- September 13, 2017
उत्तर भारतीयों के लिये गर्व काल -शैलेश कुमार
उत्तर भारतीये मंत्रियो पर गर्व है / गर्व इसलिए नहीं की वे गबन नहीं करते / गवन करने मे महारथ हासिल है/ सर्प दंश से मरे हुए को भी दुर्घटना बही पर लिखते है/ सरकार से सहायता राशि लेकर – डीसी और सीएमो लपेट लेते है/ -विख्यात हस्य कवि -सरदार प्रताप फौजदार के शब्दों में –10 वर्षों तक कुर्सी पर बिठाये रखा लेकिन प्रधानमंत्री महसूस नही होने दिया/
फिर भी गर्व इसलिए है की गबन के बगिया में वे कही नही दीखते है /
घोटाले का युग तो स्वतन्त्रता के साथ ही अंग्रेजो ने विदाई में दी / लेकिन आधुनिक भारतीये घोटाला के सुधारवादी निर्सिम्हा राव ने इस बगिया को सींच- सींच कर पुष्पित किया/
घोटाला मास्टर की नियुक्ति अब चिकित्सालय में हुआ है / आक्सिजन सिलिंडर अपने क्लिनिक में उपयोग कर चिकित्सालय में बच्चों को मारने कि उपाधि ले रहे हैं/
यह काल, घोटाला के शैशव काल था/ इसी काल में उत्तर भारत के मंत्रियो का चरित्र लांक्षित हुआ/ लांक्षित ही नहीं हुआ/ गाँधी के खाददी कुर्ता और टोपी सदा के लिए काली करतूतों से कालिख से पोत गया / यह उत्तर भारत के मंत्रियो के लिय सफेदियो का संक्रमण काल था / इससे पहले वे चादर ओढ़ कर घी पीया करते थे/ इस काल में उत्तर भारत में होटल , मोटल, घास , जमीन आदि का घोटालीकरण किया गया/
8 वर्षो के कार्यकाल में घोटाले का सुरसाईकरण हुआ / इस काल में दक्षिण के मंत्री सुरमा भोपाली बन गये/ वे सभी सीमाओं और बाधाओं को लांघते हुए देश को घोटाले के क्षितज पर आरोहित किया/ तू डाल- डाल, मै पात –पात / अपने उत्तरिये मंत्रियो को घोटाले से सुरक्षित देख कर और इनसे सीख लेकर वे इतने आगे बढ़ गये की जेल में भी पोर्न फरमाते रहे / अंगद के पाँव और करुणा की आंसू बराबर दिखे/
अब प्रश्न है की मै उत्तर भारत के मंत्रियो के घोटाले का प्रशंसक हूँ / सत्य यह है की ये लोग आदर्शवादी घोटालेवाज़ नहीं है / इन लोगो के लिए दिनचर्या बन गयी है / घोटाला, देश के अति संवेदनिये विभाग में भी हो रहा है/ कफ़न से लेकर ट्रेटा तक हो गया / आज खाने के चक्कर में कई फौजी को नौकरी से हटाया गया है/ इसमें भी इन मंत्रियों की अंगुलियाँ घी में डूबे है /
दक्षिण के सुरशेर रेड्डी बंधु है / जिनका हाथ कोयले से ही हिराइकरण हुआ / इन बंधुओ का हाथ जिसके सर पर पड़ा / सरकार उनकी बनी/ जैसे- हरियाणा की सरकार -इनेलौ, कांग्रेस–रामपाल, गुरमीत राम -रहीम के आशिर्वाद से बनते रहे/ जो इनलोगों से पंगा लिया,वे सत्ता के बिना मछली की तरह छटपटा रहे हैं/ वही सत्ता भोग रहे है/ घर घोटाला ,पानी घोटाला से लेकर अब कोयला घोटाला में भी रिकॉर्ड तोड़ चुके है/
उत्तर भारतीय क्यों पीछे रहे / ये तो गुरु है/ गुरुद्वारा में तो दक्षिणा दी जाती है/ चेला दक्षिणा जैसे भी दे / लेकिन देना है/ राजनीति के जिंदल कोयला में जिंदाल की उपाधि हासिल कर चुके है/ उत्तर भारतीय मंत्रियो के लिए यही काफी है/
मानसिकता में विपरीत बदलाव : –
कंपनी मालिक मजदूरों से काम करवा कर मजदूरी घाटोल जाते थे। ये तो अब भी जारी है
जीएसटी से पूर्व कई कंपनियों की कमाई नकली कंपनियों से हुआ करता था। लेकिन जीएसटी आने से नकली कंपनिया बंद हुई/
इसके लिए सरकार दोषी है। टैक्स घटोला करने देने वाली सरकार सही है लेकिन टैक्स लेकर विकास खर्च करने वाली सरकार गलत है/
अंत में सरकार बदली/नियत नही बदली/ पूर्वोत्तर सरकार कि नियुक्त और इजाफाई अफसर कुम्भकरणीय निद्रा में थे/ कई अफसर तो अपने वेतन से सीनियर आफिसर को कमीशन देकर मौज में रहते थे/ वे काम करने की आदत भूल चुके हैं/ टूटे -कटे और मरम्मतीकरण ट्रैक पर भी रेल दौडा देते हैं / बेचारे बदनाम रेलमंत्री होते है/
http://shailesh-kayastha.blogspot.com-
Posted 28th September 2012 by SHAILESH