• January 2, 2017

एस्को मॉडल से हर साल 15 से 16 करोड़ रुपए की बचत

एस्को मॉडल से हर साल 15 से 16 करोड़ रुपए की बचत

जयपुर, 2 जनवरी,2017 राज्य सरकार के दूरदर्शितापूर्ण निर्णय से प्रदेश के 10 साल पुराने और सालाना पांच करोड़ से ज्यादा बिजली खर्च करने वाले पंप हाउसों को एस्को (एनर्जी सेविंग परफोर्मेंस कॉन्ट्रेक्टर) मॉडल से जोड़कर पीपीपी मोड पर दिए जाने के अब सुखद परिणाम आने लगे हैं। इनसे न केवल करोड़ों रुपए की बिजली खर्च बचाया जा रहा है बल्कि विभाग को भी अच्छी खासी आमदनी हो रही है।

प्रदेश भर में लागू करने की तैयारी बिना सरकारी वित्तीय सहायता के पुराने पंपों को बदलने और बिजली के बिलों में भारी बचत के लिए एस्को मॉडल की शुरुआत अगस्त, 2010 में की गई। जयसमन्द पेयजल परियोजना उदयपुर में एस्को मॉडल को पहली बार अपनाया गया। प्रदेश में बीजेपी सरकार आने के बाद एस्को मॉडल पर विशेष ध्यान दिया गया। वर्तमान में एस्को के जरिए करोड़ों रुपए का विद्युत खर्च बचाया जा रहा है।

नतीजतन प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी विभाग द्वारा एस्को मॉडल लागू करने की तैयारी की जा रही है। इन पेयजल परियोजनाओं पर हो रही बचत अब तक प्रदेश में 30 जल प्रदाय योजनाओं पर एस्को मॉडल को अपनाया गया है। इनमें से मुख्य रूप से कांकरोलिया घाटी-भीलवाड़ा, कायलाना-जोधपुर, डीडवाना-नागौर, लाडनू-नागौर, दौलतपुरा पाटन-नागौर, पीपाड, रायसी गांव-जोधपुर, शिवगंज-सिरोही, आबूरोड-सिरोही, रेवदर-सिरोही, रतनगढ-चूरू, राजलदेसर-चूरू, शहरी जल योजना-चूरू पर विद्युत खर्च में बचत की जा रही है। इसके अतिरिक्त भी कई अन्य स्थानों पर एस्को मॉडल अपनाए जाने से विद्युत बिल में प्रतिवर्ष 15 से 16 करोड रूपए की बचत की जा रही है।

करोड़ों की बचत और राजस्व अर्जन भी आंकडों की बात की जाए तो इस मॉडल के तहत जहां उदयपुर-जयसमंद पंप हाउस से लगभग 4 करोड़ रुपए की प्रतिवर्ष बिजली बचाई जा रही है, वहीं भीलवाड़ा और जोधपुर के कायलाना के पंप हाउसों पर भी हर साल लगभग सवा करोड़ रुपए की बिजली की बचत हो रही है। यही नहीं सरकार को संचालन एवं संधारण में होने वाले व्यय में भी बचत हो रही है। भरतपुर के बाद अब अजमेर, जोधपुर की बारी भरतपुर में एस्को मॉडल बेहतरीन तरीके से काम कर रहा है। इसके तहत भरतपुर शहर के विभिन्न पंप हाउसों के पुराने पंपसैटों को बदल दिया गया है, जिसके चलते न केवल शहर के पंपों की कायापलट हुई है बल्कि बचत में भी इजाफा दिखने लगा है।

जोधपुर के राजीव गांधी लिफ्ट परियोजना में एस्को मॉडल के तहत पम्पसैट बदलने का कार्य प्रगति पर है तथा जल्द ही विद्युत खपत में बचत के अच्छे परिणाम मिलने लगेंगे। गौरतलब है कि जलदाय विभाग के सालाना बजट का करीब 46 फीसदी हिस्सा विद्युत खर्च में ही चला जाता है। उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में 1244 करोड़, 2014-15 में 958 करोड़ और वर्ष 2013-14 में 876 करोड़ रुपए बिजली के बिलों पर खर्च हुए हैं।

ईईएसएल को बनाया सलाहकार पिछले दिनों भारत सरकार के उपक्रम एनर्जी एफिशियंसी सर्विसेज लिमिटेड ‘ईईएसएल’ को अजमेर जिले के विभिन्न पम्पिंग स्टेशनों पर स्थापित पुराने पम्पों का बदलने के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया है, जिसके तहत एस्को मॉडल पर पंप सैट बदलने कार्य के लिए निविदा प्रपत्र तैयार किए जा रहे हैं। इसके बाद प्रदेश के अन्य जिलों में पम्पों को बदलने का कार्य एस्को मोड पर दिए जा सकेंगे।

एक आकलन के अनुसार नए पम्प लगाने से अजमेर जिले में विभाग को लगभग तीन करोड़ रुपए की सालाना बचत होने का अनुमान है। क्या है एस्को मॉडल प्रदेश के ‘खर्चीले’ पंप हाउसेज पर लगाम लगाने के लिए एस्को (एनर्जी सेविंग परफोर्मेंस कॉन्ट्रेक्टर) मॉडल के लिए निजी कंपनियों से निविदाएं आमंत्रित कर नई तकनीक के पम्प लगाने और उनका संधारण कर संबंधित वाल्व, स्काडा, सिस्टम पैनल्स आदि बदलने का कार्य करवाकर विद्युत बिलों की बचत में हिस्सेदारी प्रस्तावित की जाती हैं। योजना के तहत निजी फर्म द्वारा पम्प हाउसों पर कम ऊर्जा खपत वाले पम्पसैट लगाकर बिजली की बचत की जावेगी।

फर्म द्वारा विद्युत बिल में बचत की न्यूनतम 10 प्रतिशत राशि विभाग को दी जाती है तथा शेष बचत में से विभाग तथा निजी फर्म के बीच हिस्सेदारी रहती है। इसके योजना के अन्तर्गत पम्पहाउस के संचालन एवं संधारण की पूर्ण जिम्मेदारी एस्को कम्पनी की रहती है। पम्पहाउसों के लिए विभागीय कर्मचारियों की आवश्यकता नहीं रहती है। वर्तमान में विभागीय कर्मचारियों की कमी के कारण संचालन एवं संधारण का कार्य कई स्थानों पर विभाग द्वारा निजी ठेकेदारों के माध्यम से करवाया जा रहा है। इस योजना के क्रियान्वयन से उक्त व्यय में भी बचत होगी।

—- (सेन्ट्रल न्यूज डेस्क फीचर)

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