• July 14, 2017

कैम्पकोर्ट लगाकर विचाराधीन प्रकरणों का समयबद्ध निस्तारण

कैम्पकोर्ट लगाकर  विचाराधीन प्रकरणों का समयबद्ध निस्तारण

जयपुर———सुराज संकल्प की प्राथमिकता को क्रियान्वित करने की दृष्टि से राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, राज्य सरकार को एक माह में ऎसे प्रस्ताव प्रस्तुत करेगा जिसके अनुसार (राजधानी सहित) जिन जिला मंचों में अधिक प्रकरण विचाराधीन हो, को अन्य जिला मंचों में कैम्प कोर्ट लगाकर उनका समयबद्ध निस्तारण किया जा सके।

उपभोक्ता मामले विभाग के उप निदेशक श्री संजय झाला ने बताया कि जिन जिला मंचों की ओर से प्रतिमाह न्यूनतम प्रकरणों का निस्तारण नहीं किया जा रहा है तथा जिन जिला मंचों में कम प्रकरण विचाराधीन है उन जिला मंचों के अध्यक्ष एवं सदस्यों को अन्य जिला मंचों में, जहां पर अधिक संख्या में प्रकरण विचाराधीन है, में प्रकरण निस्तारण हेतु लगाया जा सकेगा।

श्री झाला ने बताया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 17 (क) के अन्तर्गत मामलों के स्थानान्तरण के प्रावधान है। शिकायतकर्ता के आवेदन पर अथवा इसके स्वयं के समावेदन पर, राज्य आयोग न्याय हित में जिला मंच के समक्ष लम्बित किसी शिकायत को राज्य के अन्य जिला मंच को स्थानान्तरित कर सकेगा।

उप निदेशक ने बताया कि प्रदेश के 37 जिला मंचों में से अधिकांश जिला मंचों के द्वारा न्यूनतम 75 प्रकरणों का निस्तारण भी नहीं किया जा रहा है। इनमें कुछ ऎसे भी जिले है जहां कुल 100 से भी कम प्रकरण दर्ज है।

उन्होंने बताया कि उपभोक्ता संरक्षण विनियम 2005 क्लॉज 19 (1) के अनुसार किसी उपभोक्ता मंच से न्यूनतम 75 से 100 मामले प्रतिमाह निपटाने की आशा की जाती है।

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