- November 6, 2014
चुनाव आयोग : झारखण्ड और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव : मीडिया कवरेज
जन-प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा-126 में प्रावधान है कि किसी निर्वाचन क्षेत्र में मतदान सम्पन्न होने के निर्धारित समय से पहले के 48 घंटों के दौरान टेलीविजन या इसी तरह के दूसरे माध्यम से कोई चुनाव सामग्री प्रदर्शित नहीं की जाएगी। धारा-126 के उपयुक्त हिस्सों को फिर से नीचे उद्धृत किया जाता है:-
धारा 126 में मतदान सम्पन्न होने के निर्धारित समय से पहले के 48 घंटों के दौरान जनसभा पर प्रतिबंध-
(1) कोई भी व्यक्ति –
(क) …………………..
(ख) सिनेमेटोग्राफ, टेलीविज़न या इसी तरह की अन्य किसी उपकरण से कोई चुनाव सामग्री जनता के सामने प्रदर्शित नहीं करेगा;
(ग) …………………..
(2) यदि कोई व्यक्ति उपधारा(1) के प्रावधानों का उल्लघंन करता है, तो उसे दो वर्ष तक का कारावास दिया जा सकता है या जुर्माना किया जा सकता है, या दोनों सजाएं हो सकती हैं।
(3) इस धारा में ‘चुनाव सामग्री’ से मतलब है ऐसी सामग्री, जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित होता हो, या किया जा सकता हो।
इसी तरह के प्रावधान जम्मू-कश्मीर जनप्रतिनिधित्व कानून 1957 की धारा 133 में किए गए हैं।
2. चुनावों के दौरान कई बार टीवी चैनलों में परिचर्चा/वाद-विवाद या अन्य समाचारों तथा सामयिक विषय के कार्यक्रमों के प्रसारण के दौरान जन-प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा-126 के प्रावधानों के उल्लंघन के आरोप लगाए जाते हैं। निर्वाचन आयोग ने पहले भी स्पष्ट किया है कि धारा-126 के अंतर्गत किसी निर्वाचन क्षेत्र में मतदान सम्पन्न होने के निर्धारित समय से पहले के 48 घंटों के दौरान टेलीविजन या इसी तरह के किसी अन्य उपकरण से कोई चुनाव सामग्री प्रदर्शित नहीं की जाएगी। इस धारा में ‘चुनाव सामग्री’ की परिभाषा में कहा गया है कि कोई सामग्री, जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित होते हों, या किये जा सकते हों। धारा-126 के उपरोक्त प्रावधानों के उल्लघंन पर 2 वर्ष तक का कारावास हो सकता है, या जुर्माना किया जा सकता है, या दोनों सजाएं हो सकती हैं।
3. इस सिलसिले में जन-प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा-126ए और जम्मू-कश्मीर जन-प्रतिनिधित्व कानून 1957 की धारा 133ए की ओर ध्यान दिलाया जाता है, जिसमें एक्जिट पोल कराने और नीचे दी गई अवधि के दौरान यानी पहले चरण के चुनाव शुरू होने और सभी राज्यों में अंतिम चरण के चुनाव समाप्त होने के समय के आधे घंटे बाद उनके परिणाम प्रसारित करने पर भी प्रतिबन्ध है।
4. आयोग एक बार फिर यह बात दोहराता है कि टीवी/रेडियो चैनलों और केबल नेटवर्कों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जन-प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 और जम्मू-कश्मीर जन-प्रतिनिधित्व कानून 1957 की धारा 133 में वर्णित 48 घंटों की अवधि के दौरान जो कार्यक्रम प्रसारित/प्रदर्शित किए जाते हैं, उनमें परिचर्चा में भाग लेने वाले सदस्यों के विचारों/अपीलों सहित कोई ऐसी बात न हो, जिससे ऐसा लगे कि इससे किसी विशेष दल या उम्मीदवार/उम्मीदवारों की चुनाव संभावनाओं को बढ़ावा देने/प्रतिकूल प्रभाव डालने या चुनाव परिणाम को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसमें कोई चुनाव पूर्व सर्वेक्षण का प्रसारण या इस पर परिचर्चा, विश्लेषण, कोई दृश्य और साउंड बाइट शामिल है।
5. संबद्ध टीवी/रेडियो/केबल/एफएम चैनल किसी प्रसारण संबंधी कार्यक्रम के लिए आवश्यक अनुमति के वास्ते राज्य/जिला/स्थानीय अधिकारियों से अनुरोध कर सकते हैं जो जन-प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 या धारा 126ए और जम्मू-कश्मीर जन-प्रतिनिधित्व कानून 1957 की धारा 133 और 133ए में शामिल नहीं की गई अवधि के दौरान ये कार्यक्रम भी आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों तथा केबल नेटवर्क (नियमन) कानून के अंतर्गत सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा निर्दिष्ट कार्यक्रम संहिता के अनुरूप होने चाहिएं, जिनमें शालीनता, साम्प्रदायिक सदभाव के रखरखाव आदि पर ज़ोर दिया गया है। पैसा देकर खबर छपवाने/प्रचारित करने और संबंधित मामलों के बारे में निर्वाचन आयोग के 27 अगस्त 2012 के दिशा-निर्देशों की व्यवस्थाओं का भी ध्यान रखा जाना जरूरी है। इस प्रकार की अनुमति देने से पहले संबद्ध मुख्य निर्वाचन अधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी कानून और व्यवस्था की स्थिति सहित सभी आवश्यक पहलुओं को ध्यान में रखेंगे।
6. चुनाव के दौरान भारतीय प्रेस परिषद द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुपालन की ओर भी मीडिया का ध्यान दिलाया जाता है :-
(i) यह प्रेस का कर्तव्य है कि वह चुनावों और उम्मीदवारों के बारे में निष्पक्ष खबरें दे। समाचार पत्रों से उम्मीद की जाती है कि वे अशोभनीय चुनाव प्रचार में न उलझें और चुनाव के दौरान किसी उम्मीदवार/पार्टी या घटना के बारे में अतिरंजित रिपोर्ट न दें। अख़बार इस बात का ध्यान रखें कि वास्तविक चुनाव प्रचार के बारे में खबर देते समय उनसे किसी उम्मीदवार द्वारा उठाया गया महत्वपूर्ण मुद्दा न छूट जाए या उसके विरोधी उम्मीदवार पर कोई प्रहार न हो।
(ii) चुनाव नियमों के अंतर्गत साम्प्रदायिक अथवा जातिगत आधार पर चुनाव प्रचार करने पर प्रतिबंध है। इसलिए अखबारों को ऐसी खबरों से बचना चाहिए जो धर्म, जाति, वर्ग, समुदाय या भाषा के आधार पर लोगों के बीच शत्रुता या घृणा की भावनाओं को बढ़ावा देती हों।
(iii) समाचार पत्रों को किसी उम्मीदवार के व्यक्तिगत चरित्र और आचरण या उम्मीदवारी या किसी उम्मीदवार द्वारा चुनाव से हटने अथवा अपनी उम्मीदवारी वापिस लेने के संबंध में कोई गलत अथवा आलोचनात्मक बयान छापने से बचना चाहिए, ताकि चुनाव में उस उम्मीदवार की संभावनाओं पर असर न पड़े। समाचार पत्रों को किसी उम्मीदवार/पार्टी के खिलाफ बिना जांच किए आरोपों को नहीं छापना चाहिए।
(iv) समाचार पत्र को किसी उम्मीदवार/पार्टी की छवि को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय अथवा अन्य किसी प्रकार के प्रलोभन को स्वीकार नहीं करेंगे। वे किसी उम्मीदवार/पार्टी या उनकी ओर से किसी के द्वारा पेश किए गए आतिथ्य या अन्य सुविधाओं को स्वीकार नहीं करेंगे।
(v) समाचार पत्रों से उम्मीद की जाती है कि वे किसी विशेष उम्मीदवार/पार्टी के पक्ष में प्रचार में लिप्त नहीं होंगे। यदि वे ऐसा करते हैं, तो वे अन्य उम्मीदवार/पार्टी को इसका जवाब देने की भी अनुमति देंगे।
(vi) समाचार पत्र सरकारी खजाने से दी जाने वाली राशि के आधार पर किसी पार्टी/सत्ताधारी सरकार की उपलब्धियों के बारे में कोई विज्ञापन स्वीकार/प्रकाशित नहीं करेंगे।
(vii) समाचार पत्र समय-समय पर निर्वाचन आयोग/चुनाव अधिकारियों अथवा मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा जारी सभी निर्देशों/आदेशों/अनुदेशों का पालन करेंगे।
7. एनबीएसए द्वारा दिनांक 03 मार्च, 2014 को जारी किए गए ‘चुनाव संबंधी प्रसारण के लिए दिशा-निर्देश‘ में इलैक्ट्रोनिक मीडिया पर भी ध्यान दिया गया।
(i) समाचार प्रसारकों को चुनाव संबंधी मामलों, राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों, चुनाव प्रचार के मुद्दों और मतदान प्रक्रियाओं के बारे में जनता को तटस्थ रूप से जानकारी देने का प्रयास करना चाहिए। जैसा कि प्रतिनिधित्व कानून 1951 और भारतीय चुनाव आयोग के नियमों और प्रावधानों में निर्दिष्ट है।
(ii) समाचार चैनल को किसी राजनैतिक जुड़ाव, किसी दल या उम्मीदवार से ताल्लुक के बारे में खुलासा करना चाहिए। समाचार प्रसारक का कर्तव्य है कि वे अपनी चुनावी रिपोर्टिंग बिना भेद-भाव और संतुलित रूप से करे।
(iii) समाचार प्रसारकों को हर प्रकार की अफवाहों, आधारहीन अनुमानों और गलत जानकारी प्रसारित करने से बचना चाहिए विशेष रूप से अगर यह किसी विशेष राजनीतिक दल या उम्मीदवार से संबंधित हो। कोई उम्मीदवार/राजनीतिक दल जिसके बारे में गलत बात कही गयी या गलत प्रदर्शन, गलत जानकारी अथवा इस तरह हानि पहुंचाने वाली अन्य जानकारी देने पर, प्रसारक को तुरंत सुधार करना चाहिए और जिसके बारे में यह जानकारी दी गई है उन्हें अपना पक्ष रखने का उचित मौका दिया जाना चाहिए।
(iv) समाचार प्रसारको को सभी प्रकार के राजनीतिक और वित्तीय दबावों से प्रभावित नहीं होना चाहिए, जो चुनाव कवरेज और चुनाव संबंधी मामलों पर असर डाल सकते हैं।
(v) समाचार प्रसारकों को अपने समाचार चैनल में संपादकीय और विशेषज्ञों की राय के बीच अंतर स्पष्ट करना चाहिए।
(vi) समाचार प्रसारक को राजनीतिक दलों से मिले वीडियों के उपयोग के बारे में बताना और उचित रूप से लेबल करना चहिए।
(vii) चुनाव तथा चुनाव संबंधी समाचार/कार्यक्रम के मामले में कार्यक्रम, दिनांक, स्थान और उद्धरणों से संबंधी सारे तथ्य सहीं हो यह सुनिश्चित करने में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। अगर गलती या लापरवाही से गलत जानकारी प्रसारित हो जाती है और गलती के बारे में पता चलते ही प्रसारक को जल्द से जल्द इसमें सुधार करना चाहिए और वहीं प्राथमिकता देनी चाहिए जैसी पहले दी गई।
(viii) समाचार प्रसारकों, उनके पत्रकारों और उनके अधिकारियों को कोई धन या मंहगें उपहार या कोई फायदा नहीं लेना चाहिए जो किसी को प्रभावित या प्रभावित करने जैसा प्रतीत हो क्योंकि इससे प्रसारक या कर्मचारी की विश्वसनीयता कम होती है।
(ix) समाचार प्रसारक को किसी भी रूप में भड़काऊ भाषण या अन्य निंदनीय सामग्री प्रसारित नहीं करनी चाहिए जिससे हिंसा या लोगों में अशांतिअथवा उपद्रव हो सकता है। जैसा कि चुनाव प्रावधानों के तहत सम्प्रदाय या जाति आधारित चुनाव प्रचार प्रतिबंधित है। समाचार प्रसारकों को धर्म, जाति, समुदाय, क्षेत्र और भाषा पर ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं प्रसारित करनी चाहिए जिससे दुश्मनी की भावना या जनता के बीच घृणा बढ़ती हो।
(x) समाचार प्रसारकों को समाचार और पैसे देकर तैयार किए गए समाचार के बीच निष्ठापूर्वक अंतर बनाये रखने की आवश्यकता है। पैसे देकर प्रसारित की गई सामग्री पर स्पष्ट रूप से यह चिंहित किया जाना चाहिए कि यह ‘पेड विज्ञापन या पेड सामग्री’ है। पेड सामग्री को राष्ट्रीय प्रसारण संगठन (एनबीए) द्वारा दिनांक 24.11.2011 को जारी किए गए ‘पेड समाचारों पर नीतियों और दिशा-निर्देश’ के अनुरूप ही प्रसारित की जानी चाहिए।
(xi) चुनाव पूर्व सर्वेक्षण रिपोर्ट को सहीं और निष्पक्ष रूप से प्रसारित करने में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इसके बारे में दर्शकों को यह बताना चाहिए कि किसने सर्वेक्षण के लिए पैसे दिये और किसने सर्वेक्षण करवाया। अगर कोई समाचार प्रसारक चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के परिणाम या अन्य चुनाव आंकलन को प्रसारित करता है तो उसे इसके संदर्भ, प्रयोजन और इस तरह के सर्वेक्षणों की सीमाओं के बारे में जानकारी देनी चाहिए। चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के प्रसारण में सर्वेक्षण में उपयोग की गई विधि, जिनके बीच सर्वेक्षण किया गया, त्रुटिकी संभावना, सर्वेक्षण की दिनांक और इसमें इस्तेमाल किए गए आंकड़ों सहित जानकारी होनी चाहिए ताकि सर्वेक्षण के महत्व को समझने में दर्शकों को सहायता मिल सके। प्रसारकों को यह भी बताना चाहिए कि कैसे मतों को सीटों के रूप में बदलते है।
(xii) निर्वाचन आयोग चुनाव की घोषणा के समय से चुनाव परिणाम की घोषणा की समाप्ति तक समाचार प्रसारकों के प्रसारण पर निगरानी रखेगा अगर निर्वाचन आयोग को पता चलता है कि न्यूज ब्रॉड कास्टिंग (एनबीएसए) के किसी सदस्य द्वारा कोई उल्लंघन किया गया है तो उस पर एनबीएसए के नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
(xiii) प्रसारकों को मतदाताओं को प्रभावी तरीकों से मतदान प्रक्रिया, मतदान का महत्व, कैसे, कब और कहां मतदान के लिए पंजीकरण कराना चाहिए तथा मतपत्र की गोपनीयता बनाये रखने के लिए मतदाता को जागरूक करने संबंधी कार्यक्रम प्रसारित करने चाहिए।
(xiv) समाचार प्रसारकों को, भारतीय चुनाव आयोग द्वारा औपचारिक रूप से घोषित परिणामों के पहले किसी भी अंतिम, औपचारिक या निश्चित परिणाम के बारे में प्रसारित नहीं करना चाहिए। ऐसे परिणामों के प्रसारण के दौरान यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि यह परिणाम आधिकारिक नहीं है या अपूर्ण अथवा आंशिक या संभावित हैं जिन्हें अंतिम परिणाम के तौर पर नहीं देखा जाए।
सभी संबंधित मीडिया द्वारा उपरोक्त दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।