उच्चतर न्यायिक सेवा नियम 1994 में संशोधन

उच्चतर न्यायिक सेवा नियम 1994 में संशोधन

मध्यप्रदेश में त्वरित और गुणवत्तापूर्ण न्याय उपलब्ध करवाने के लिये उच्चतर न्यायिक सेवा नियम 1994 में संशोधन किया गया है। साथ ही उच्चतर न्यायिक सेवा के स्वीकृत पदों में वृद्धि की गई है। फलस्वरूप अब इसमें 505 पद उपलब्ध है।

प्रमुख सचिव विधि श्री विरेन्दर सिंह ने बताया कि शेट्टी आयोग की अनुशंसाओं के आधार पर राज्य शासन ने जून 2005 में उच्च न्यायिक सेवा नियम को संशोधित करते हुए 25 प्रतिशत पदों को बार से सीधी भर्ती द्वारा भरने के लिये चिन्हित किया है। श्री सिंह ने बताया कि नियमों में संशोधन इसलिए किया गया है कि बार से सीधी भर्ती द्वारा योग्य उम्मीदवार उपलब्ध नहीं होते। पिछले 10 वर्ष के दौरान उच्चतर न्यायिक सेवा संवर्ग के कुल 394 विज्ञापित पद के विरूद्ध सिर्फ 37 उम्मीदवार ही बार से चयनित किये जा सके। आज की स्थिति में 505 पद की कुल स्वीकृत संख्या में से अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों के 90 न्यायालय रिक्त पड़े हैं। यदि इन पदों को भर लिया जाता तो औसत प्रतिवर्ष 55 हजार मुकदमों का निराकरण संभव था। संशोधन का मुख्य कारण यह सुनिश्चित करना भी था कि अधीनस्थ न्यायालयों में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश स्तर का कोई भी पद कम से कम निरंतर दो चयन प्रक्रियाओं के बाद रिक्त न रहे।

प्रमुख सचिव विधि ने कहा कि संशोधित नियमों में बार से सीधी भर्ती द्वारा भरे जाने वाले पदों का कोई न्यूनीकरण नहीं होगा। बार द्वारा सीधी भर्ती से पदों को भरने के लिये केवल एक समय सीमा निर्धारित की गई है। निरंतर दो चयन प्रक्रियाओं के बावजूद यदि ऐसे पद रिक्त रहते हैं तो उन्हें मेरिट के आधार पर वास्तव में उन व्यवहार न्यायाधीशों (वरिष्ठ वर्ग) से भरा जायेगा, जिन्होंने कुल मिलाकर 7 वर्ष की न्यायिक सेवा ओर 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर ली है। बार से सीधे नई भर्ती के लिये मौजूदा प्रक्रिया से प्रत्येक स्तर पर न्यायसंगत और पारदर्शिता सुनिश्चित होती है। प्रारंभिक परीक्षा ऑनलाइन संचालित की जाती है और संपूर्ण डाटा वास्तविक समय के आधार पर संरक्षित रखा जाता है।

पिछले कई वर्ष में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने अधिवक्ताओं को न्यायिक सेवा की मुख्य धारा में शामिल करने में प्रेरित करने के लिये ईमानदारी से प्रयास किया जा रहा है।

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