• August 8, 2016

किर्लोस्कर टेक्नोलॉजीज करेगी चिकित्सीय उपकरणों की मैन्टीनेंस पर अनुबंध

किर्लोस्कर टेक्नोलॉजीज करेगी चिकित्सीय उपकरणों की मैन्टीनेंस पर अनुबंध

जयपुर, 8 अगस्त। प्रदेश के समस्त चिकित्सा संस्थानों पर उपलब्ध समस्त चिकित्सीय उपकरणों की प्रभावी क्रियान्विती के उदेश्य से बायोमेडिकल इंजीनियरिंग की अग्रणी कम्पनी किर्लोस्कर टेक्नोलॉजीज को इनके रखरखाव एवं मरम्मत की जिम्मेदारी दी गयी है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री की उपस्थिति में सोमवार को अपरांह् स्वास्थ्य भवन में चिकित्सा विभाग एवं किर्लोस्कर टैक्नोलॉजी के मध्य एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये।    DSC_0952

चिकित्सा मंत्री ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश  में राजकीय जिला अस्पतालों से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर तक के चिकित्सा केन्द्रों में 147 प्रकार के चिन्हि्त कुल 41 हजार 604 उपकरण उपलब्ध हैं एवं इनकी निगरानी व कार्यस्थिति की ऑनलाइन जानकारी के लिए ई-उपकरण सॉफ्टवेयर निर्मित किया गया है। इनकी कार्यदक्षता बढ़ाने के लिए जयपुर मुख्यालय में सेन्ट्रल इनवेन्ट्री मैनेंजमेंट एंड मॉनीटरिंग सिस्टम ‘‘ई-उपकरण‘‘ विकसित किया गया है।

इस सिस्टम की सहायता से राजकीय चिकित्सालयों में कुल उपलब्ध उपकरणों में से क्रियाशील, मरम्मत योग्य, ऑपरेट करने योग्य, अनुपयोगी, कंडम इत्यादि की ऑनलाइन जानकारियां संभव हो गयी है। ऑनलाइन उपकरण निगरानी में नवाचार श्री राठौड़ ने बताया कि चिकित्सीय उपकरणों के सुदृढ़ीकरण के लिए ई-उपकरण सिस्टम उपयोग में लेने एवं यथासमय मैन्टीनेंस सुनिश्चित करने का नवाचार प्रारंभ करने वाला निश्चित ही देशभर में पहला राज्य है।

उन्होंने बताया राष्ट्रीय स्वास्थ्य स्टेट रिसोर्स सेंटर नई दिल्ली की 2014 की शोध रिपोर्ट के अनुसार देश में लगभग 10 हजार करोड राशि के लगभग 63 प्रतिशत चिकित्सीय उपकरण उपयोग योग्य नहीं हैं एवं मात्र 2 प्रतिशत उपकरणों की ही मरम्मत व रखरखाव पर ध्यान दिया जा रहा है। इस अवसर ई-उपकरण लोगो का विमोचन भी किया गया।

उपकरण मरम्मत के लिए अभियान चिकित्सा मंत्री ने बताया कि ई-उपकरण के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 38 हजार 571 क्रियाशील उपकरण, 633 इंस्टालेशन पेंडिंग, 512 उपयोग में नहीं लिये जा उपकरण, 1 हजार 15 मरम्मत योग्य एवं 873 अक्रियाशील व मरम्मत अयोग्य उपकरण हैं। उन्होंने बताया कि इन उपलब्ध उपकरणों का लाभ मरीजों को सुनिश्चित करने के लिए किर्लोस्कर टेक्नोलॉजी से तकनीकी सहयोग लिया जायेगा। उन्होेंने विशेष अभियान चलाकर समस्त मरम्मत योग्य उपकरणों का आगामी तीन माह क्रियाशील बनाने के निर्देश भी दिये हैं।

प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्रीमती वीनू गुप्ता ने 512 उपयोग में नहीं लिये जा उपकरणों के बारे में चिकित्सकों से इनडेंट एकत्रित करने एवं आवश्यकतानुसार इन्हें आवंटित करने की आवश्यकता प्रतिपादित की। प्रबंध निदेशक राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन श्री ओमप्रकाश ने बताया कि उपकरणों की स्थिति संबंधी जानकारी के लिए ई-उपकरण सिस्टम में फोन व मोबाइल से टोल फ्री शिकायत दर्ज कराने के लिए व्यवस्था उपलब्ध है।

उन्होंने बताया कि मेंटीनेंस प्रदाता कम्पनी द्वारा चिकित्सीय उपकरणों की त्वरित मरम्मत व रखरखाव परामर्श के लिए सभी जिलों में सर्विस इंजीनियर तथा टेक्नीशियन नियुक्त किये गये हैं।  विभाग की ओर से एक्ज्युकेटिव डायरेक्टर आरएमएससी श्री रामकिशोर एवं किर्लोस्कर टेक्नोलॉजी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमरदीप सेठी ने हस्ताक्षर किये।

 इस अवसर पर अतिरिक्त मिशन निदेशक एनएचएम श्री बी.एल.कोठारी, निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ.बी.आर.मीणा सहित संबंधित अधिकारीगण मौजूद थे।

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