- October 2, 2021
चिकित्सा मुफ्त तो शिक्षा क्यों नहीं ? — डॉ. वेदप्रताप वैदिक
पंजाब में कांग्रेस की उथल-पुथल पूरे देश का ध्यान खींच रही है। लेकिन वहीं से एक ऐसा बयान भी आया है, जिस पर नेताओं और नौकरशाहों को तुरंत ध्यान देना चाहिए। वह बयान है— दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का। केजरीवाल आजकल अपनी आप पार्टी का चुनाव अभियान चलाने के लिए पंजाब की यात्रा पर हैं। वे अपने भाषणों में कांग्रेस और भाजपा की टांग खिंचाई करते हैं, जो स्वाभाविक है लेकिन वहाँ उन्होंने एक गजब की बात भी कह दी है, जिसकी वकालत मैं अपने भाषणों और लेखों में वर्षों से करता रहा हूँ।
मेरा निवेदन यह है कि जब तक कोई राष्ट्र अपनी शिक्षा और चिकित्सा को सबल नहीं बनाएगा, वह निर्बल हुआ पड़ा रहेगा। भारत की लगभग सभी सरकारों ने इन दोनों क्षेत्रों में थोड़े-बहुत सुधार की कोशिश जरुर की है लेकिन ये दोनों क्षेत्र यदि बलवान हो जाएं तो भारत को महासंपन्न और महाशक्ति बनने से कोई रोक नहीं सकता। अरविंद केजरीवाल ने इस दिशा में पहले दिल्ली में कदम बढ़ाया और अब यही काम बड़े पैमाने पर पंजाब में करने की घोषणा उन्होंने की है। उन्होंने कहा है कि पंजाब के हर गांव में एक अस्पताल खुलेगा। सबका इलाज़ मुफ्त होगा। जाँच मुफ्त होगी। हर आदमी का इलाज-पत्र बनेगा ताकि उसमें उसकी सारी बिमारियों और इलाजों का ब्यौरा रहेगा। जिन नागरिकों की शल्य-चिकित्सा होगी, वह 15 लाख रु. तक मुफ्त होगी।
विरोधी दल कह सकते हैं कि केजरीवाल ने यह चुनावी फिसलपट्टी खड़ी कर दी है ताकि इस लालच में वोट फिसलते चले आएं। मैं पूछता हूं कि आपको किसने रोका है? आप भी ऐसी घोषणा क्यों नहीं कर देते? कोई हारे, कोई जीते, जनता का तो भला ही होगा। यह सबको पता है कि इलाज़ के नाम पर भारत में आजकल कितनी जबर्दस्त ठगी होती है। यह खुशी की बात है कि राजस्थान के हर जिले में मेडिकल काॅलेज खोलने का बीड़ा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उठाया है और प्रधानमंत्री ने भी उनका समर्थन किया है लेकिन इन मेडिकल काॅलेजों में हिंदी में पढ़ाई कब शुरु होगी? कौन माई का लाल यह हिम्मत करेगा? पिछले सात वर्षों में हमारे दो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रियों ने स्वभाषा में मेडिकल की पढ़ाई शुरु करवाने का वायदा मुझसे कई बार किया लेकिन वह आज तक शुरु नहीं हुई।
ऐलोपेथी अब भी जादू-टोना बनी हुई है, अंग्रेजी के कारण। इसी कारण ग्रामीणों और गरीबों के बच्चे डाक्टर नहीं बन पाते। ठगी का भी कारण यही है। यदि डाॅक्टरी की पढ़ाई हिंदी में शुरु हो जाए और ऐलोपेथी, आयुपेथी, होमियोपेथी और यूनानीपेथी की संयुक्त पढ़ाई हो तो यह भारत का ही नहीं, दुनिया का नया चमत्कार होगा और ठगी भी खत्म होगी।
अमेरिका ने द्वितीय महायुद्ध के बाद अपने शिक्षा और चिकित्सा के बजट में जबर्दस्त बढ़ोतरी की थी। उसने यूरोप को पीछे छोड़ दिया और वह आज दुनिया के सबसे अधिक संपन्न और शक्तिशाली राष्ट्र बन गया है। शिक्षा मन को मजबूत करेगी और चिकित्सा तन को! तब धन तो अपने आप बरसेगा।