डिस्कॉम के घाटे में ढाई हजार करोड़ की कमी

डिस्कॉम के घाटे में ढाई हजार करोड़ की कमी

जयपुर – प्रदेश की विद्युत वितरण कम्पनियों के घाटे को कम करने के लिये राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयास एवं कुशल वित्तीय प्रबन्धन से वितरण निगमों के वार्षिक घाटे में गत एक वर्ष में लगभग दो हजार पांच सौ करोड़ रुपये की कमी आने का अनुमान है। इससे पूर्व भी वर्ष 2012-13 में 93 करोड़ रुपये  एवं 2010-11 में 157 करोड़ रुपये  की घाटे में मामूली कमी हुई थी। इसके विपरीत वर्ष 2013-14 में 3 हजार 294 करोड़ रुपये  की घाटे में बढोतरी हुई। वहीं वर्ष 2011-12 में 1 हजार 838 करोड़ रुपये  एवं 2009-10 में 3 हजार 989 करोड़ रुपये  की घाटे में बढोतरी हुई थी।

ऊर्जा राज्य मंत्री श्री पुष्पेन्द्र सिंह ने बताया कि वर्ष 2013-14 में वितरण निगमों का घाटा जो बढकर 15 हजार 645 करोड़ रुपये  तक पहुंच गया था। राज्य सरकार एवं विद्युत वितरण निगमों के समन्वित प्रयासों से यह घाटा वित्तीय वर्ष 2014-15 में कम होकर 13 हजार 166 करोड़ रुपये  रहने का अनुमान है।

इस तरह एक वर्ष में ही घाटे में लगभग 2 हजार 500 करोड़ रुपये  की कमी होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि जयपुर डिस्कॉम में वर्ष 2014-15 में घाटे में 803 करोड़ रुपये  की कमी होने का अनुमान है। वहीं अजमेर डिस्कॉम में 778 करोड़ रुपये  एवं जोधपुर डिस्कॉम में 898 करोड़ रुपये  की घाटे में कमी होने का अनुमान है। वर्ष 2014-15 के अन्त में वितरण निगमों का संचित घाटा 90 हजार करोड़ रुपये  रहने के अनुमान के साथ ही संचित बकाया ऋण राशि 80 हजार करोड़ रुपये  रहने का अनुमान है।

ऊर्जा राज्य मंत्री ने बताया कि वित्तीय घाटे में कमी होने का मुख्य कारण गत वर्ष की तुलना में कम दर पर बिजली की खरीद करना है। जहां वर्ष 2013-14 में 4.20 रुपये  प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी गई थी, वहीं वर्ष 2014-15 में बिजली क्रय दर 4.05 रुपये  प्रति यूनिट रहने का अनुमान है।

प्रति यूनिट बिजली विक्रय की लागत घटने एवं औसत राजस्व बढऩे से प्रति यूनिट घाटे में भी कमी आई है। प्रति यूनिट विद्युत विक्रय की लागत 8.87 रुपये  से घटकर 8.56 रुपये  प्रति यूनिट होने एवं राजस्व बढऩे से प्रति यूनिट घाटा 3.65 रुपये  से घटकर 2.80 रुपये  प्रति यूनिट रहने की सम्भावना है।

श्री पुष्पेन्द्र सिंह ने बताया कि आगे भी विद्युत वितरण निगमों के घाटे को कम करने के लगातार प्रयास किए जाएगें ताकि आम उपभोक्ताओं को कम लागत पर बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके।

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