उद्यमों के वर्गीकरण

उद्यमों के वर्गीकरण

शिमला ——— मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर ने सालाना कारोबार के आधार पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के वर्गीकरण के लिए केन्द्रीय मंत्रिमण्डल के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे न केवल सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को लाभ पहुंचेगा बल्कि अब उनकी अपनी क्षमता के आधार पर भी इनका उचित वर्गीकरण किया जा सकेगा।

यह सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के वर्गीकरण का पारदर्शी उदाहरण है और यह उद्यमों के संचालन के स्तर को दर्शाता है ताकि उद्यमी बिना किसी भेदभाव के वह रियायतें व सुविधाएं पा सकें जिसके लिए वे पात्र है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘मेरा मानना है कि यह निर्णय व्यापार करने में सरलता लाएगा।

इस निर्णय से विशेष तौर से जीएसटी के लागू होने के बाद सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्रों की प्रगति को प्रोत्साहन मिलेगा। वहीं इस निर्णय से इस क्षेत्र में और अधिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि उद्यमियों के लिए उदारवादी मानदण्डों को भी स्थापित किया गया है।

अब पांच करोड़ रुपये अथवा इससे कम कारोबार के उद्यम को सूक्ष्म उद्यम के तौर पर वर्गीकृत किया जाएगा। इसी प्रकार, पांच करोड़ रुपये से अधिक तथा 75 करोड़ रुपये तक के कारोबार के उद्यम को लघु उद्यम तथा 75 करोड़ रुपये से 250 करोड़ रुपये तक के सालाना कारोबार करने वाले उद्यम मध्यम उद्यम की श्रेणी में आएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब उद्यमियों को स्वयं को साबित करने के लिए कठिन औपचारिकताओं से नहीं गुजरना पड़ेगा, क्योंकि अब कम्पनियां एक विशेष कारोबार सीमा हासिल करने के पश्चात् अपने आप एक उचित स्थान तक ले जा सकेगी।इस निर्णय से अवांछित औपचारिकताओं तथा जांच को रोकने में भी मदद मिलेगी।

उन्होंने केन्द्रीय बैंक के निर्णयों की भी सराहना की तथा नॉन परफार्मिंग एैसेट (एनपीए) की अवधि में शामिल करने से पहले सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों की कर्ज चुकाने की अवधि को वर्तमान के 90 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन करने की भी सराहना की।

इस निर्णय से कम्पनियों को कर्ज चुकाने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा तथा उद्योग क्षेत्र में और अधिक वित्तीय उदारता आएगी। इस निर्णय से मार्किट में लिक्विडिटी में वृद्धि होगी तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार के और अवसर प्रदान करने की सोच को बढ़ावा मिलेगा।

आमतौर पर भारत में बैंक तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय निगम लोन एकाउंट को 90 दिनों तथा 120 दिनों के दोष नियमों के आधार पर नॉन परफार्मिंग एैसेट (एनपीए) को परिभाषित करते थे।

केन्द्र सरकार के इस निर्णय की सराहना करते हुए उद्योग मंत्री श्री बिक्रम सिंह ठाकुर ने कहा कि इस पहल से औद्योगिक इकाइयों को लाभ पहुंचेगा, क्योंकि उद्यमियों को प्रदर्शन करने के लिए सामान्य तौर पर दी जाने वाली 90 दिनों की अवधि बहुत कम है।

उन्होंने आशा जताई कि केन्द्र सरकार राज्य सरकार द्वारा मांगी गई आवश्यक सुविधाएं प्रदान करेगी तथा दिए जाने वाले पैकेज व छूट की अवधि को भी बढ़ाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि भाजपा नेतृत्व की एनडीए सरकार में उद्योग क्षेत्र में अपार प्रगति हुई तथा राजस्व प्राप्ति के साथ-साथ रोज़गार में भी 88 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। .

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