- June 14, 2015
घोषणपत्र में चुनाव की शुचिता को प्रभावित करने वाले वायदों से बचें: चुनाव आयोग
नयी दिल्ली : चुनाव आयोग ने बताया कि राजनीतिक दलों द्वारा घोषणापत्र में किये गए वादों को पूरा नहीं करने के संबंध में कार्रवाई करने का उसके पास कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। लेकिन उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप आयोग द्वारा तैयार दिशानिर्देशों में कहा गया है कि राजनीतिक दलों को ऐसे वादों से बचना चाहिए जो चुनाव प्रक्रिया की शुचिता को प्रभावित करते हों।
चुनाव आयोग ने इस निर्देश के अनुरूप राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के साथ विचार विमर्श किया था। कुछ राजनीति दल ऐसे दिशानिर्देश जारी करने के विचार से सहमत थे जबकि कुछ का मानना था कि स्वस्थ लोकतांत्रित राजनीति में घोषणापत्र में वादे करना उनका अधिकार और कर्तव्य है।
आयोग ने सिद्धांत रूप में माना कि घोषणापत्र तैयार करना राजनीतिक दलों का अधिकार है लेकिन वे स्वच्छ एवं निष्पक्ष चुनाव कराने एवं सभी राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान करने पर ऐसे अव्यवहारिक वादों एवं पेशकश के प्रभाव को नजरंदाज नहीं कर सकते।
चुनाव आयोग के आदर्श आचार संहिता भाग 8 में चुनाव घोषणापत्र पर दिशा निर्देशों में कहा गया है कि राजनीतिक दलों को ऐसे वादों से बचना चाहिए जो चुनाव प्रक्रिया की शुचिता को प्रभावित करते हैं। दिल्ली स्थित आरटीआई कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद ने चुनाव आयोग से राजनीतिक दलों द्वारा घोषणापत्र में किये गए वादों को पूरा करने नहीं करने के विषय में आयोग द्वारा उठाये जाने वाले कदमों के बारे में जानकारी मांगी थी।
आयोग ने घोषणापत्र संबंधी दिशानिर्देशों में कहा है कि राजनीतिक दलों से ऐसी उम्मीद की जाती है कि उनके घोषणापत्र में किये गए वायदों की तार्किकता स्पष्ट हो। मतदाताओं का विश्वास तभी कायम रखा जा सकता है जब वादे पूरा होंगे।
चुनाव आयोग ने कहा कि संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्वों में नागरिकों के लिए कल्याण योजनाएं बनाने की बात कही गई है, इसलिए घोषणापत्र में ऐसी कल्याण योजनाओं के वायदे करने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन ऐसे वायदे करने से बचा जाना चाहिए जो मतदाताओं पर अनावश्यक प्रभाव डालते हैं।