उद्योग जगत की हस्‍तियों के साथ विचार विमर्श

उद्योग जगत की हस्‍तियों के साथ विचार विमर्श

पेसूका ———— पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के तौर-तरीकों के बारे में मुंबई में उद्योग जगत की कुछ हस्‍तियों के साथ विचार-विमर्श किया।

इस बैठक में इंडियन मर्चेंट्स चैंबर (आईएमसी), 150 वर्षों से भी अधिक इतिहास वाले देश के वाणिज्य एवं उद्योग चैंबर के सदस्‍यों और महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री श्री जय कुमार रावल ने भाग लिया।

इस अवसर पर, आईएमसी के अध्यक्ष श्री दीपक प्रेमनारायणन, पूर्व अध्‍यक्ष श्री प्रदीप चिनॉय, महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री श्री जय कुमार रावल, मुंबई के प्रमुख उद्योगपति और अन्‍य अनेक हस्‍तियों की उपस्‍थिति में महाराष्‍ट्र और देश के पश्‍चिमी हिससों से पूर्वोत्‍तर में पर्यटन और व्‍यापार निवेश को बढ़ावा देने के लिए मुंबई में पूर्वोत्‍तर डेस्‍क स्‍थापित करने का भी निर्णय लिया गया है।

इस अवसर पर डॉ जितेंद्र सिंह ने उनकी इन पहलों पर आईएमसी और प्रमुख उद्योगपतियों द्वारा पूर्वोत्‍तर में पर्यटन और व्‍यापार को बढ़ावा देने के कार्य में शामिल होने के लिए धन्‍यवाद दिया। उन्‍होंने कहा कि पूर्वोत्‍तर में देने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन इसका पता नहीं चल पाता है क्‍योंकि देश के अन्‍य हिस्‍सों में रहने वाले लोग इस बारे में जागरूक नहीं हैं या वे अपने उद्यमों के लिए इस क्षेत्र को सुविधाजनक नहीं मानते हैं।

उन्होंने कहा, यह एक अजीब विरोधाभास है कि मुंबई, महाराष्ट्र और गुजरात से बड़ी संख्या में पर्यटक बैंकॉक और काठमांडू जैसे नजदीकी विदेशी स्‍थलों की यात्रा करने को तो इच्‍छुक हैं, लेकिन उन्‍हें शिलांग या गंगटोक की यात्रा के बारे में प्रेरित नहीं किया जाता जबकि यहां कम वजट में अधिक अच्‍छी यात्रा का आनंद उठाया जा सकता है।

विडंबना यह है कि शिलांग जैसा बहुत सुंदर स्‍थल घरेलू पर्यटकों की तुलना में यूरोपीय और विदेशी पर्यटकों को कहीं अधिक आकर्षित करता है क्‍योंकि देश के अन्‍य भागों में इसके बारे में जागरूकता की कमी है।

भारत के पश्‍चिमी भागों और पूर्वोत्‍तर के मध्‍य औद्योगिक, पर्यटन और धार्मिक पर्यटन के लिए विशेष सर्किट विकसित करने की व्‍यापक संभावनाओं का जिक्र करते हुए उन्‍होंने चिकित्‍सा पर्यटन के विचार का प्रस्‍ताव किया जिसके लिए अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य चाहने वाले लोगों तथा मरीजों को आकर्षित करने के लिए मुंबई निश्‍चित रूप से एक सुसज्जित स्‍थान है।

वर्तमान में पूर्वोत्‍तर के ऐसे मरीजों को अन्‍य विकल्‍पों की जानकारी की कमी में तमिलनाडु के वैल्‍लोर जैसे दूर-दराज के स्‍थलों की यात्रा करनी पड़ती है। उन्‍होंने यह सुझाव दिया कि देश के अग्रणी कॉरपोरेट अस्पताल इस क्षेत्र के विभिन्न राज्यों में रेफरल क्लीनिक की स्थापित कर सकते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने पर्यटन को स्‍टार्ट-अप इंडिया कार्यक्रम से जोड़ने का विचार भी व्‍यक्‍त किया जिससे युवाओं को इस कार्य में जोड़ने के साथ-साथ रोजगार पैदा करने में भी मदद मिल सकती है। इसी प्रकार आज के युवा गैर-अन्‍वेषित स्‍थ्‍लों का अन्‍वेषण करने के इच्‍छुक हैं।

देश के अन्‍य भागों के युवाओं को पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में पर्यटन के लिए लाकर, पर्यटन विभाग और आईएमसी साहसिक पर्यटन, ट्रैकिंग पर्यटन आदि को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।

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