गन्ना फसल को ‘‘पतन सैन्य कीट’’ से बचाव

गन्ना फसल को ‘‘पतन सैन्य कीट’’ से बचाव

पटना—-‘‘पतन सैन्य कीट’’ (Fall Army Worm) में फसलों को काफी अधिक आर्थिक क्षति पहुंचाने की क्षमता है। इस वर्ष यह कीट भारतवर्ष के कर्नाटक राज्य के हसन, चिक्काबालापुर, देवनगिरी, सिममोग्गा तथा चित्रदुर्गा जिले में पाया गया तथा
इस कीट ने महाराष्ट्र, तमिलनाडू, आन्ध्र प्रदेष तथा तेलंगाना राज्य में मक्के की फसलों को काफी क्षति पहुंचाई है।

गन्ने की फसल में इस कीट का प्रादुर्भाव (Occurrence in Sugarcane) तमिलनाडू के कुछ जिलों में गन्ने के फसल पर देखा गया है। गन्ने की फसल वाले क्षेत्रों में कीट के फैलाव की संभावना के मद्देनजर निगरानी एवं प्रबंधन हेतु एडवाईजरी जारी की जा रही है। इस कीट के गन्ने की फसल पर प्रकोप के संबंध में प्राथमिक अनुसंधानीय ज्ञान (First hand research knowledge ) का अभाव होने की वजह से चीनी मिलों वाले क्षेत्रों में निम्नांकित अंतरिम प्रबंधन कार्य योजना पर अमल करना अति आवष्यक है।
गन्ने की Young Crop में पंजीकृत एवं अपंजीकृत क्षेत्रों में निरंतर सर्वेक्षण करना चाहिए,
अन्य, दूसरे प्रमुख भ्वेज चसंदज यथा- मक्का, ज्वार एवं धान की फसल का निरतंर निरीक्षण करना चाहिए तथा चीनी मिलों से जुड़े कर्मियों तथा गन्ने की खेती करने वाले किसानों को इस कीट के प्रकोप के प्रमुख लक्षणों के आधार पर प्रतिवेदित करने हेतु संवेदीकृत (Sensitize) करना चाहिए।

इस कीट के अनाक्रांत क्षेत्रों में, आक्रांत क्षेत्र से Seedlings के Movement को रोकना एवं उसकी निगरानी करना अत्यंत आवष्यक है, ताकि इसके प्रसार को आक्रांत क्षेत्र से अनाक्रांत क्षेत्र में रोका जा सके, गन्ने की फसल में इस कीट का प्रसार आक्रांत पत्तियों से स्वस्थ पौधों में होता है।

अतः गन्ने की बीज एवं गन्ने की पेराई हेतु लम्बी दूरी तक ज्तंदेचवतजंजपवद पर रोक लगाने की आवष्यकता है, यथासंभव पुरानी गन्ने की फसल के Older Crop को रोका जाना चाहिए, ताकि इस कीट के प्रसार को रोका जा सके। (Yet not confirmed) Predators के भक्षणार्थ गन्ने की फसल मंे मिट्टी चढा़ ना एवं इस कीट के लार्वा तथा प्यूपा का Expose होना एक लाभदायक क्रिया साबित होती है, ताकि दिखाई पड़ने वाले लार्वा को चुनकर संग्रह करना एवं उसको विनष्ट करना एक सहज क्रिया हो जाए।

गन्ने की Introduced Seedlings के कीटनाषक से सुरक्षात्मक उपचार तथा निरीक्षण के
उपरांत भी कीटनाषी से उपचार करना (क्षतिकारक लार्वा पाये जाने पर) आवष्यक है,
प्रारंभिक अवस्था में नीम आधारित कीटनाषी का प्रयोग करना, ताकि इस कीट के लार्वा की
थ्ममकपदह तथा अण्डा देने की प्रक्रिया को रोका जा सके, गन्न े की फसल के लिए न्यायोचित तरीके से (श्रनकपबपवने) अनुषंसित रसायन तथा क्लोरपायरीफाॅस और मोनोक्रोटोफाॅस की 1-3 मि0ली0/लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव इस प्रकार से करनी चाहिए ताकि छिड़काव गन्ने की गम्भा (Central Whorts) में प्रवेष कर सके।

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