ऑटिज़म में प्रयुक्‍त ‘इंटरनेशनल नैदानिक महामारी विज्ञान नेटवर्क

ऑटिज़म में प्रयुक्‍त ‘इंटरनेशनल नैदानिक महामारी विज्ञान नेटवर्क

पेसूका———- केन्‍द्रीय सामाजिक न्‍याय ओर अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत ने देश भर से ऑटिज़म में प्रयुक्‍त ‘इंटरनेशनल नैदानिक महामारी विज्ञान नेटवर्क (आईएनसी) और ऑटिज़म (आईएसएए) उपकरणों के आकलन पर आयोजित ‘राष्‍ट्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला’ में आए मास्‍टर ट्रेनरों से विचार-विमर्श किया। 1

यह कार्यशाला आज यहां सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित की गई। इस कार्याशाला का आयोजन सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत आने वाले नेशनल ट्रस्‍ट द्वारा बाल स्‍नायु विज्ञान, बाल रोग विभाग और अपने तरह के सवश्रेष्‍ठ आयुर्विज्ञान संस्‍थान, नई दिल्‍ली के सहयोग से किया गया। देश भर के 18 राज्‍यों के 75 पेशेवरों ने इस कार्यशाला में हिस्‍सा लिया। इनमें नैदानिक मनोवैज्ञानिक, बच्चों के चिकित्सक और मनोचिकित्सक शामिल थे।

मास्‍टर ट्रेनरों से बातचीत के दौरान श्री गहलोत ने कहा कि ऑटिज़म से पीडि़त बच्‍चे का पता लगाना बहुत ही कठिन काम है और इसलिए उनके उपचार में बहुत ही सावधानी की जरूरत है। इन बच्‍चों को सबका दुलार और प्‍यार की जरूरत होती है और इनके साथ अलग तरह से व्‍यवहार नहीं होना चाहिए। अब राष्‍ट्रीय ट्रस्‍ट ने ऐसे बच्‍चों को पहचान और उनके उपचार के लिए मास्‍टर ट्रेनरों को प्रशिक्षित करने की अनुपम पहल की है। इस कार्यशाला का उद्देश्‍य बाल रोग चिकित्‍सकों, मनोवैज्ञानिकों और मनोचिकित्सकों जैसे पेशेवरों को प्रशिक्षण देकर तथा सशक्‍त बना कर उन्‍हें मास्‍टर ट्रेनरों के रूप में प्रशिक्षित करना है। ये मास्‍टर ट्रेनर फिर संबंधित राज्‍यों में वहां के पेशेवरों को प्रशिक्षित करेंगे। उन्‍होंने सभी प्रतिभागियों को आश्‍वस्‍त किया कि इस संदर्भ में उनका मंत्रालय उनका हर संभव सहायता करेगा।

इस कार्यशाला में ऑटिज़म के आकलन में एकरूपता और मानक को बनाए रखने के लिए दो तरह के ऑटिज़म उपकरणों की सिफारिश की गई। पहला उपकरण आईएनसीएलईएन अध्‍ययन के तहत विकसित उपकरण आईएनसीएलईएन है।

यह अध्‍ययन भारत के बच्‍चों में न्‍यूरो डेवलपमेंटल विकार का अध्‍ययन करने की परियोजना आईएनसीएलईएन अध्‍ययन के निदेशक डॉ. एन.के. अरोड़ा के मार्गदर्शन में चल रही है। दूसरा उपकरण है- आईएसएए- ऑटिज़म आकलन का भारतीय पैमाना। यह उपकरण सामाजिक न्‍याय एंव अधिकारिता मंत्रालय द्वारा एनआईएमएच के जरिये अनुसंधान परियोजना के रूप में विकसित किया गया है।

इस परियोजना में संसाधन व्‍यक्ति और संकाय अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्‍थान और मानसिक रूप से विकलांग व्‍यक्तियों के लिए राष्‍ट्रीय संस्‍थान (नेशनल इंस्‍टीट्यूट फार मेनटली हैंडीकैप्‍ड) के हैं। बाल रोग विभाग के विभागाध्‍यक्ष प्रो. विनोद के पॉल, एम्‍स के बाल न्‍यूरोलॉजी विभाग के बाल रोग विभाग की प्रो. शेफाली गुलाटी एवं अन्‍य पेशेवरों ने ऑटिज़म में आईएनसीएलईएन उपकरण का प्रयोग कर प्रशिक्षण प्रदान किया। इसके साथ ही एनआईएमएच की डॉ. सरोज आर्य और बीनापानी महापात्रा ने आईएसएए उपकरण का प्रयोग कर कार्यशाला में आए लोगों को प्रशिक्षण दिया।

ऑटिज़म एक ऐसी न्‍यूरो डेवलपमेंटल विकार है जिसका प्रभाव आजीवन होता है। इसका कोई निश्चित निदान नहीं है। यह सबसे अधिक महत्‍वपूर्ण है कि ऑटिज़म से पीडि़त बच्‍चों की पहचान जल्‍दी कर ली जाए और उस पर तुतंत काम करना शुरू कर दिया जाए। ऑटिज़म के प्रभाव को शीघ्र निदान और सही हस्‍तक्षेप कर कम किया जा सकता है।

यद्यपि सरकार ने ऑटिज़म को 2011 में ही दिव्‍यांग घोषित कर रखा है लेकिन इसका प्रमाण पत्र जारी नहीं कर रही है। सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन दिव्‍यांग पेंशन अधिकारिता विभाग ने 26 अप्रैल 2016 को मार्गदर्शन जारी कर ऑटिज़म से पीडि़तों को दिव्‍यांग प्रमाणपत्र जारी करने के लिए बोर्ड के गठन का रास्‍ता साफ कर दिया है।

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