गैर-ऑडिट सेवा देने पर रोक!

गैर-ऑडिट सेवा देने पर रोक!

बिजनेस स्टैंडर्ड ———– सूचीबद्ध या बड़ी गैर सूचीबद्ध कंपनियों जैसी जनता के हित से जुड़ी कंपनियों को ऑडिट सेवाएं मुहैया कराने वाली फर्मों को इन कंपनियों को गैर-ऑडिट सेवाएं मुहैया कराने से रोका जा सकता है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि वे इस कदम पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। इससे कंपनी का प्रबंधन सुधरेगा और अक्सर होने वाले हितों के टकराव पर रोक लगेगी। जब एक ही फर्म किसी कंपनी को ऑडिट और गैर-ऑडिट सेवाएं मुहैया कराती है तो हितों का टकराव पैदा होता है।

इसके लिए कंपनी अधिनियम में एक बदलाव करना होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक कंपनी मामलों का मंत्रालय कंपनी कानून में अगले चरण के संशोधनों में यह बदलाव करने की कोशिश कर सकता है। अधिकारी ने कहा, ‘किसी कंपनी को ऑडिट सेवाएं मुहैया कराते हुए प्रबंधन परामर्श, धन जुटाने की गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए।’

कंपनी अधिनियम की धारा 144 में गैर-ऑडिट सेवाओं की एक सूची दी गई है, जिसमें लेखा, बहीखाता, आंतरिक ऑडिट, एक्चुरियल और प्रबंधन सेवाएं आदि शामिल हैं। एक कंपनी के वरिष्ठ वकील ने कहा, ‘ये सेवाएं बहुत ही अस्पष्ट एवं व्यक्तिपरक हैं। हर कोई अपने उद्देश्य के हिसाब से इनकी व्याख्या करता है। उदाहरण के लिए प्रबंधन सेवाओं को परिभाषित नहीं किया गया है। ऑडिट कंपनियां इसका वह मतलब निकाल सकती हैं, जो उनके लिए सबसे बेहतर है।’

पिछले साल फरवरी में प्राइसवाटरहाउस इंडिया और डेलॉयट हस्किन ऐंड सेल्स एवं उसकी नेटवर्क कंपनियों ने जनता के हितों से जुड़ी उन कंपनियों को गैर-ऑडिट सेवाएं मुहैया नहीं कराने का फैसला किया था, जिनका वे यहां ऑडिट करती हैं।

डेलॉयट ने कहा था कि वह अपनी ग्राहक उन सभी सूचीबद्ध कंपनियों और उन अन्य कंपनियों को गैर-ऑडिट सेवाएं नहीं मुहैया कराएगी, जिनमें जनता का पैसा लगा है। उदाहरण के लिए बैंक और बीमा कंपनियां। पीडब्ल्यूसी की नेटवर्क कंपनियों ने नैशनल फाइनैंंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (एनएफआरए) द्वारा नियंत्रित अपनी भारतीय ऑडिट ग्राहक कंपनियों को गैर-ऑडिट सेवाएं देना बंद कर दिया था। ग्रांट थार्नटन इंडिया एलएलपी ने भी यह कदम उठाया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इन पर हितों के टकराव से बचने के लिए ऑडिट और गैर-ऑडिट सेवाओं को बिल्कुल अलग रखने का भागीदारों का दबाव था।

ऑडिट पेशा जांच के घेरे में है और चार बड़ी कंपनियों में से दो ने अपने ऑडिट ग्राहकों को गैर-ऑडिट सेवाएं देना बंद कर दिया है। इससे ऑडिट कंपनियों के पैसा कमाने के तरीके पर भी दबाव है। हाल में कंपनी मामलों के मंत्रालय ने एक विमर्श पत्र जारी किया था। इसमें शुल्क के मुद्दे को लेकर चिंता जताई गई थी, जो कंपनी का प्रबंधन तय करता है। इस पत्र में कहा गया, ‘ग्राहक की फीस पर निर्भरता से ऑडिटर की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है।’

Related post

महाकुंभ मेले में सुबह-सुबह मची भगदड़ : सूत्रों ने लगभग 40 लोगों के मरने की पुष्टि की

महाकुंभ मेले में सुबह-सुबह मची भगदड़ : सूत्रों ने लगभग 40 लोगों के मरने की पुष्टि…

प्रयागराज,   (रायटर) –  उत्तर भारत में महाकुंभ मेले में सुबह-सुबह मची भगदड़ में दर्जनों लोग मारे…
सीवेज पंपिंग स्टेशन : दम घुटने से दो श्रमिकों की कथित मौत :एनएचआरसी

सीवेज पंपिंग स्टेशन : दम घुटने से दो श्रमिकों की कथित मौत :एनएचआरसी

नई दिल्ली:–एनएचआरसी, भारत ने गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले में सीवेज पंपिंग स्टेशन की सफाई करते समय…
हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिरीक्षक जहूर हैदर जैदी और सात अन्य पुलिसकर्मियों कोआजीवन कारावास

हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिरीक्षक जहूर हैदर जैदी और सात अन्य पुलिसकर्मियों कोआजीवन कारावास

चंडीगढ़ की विशेष सीबीआई अदालत ने हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिरीक्षक जहूर हैदर जैदी और सात…

Leave a Reply