घन घसे से कुल्हड़ा होय, जब जबर घसैया होय

घन घसे से कुल्हड़ा होय, जब जबर घसैया होय
केदार की दृढ़ इच्छा शक्ति की बदौलत जिला चिकित्सालय में डायलिसिस मशीन 

सीधी ( विजय सिंह )- बघेली में एक कहावत है ‘‘घन घसे से कुल्हड़ा होय, जब जबर घसैया होय’’ ( विंध्य क्षेत्र की लोक भाषा में – लोहे के बड़े हथौड़े को घिस कर कुल्हाड़ी बनाई जा सकती है, लेकिन इसके लिये दृढ़ इच्छा शक्ति चाहिये )। सीधी जिला चिकित्सालय में मार्च 2013 से स्वीकृत हीमो डायलिसिस मशीन की कहानी भी घन की तरह हो गई थी, उसे दृढ़ इच्छा शक्ति से सीधी विधायक केदार नाथ शुक्ल ने अमलीजामा पहना दिया। और अंततः 29 जनवरी 2016 को प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चैहान ने डायलिसिस मशीन का लोकार्पण किया।Dylisis

सीधी विधायक के छात्र जीवन में संघर्ष के साथी रहे अधिवक्ता सोमेश्वर सिंह की पत्नी श्रीमती मुनेश सिंह की अचानक दोनों किडनी खराब हो गईं। सीधी, रीवा, बिरला सतना और फिर उन्हें मुम्बई ले जाया गया। श्रीमती सिंह की जीवन रक्षा सिर्फ प्रत्यारोपण से हो सकती थी। परिवार व स्वयं सोमेश्वर सिंह ने किडनी देने की सोची, किन्तु नेशनल हास्पीटल के चिकित्सकों ने मैच न होने से परिवार की किडनी लेने से इंकार कर दिया। अब एक ही वैधानिक रास्ता बचा कि शासन के नियमानुसार कोई अन्य दान दाता किडनी दान करे और तब तक डायलिसिस हो।

कैंसर और किडनी की खराबी दो ऐसे रोग हैं जिसमें रोगी के साथ परिवार, आर्थिक व मानसिक रूप से तबाह हो जाता है। वह भी सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार की हालत तो और बदतर हो जाती है। सीधी विधायक केदार नाथ शुक्ल को जब सोमेश्वर की पत्नी की बीमारी का पता चला तो उन्होने मुख्य मंत्री सहायता निधि से 2 लाख रुपयों की उपचार हेतु मदत दिलाई। किडनी प्रत्यारोपण में देरी और मुम्बई में रहकर हर सप्ताह दो बार आवश्यक रूप से डायलिसिस कराना भी भी एक सामान्य परिवार के लिये मुश्किल ही था, पर मजबूरी भी थी।

सीधी विधायक का ध्यान जिला चिकित्सालय सीधी में बने हीमो डायलिसिस कक्ष की ओर दिलाया गया । विधायक श्री शुक्ल को ज्ञात हुआ कि सीधी जिले में तकरीबन 2 सौ मरीज ऐसे हैं, जिन्हें या तो किडनी या अन्य चिकित्सकीय वजहों से डायलिसिस कराना अनिवार्य है। इसमें से 10 फीसदी लोग ही रीवा, सतना, बनारस, जबलपुर जाकर डायलिसिस करवा पा रहे हैं और शेष अकाल मौत की ओर हैं। जिला चिकित्सालय सीधी में डायलिसिस मशीन की स्थापना हेतु मार्च 2013 में राशि आवंटित कर दी गई थी, जिससे सिर्फ अधोसंरचना का निर्माण हुआ। ए.सी. कक्ष बन गया, ए.सी. लग गई, चिकित्सक व अमले को आवश्यक प्रशिक्षण दिला दिया गया, किन्तु मशीन का कहीं रता- पता ही नहीं है।

मध्य प्रदेश विधान सभा 2015 के वर्षा कालीन सत्र में एक ध्यानाकर्षण सूचना क्रमांक 111 एवं सोमेश्वर सिंह द्वारा मुख्य मंत्री जन शिकायत निवारण प्रकोष्ठ में शिकायत के बाद एक ही उत्तर आया कि कक्ष का निर्माण हो चुका है, ए.सी. लगवा दी गई है, अमले को प्रशिक्षण दिला दिया गया है, किन्तु अभी तक डायलिसिस मशीन नहीं आई है। विधायक केदार नाथ शुक्ल को तत्काल एहसास हुआ कि किसी व्यवसायिक दुरभि संधि के चलते जिला चिकित्सालय में डायलिसिस मशीन नहीं लग पा रही है ? और क्षेत्र की पीड़ा को लेकर वह सीधे मुख्य मंत्री से मिले।

उच्च पदस्थ स्वास्थ्य मोहकमें को नसीहत दी और तब कहीं जाकर 29 जनवरी 2016 को जिला चिकित्सालय में डायलिसिस मशीन लगी, मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चैहान के हांथों उसका लोकार्पण हुआ । नेक विचार एवं दृढ़ इक्षा शक्ति की बदौलत घन को घिस कर कुल्हाड़ी बनाने का काम सीधी विधायक केदार नाथ शुक्ल ने कर दिखाया।

उल्लेखनीय है कि नव संचार समाचार 12 अगस्त2015 को “डायलिसिस मशीन की विधान सभा को गलत जानकारी” शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर यह मामला उजागर करचुका है|

स्वतंत्र पत्रकार
19, अर्जुन नगर, सीधी

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