कंपनियां (एएमसी) एक ही तरह की अपनी योजनाओं का आपस में विलय करें – भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड

कंपनियां  (एएमसी)  एक ही तरह की अपनी योजनाओं का आपस में विलय करें – भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड

पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) एक ही तरह की म्युचुअल फंड योजनाओं के आपस में विलय पर खासा जोर दे रहा है। सेबी ने परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) से कहा है कि वे एक ही तरह की अपनी योजनाओं का आपस में विलय करें। हालिया कदम के तहत बाजार नियामक सेबी ने म्युचुअल फंड उद्योग से जुड़ी कंपनियों को सूचित किया है कि उसने एक आंतरिक टीम का गठन किया है, जो एक ही तरह की योजनाओं के एकीकरण की प्रगति पर नजर रखेगी। सूत्रों ने कहा कि सेबी ने सभी एएमसी से इस बारे में रिपोर्ट तलब की है कि उन्होंने अब तक कितनी योजनाओं का आपस में विलय किया है और भविष्य में इसे लेकर क्या योजना है। एक अधिकारी ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि मौलिक तौर पर एक ही तरह की विशेषताओं वाली योजनाओं का आपस में विलय किया जाना चाहिए।’

म्युचुअल फंडों के लिए सेबी नियमन के तहत दो योजनाओं को आपस में मिलाया जा सकता है, बशर्ते विलय के बाद मौजूद योजना के मूलभूत तत्वों में किसी तरह का बदलाव न हो। फंड हाउसों को दो योजनाओं का विलय करने से पहले बोर्ड सदस्यों और न्यासियों से मंजूरी लेना पड़ता है। सेबी से जरूरी मंजूरियां हासिल करने के बाद फंड हाउसों को मौजूदा निवेशकों को उक्त योजना से निकलने का मौका देना होगा। सेबी के वरिष्ठï अधिकारियों ने उद्योग से जुड़ी कंपनियों द्वारा समान योजनाओं के विलय में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाने को लेकर नाखुशी जाहिर की है। सेबी के मुताबिक उद्योग को योजनाओं के विलय में ज्यादा देरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि बजट में स्पष्टï तौर पर कहा गया है कि योजनाओं के एकीकरण को पूंजीगत प्राप्ति से छूट दी जाएगी।

फरवरी 2015 में वित्त मंत्री ने आयकर कानून में संशोधन की घोषणा की थी, ताकि म्युचुअल फंड योजनाओं के एकीकरण में फंड की इकाइयों के हस्तांतरण पर कर की देनदारी नहीं हो। इससे पहले फंड हाउसों को इस बात की चिंता थी कि योजनाओं के विलय में यूनिट की बिक्री नहीं होने के बावजूद कर देनदारी बन सकती है। वर्ष 2013 में करीब 2,000 योजनाओं में से केवल 9 योजनाओं का विलय किया गया था। 2014 में ऐसी करीब 80 योजनाओं का विलय किया गया था। लेकिन इस साल योजनाओं के विलय की रफ्तार काफी धीमी है और अब तक केवल 14 योजनाओं का ही विलय किया जा सका है। उद्योग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अब भी कई ऐसी वजहें हैं, जिसकी वजह से फंड हाउस योजनाओं का विलय करने से कतरा रहे हैं। इनमें से एक वजह है- धनाढ्य निवेशक जो विलय को लेकर सहज नहीं हो सकते हैं, क्योंकि इससे उन्हें नुकसान हो सकता है। वर्तमान में करीब 12 लाख करोड़ रुपये के घरेलू म्युचुअल फंड उद्योग द्वारा इस तरह की करीब 1,900 योजनाओं की पेशकश की जा रही है।

ई-कॉमर्स पर होगी म्युचुअल फंडों की बिक्री!

सेबी म्युचुअल फंड कंपनियों को बाजार के विस्तार के लिए ई-कॉमर्स साइटों के जरिये योजनाओं की बिक्री की अनुमति देने पर विचार कर रहा है। निवेशकों के लिए म्युचुअल फंड खरीदना आसान और सस्ता बनाने के लिए सेबी अब इन योजनाओं की ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिये बिक्री की अनुमति देने पर विचार कर रहा हैै। सेबी के चेयरमैन यू के सिन्हा ने हाल में ई-कॉमर्स और अन्य प्रौद्योगिकी मंचों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी। सेबी का मानना है कि वितरण चैनल के तौर पर इंटरनेट के अधिक उपयोग से विशेष तौर पर युवा निवेशकों के बीच म्युचुअल फंडों का विस्तार बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

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