदस्य को प्रथम दो प्रसव हेतु पुतर्् ाजन्म पर दो लीटर एवं पुत्री के जन्म पर तीन लीटर घी प्रति प्रसव दुग्ध संघ द्वारा निःशुल्क उपलब्ध करवाया जाता है।

तकनीकी आदान कार्यक्रम  ०००००००००००००० संघ का अपने कार्यक्षेत्र के दुधारू पशुओं के रखरखाव तथा दुग्ध उत्पादन में वृद्धि तथा लागत में कमी हेतु विभिन्न तकनीकी सुविधाऎं मुहैया करवाई जा रही है । संघ द्वारा दुग्ध उत्पादन वृद्धि हेतु संतुलित पशु आहार लागत मूल्य पर उत्पादकों को उनकी समिति पर उपलब्ध करवाया जा रहा है। वर्ष 2014-15 में कुल 13229 मैट्रीक टन पशु आहार का विक्रय किया गया है। संघ द्वारा 638क्विन्टल हरे चारे का बीज भी वर्ष 2014-15 में विक्रय किया गया है।

दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हेतु पशु का स्वस्थ रहना आवश्यक है इसके लिये पशुओं की प्राथमिक चिकित्सा हेतु दवाईयां समिति पर उपलब्ध करवाई जाती हैं। वर्ष 2014-15 में 7798 पशुओं को प्राथमिक पशु चिकित्सा उपलब्ध करवाई गई। पशुपालन विभाग के सहयोग से आपातकालीन पशु चिकित्सा, टीकाकरण, डिवर्मिग एवं बांझपन निवारण शिविर के माध्यम से दुग्ध उत्पादकों को लाभान्वित किया जा रहा है।

सरस सुरक्षा कवच ०००००००००००००  दुग्ध संघ समिति सदस्यों के प्रति भी उतरदायी है। इस दिशा में संघ द्वारा सरस सुरक्षा कवच के अन्तर्गत  वर्ष2014-15 में अपने 7 हजार 561 सदस्यों का जीवन बीमा भारतीय जीवन बीमा निगम से एवं दुर्घटना बीमा युनाईटेड इन्श्योरेन्स से 9 हजार655 सदस्याें का बीमा सरस सुरक्षा कवच पालिसी के अंतर्गत करवाया है। इस योजना  के अन्तर्गत  अब तक 541 दुग्घ उत्पादक सदस्याें को  रुपए 170.40 लाख की क्लेम राशि का भुगतान किया जा चुका है।

सरस सामूहिक आरोग्य बीमा योजना (मेडिक्लेम) ००००००००००  दुग्ध संघ समिति सदस्यों के परिवार के प्रति भी उत्तरदायी है तथा अपना दायित्व पूरा करने के लिए सरस सामूहिक आरोग्य बीमा योजना नवम के तहत दुग्ध उत्पादक परिवाराें के लिए मेडिक्लेम पॉलिसी ली है। संघ द्वारा  वर्ष 2014-15 में अपने 745 सदस्यों का बीमा सरस सामूहिक आरोग्य बीमा करवाया गया है। इस योजना  के अन्तर्गत  अब तक 871दुग्ध उत्पादक सदस्याें को रुपए 80.48 लाख की क्लेम राशि का भुगतान किया जा चुका हैंं।

ऑटोमाइजेशन व कम्प्युटरीकरण ००००००००००००  संघ द्वारा डेयरी गतिविधियों का पूर्ण कम्प्युटरीकरण  कर दिया गया है जिसमें दूध तौलने से लेकर भुगतान तक समस्त कार्य कम्प्युटर द्वारा किये जा रहे हैं। संघ दुग्ध संयत्र की क्षमता जो पहले 25,000 किग्रा प्रति दिन थी।, इसे बढ़ाकर 60,000 किग्रा प्रतिदिन गई।  इसे बढ़ाकर 1 लाख किलोग्राम/दिन करना प्रस्तावित है। राजसमंद में आडीडीपी के अन्तर्गत 3 करोड की लागत से 20,000 किलोग्राम/दिन क्षमता का अवशीतन केन्द्र स्थापित किया गया है। वर्तमान में इस संयंत्र से 100000 लीटर प्रतिदिन प्रोसेस एवं पेकिंग कर उदयपुर एवं राजसमन्द जिले में वितरित किया जा रहा है।

समितियों में दुग्ध उत्पादकों का विश्वास अर्जित करने तथा उनके दूध की गुणवत्ता की सही जांच हेतु 228 समितियाें पर ए.एम.सी.एस/ए.एम.सी.यु, डीपीएमसीयू लगाये गये हैं जिसमें दूध तौल फैट निकालना व भुगतान कार्य कम्प्युटर द्वारा किया जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त 530 समितियों पर इलेक्ट्रोनिक मिल्को टेस्टर का वितरण किया गया है। अधिकतर समितियों पर जिला परिषद उदयपुर/राजसमंद के सहयोग से स्वर्णजंयति स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत 50 प्रतिशत अनुदान पर एएमसीयू एवं ईएमटी लगाये गये हैं। इसके साथ ही 50समितियों को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत 100 प्रतिशत अनुदान पर 50 लेक्टो स्केन भी उपलब्ध करवाये गये हैं। गत वर्ष तक129 दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों  के भवन निर्माण कार्य करवाये जा चुके हैं।

दुग्ध की गुणवत्ता में बढ़ोतरी करनेएवं परिवहन व्यय मे कमी लाने के लिये 145 दुग्ध समितियों पर विभिन्न योजनाओं में बल्क मिल्क कूलर लगाये गये हैं। इन पर लगे बल्क मिल्क कूलर के मार्फत दुग्ध समितियों से शत-प्रतिशत दूध समिति स्तर पर ही ठंडा कर टेंकरों के मार्फत दूध डेयरी प्लान्ट तक प्रतिदिन लाया जा रहा है। इस वर्ष 35 बल्क मिल्क कूलर और लगवाया जाना प्रस्तावित है।Dairy Home Minister (1)

शिक्षा सहयोग छात्रवृत्ति०००० ०००० ००००० दुग्ध संघ अपने दुग्ध उत्पादकों के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी के  भविष्य के लिये भी जागरूक है। इस दृष्टि से सरस सुरक्षा कवच में बीमित सदस्यो के 9वीं से 12वीं कक्षा में अघ्ययनरत  पुत्र  एवं पुत्रियाें के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा चलायी जनश्री योजना तहत रू 1200 प्रति माह छात्रवृत्ति दी जा रही है। शिक्षा सहयोग  योजना के तहत गत वर्षो में 4 हजार 864विद्यार्थियों में रुपए 58.36 लाख की छात्रवृत्ति राशि का वितरण किया गया। मेघावी छात्रों को प्रोत्साहित करने हेतु उदयपुर दुग्ध संघ द्वारा65-75 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को रुपए 501 एवं 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने पर रुपए  1001 प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।

आहार संतुलन कार्यक्रम ००००००००००००००- यह योजना विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित राष्ट्रीय डेयरी योजना – 1 के अन्तर्गत राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड,आणन्द के माध्यम से उदयपुर दुग्ध संघ में क्रियान्वित है। उपपरियोजना की लागत रुपए. 199.74 लाख है। योजनान्तर्गत दुग्ध संघ के कार्यक्षेत्र के 200 गांवों में स्थानीय रिसोर्स परसन का चयन कर रोजगार उपलब्ध करवाया जायेगा।

यह मुख्य रूप से कम खर्च में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने का प्रभावी उपाय है। इसमें पशु पालक द्वारा पशु को प्रतिदिन खिलाये जा रहे आहार का मूल्यांकन, सोफ्टवेयर द्वारा आहार मात्रा की गणना आदि के बाद समुचित परामर्श दिया जाता है।इस उपपरियोजना द्वारा दुग्ध संघ के कार्यक्षेत्र  में 20,000 पशुओं के लिए आहार संतुलन कार्य कर लगभग 10,000 पशुपालकों को लाभान्वित किया जाना है। वर्ष 2014-15 में योजनान्तर्गत 89.17 लाख रुपये की राशि व्यय की गई।

ग्राम्य आधारित दुग्घ अधिप्राप्ति प्रणाली के अन्तर्गत इस उपपरियोजना में विश्व बैंक के माध्यम से रुप्ए 125.20 लाख राशि का प्रावधान है। इसमें नई दुग्ध समितियों हेतु सभी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।  जिले के 90 गांवाें में रोजगार उपलब्ध करवाया जाकर दुग्ध उत्पादकों को दुग्ध समितियों से जोड़ा जाना है।  इस प्रकार लगभग 2700 परिवाराें को दुग्ध समितियों से प्राप्त सभी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। वर्ष 2014-15 में योजनान्तर्गत 21 लाख रुपये की राशि व्यय की गई।

परियोजना अन्तर्गत 148 एलआरपी को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। 29 दुग्ध समितियों का गठन किया जा चुका है एवं 35 समितियों को पुनर्जीवित किया गया है। दुग्ध संघ द्वारा वर्ष 2015-16 में कोटड़ा, खेरवाड़ा एवं केसरियाजी पंचायत समिति क्षेत्र में भी समितियां खोली जानी प्रस्तावित हैं।

जनजाति उपयोजना क्षेत्र में दुग्ध विकास कार्यक्रम – वर्ष 2014-15 में दुग्ध संघ द्वारा प्रयास कर जिले जनजाति क्षेत्रों हेतु जनजाति विकास विभाग, राजस्थान सरकार के सहयोग से रुपये 83.61 लाख रूपये की लागत के 14 बल्क मिल्क कूलरों की स्थापना की गई है। इसके अतिरिक्त प्रथम बार कोटड़ा एवं खेरवाड़ा पंचायत समिति क्षेत्रों में जनजाति विकास विभाग के सहयोग से दुग्ध संकलन कार्य प्रारंभ किया जा चुका है।

विभाग द्वारा जनजाति क्षेत्रों  में पशुपालन गतिविधियों को बढ़ावा देने एवं जनजाति क्षेत्र के कृषक परिवारों को डेयरी विकास हेतु प्रोत्साहित करने हेतु 118 लाख रुपये एवं कोटड़ा क्षेत्र हेतु केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित वनबंधु कल्याण योजना में भी 40 लाख रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई है। वर्तमान में खेरवाड़ा क्षेत्र में 4 एवं कोटड़ा क्षेत्र में 8 दुग्ध संकलन केन्द्र प्रारंभ किये जा चुके हैं। वर्ष 2015-16 हेतु 18बल्क मिल्क कूलर एवं अन्य डेयरी संसाधनों हेतु रुपये 214 लाख विभाग द्वारा स्वीकृत किये जा चुके हैं।

चालु वित्तीय वर्ष में डेयरी एवं संबद्ध गतिविधियों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं हाथ में ली गई हैं। इनमें  वनबंधु योजनान्तर्गत कोटड़ा पंचायत समिति क्षेत्र में 400 दुधारू गायें क्रय करवाने, कोटड़ा/खेरवाड़ा पंचायत समितियों में 20 गौपालक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों का गठन,  टीएसपी क्षेत्र में 35 बल्क मिल्क कूलर स्थापित करने,  30 समितियों का पंजीयन एवं आहार संतुलन कार्यक्रम के अन्तर्गत 200 ग्रामों में 20,000 दुग्ध उत्पादक सदस्यों का पंजीयन कर 6 हजार 667 दुग्ध उत्पादक सदस्यों को लाभान्वित करने,  दुग्ध संयंत्र की क्षमता का विस्तारीकरण 60,000 किलो/दिन से 1 लाख किलो प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन करने, राष्ट्रीय/राजकीय राजमार्गो पर सरस पार्लर एवं बूथों का संचालन करने आदि गतिविधियां प्रमुख हैं।

सरस लाडली योजना००००००००००००००००० उदयपुर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लि., द्वारा बेटियों  को प्रोत्साहित करने हेतु अनूठी योजना प्रारंभ की है। दुग्ध समिति के माध्यम से दुग्ध संघ से जुड़े दुग्ध उत्पादक सदस्यों के परिवार में प्रथम दो संतान में बिटिया के जन्म पर रुपए 5500/- की फिक्स डिपोजिट दुग्ध संघ द्वारा करवाई जायेगी। इस हेतु अभिभावक को मात्र 500 रुपए  का अंशदान संघ में जमा करवाना होगा। इसकी परिपक्वता अवधि 21 वर्ष होगी।

परिपक्वता के बाद राशि बेटियों के उच्च शिक्षा/विवाह/अन्य कार्य हेतु काम आयेगी। इसी प्रकार बालिका शिक्षा प्रोत्साहन हेतु दुग्ध उत्पादक सदस्य की प्रथम दो संतानों में अविवाहित बेटियों को शिक्षा सहयोग प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है। इनमें स्नातक के लिए 5 हजार रुपए प्रतिवर्ष तथा स्नातकोत्तर के लिए 7 हजार रुपए प्रतिवर्ष भुगतान किया जाएगा।

उदयपुर डेयरी निरन्तर विकास के साथ सामाजिक सरोकारों के निर्वहन में भी उल्लेखनीय भूमिका अदा कर रही है।

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