आलू एवं शीतोष्ण उद्यानिकी अनुसंधान संस्थान मैनपाट

आलू एवं शीतोष्ण उद्यानिकी अनुसंधान संस्थान मैनपाट

राज्य सरकार ने सरगुजा जिले के मैनपाट में संचालित आलू एवं शीतोष्ण अनुसंधान संस्थान के लिए नया भवन बनवाने का निर्णय लिया है। इसके लिए नये वित्तीय वर्ष 2016-17 के बजट में एक करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।

कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने आज यहां बताया कि सरगुजा इलाके के सरगुजा जिले के मैनपाट, जशपुर जिले के जोगापाट और सन्नापाट तथा बलरामपुर जिले के सामरीपाट में आलू की खेती बहुतायत मात्रा में खरीफ मौसम में होती है। पिछले खरीफ मौसम में सात हजार एकड़ में आलू की खेती की गई ।152CC

किसानों को उन्नत तकनीक की जानकारी देने और उन्हें विभिन्न प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराने की दृष्टि से राज्य सरकार ने मैनपाट में आलू अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने छह सितम्बर 2013 को मैनपाट में अनुसंधान केन्द्र का भूमिपूजन किया था। श्री अग्रवाल ने बताया कि सरगुजा संभाग की जलवायु आलू की खेती के लिए अनुकूल है।

लगभग पांच दशक पहले सरगुजा क्षेत्र के पहाड़ी क्षेत्रों में तिब्बती शरणार्थियों द्वारा आलू की खेती शुरू की गयी। इसके बाद स्थानीय किसानों ने भी आलू की खेती को अपनाया। तीन-चार पहले तक यहां के किसान खाने वाले सामान्य आलू को ही बीज के रूप में उपयोग करते थे। लगातार इस प्रकार के बीज के उपयोग  के कारण पहाड़ी क्षेत्रों की मिट्टी दूषित हो गयी थी और आलू की फसल में हर साल बीमारियां लगती थीं। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता था। कृषि मंत्री ने बताया कि सरगुजा क्षेत्र के आलू उत्पादक किसानों की समस्याओं को देखते हुए प्रदेश सरकार ने मैनपाट में आलू अनुसंधान के केन्द्र खोलने का निर्णय लिया।

उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश के शिमला में स्थापित केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों को बुलाकर स्थानीय आलू उत्पादक किसानों को आधुनिक और उन्नत तौर तरीकों से आलू की खेती करने का प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा देश भर से उन्नत किस्म के आलू बीज मंगवाकर मैनपाट के अनुसंधान केन्द्र में परीक्षण कराया गया।

कृषि मंत्री ने बताया कि सरगुजा अंचल के ठंडे मौसम में नासपाती, आडू, आलूबुखारा, सेव आदि फलों की खेती की व्यापक संभावनाएं हैं। इसलिए प्रदेश सरकार ने आलू अनुसंधान केन्द्र को शीतोष्ण उद्यानिकी अनुसंधान केन्द्र बनाने का भी निर्णय लिया। ठंडे मौसमी फलों के पौधे कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और पुणे से लाकर मैनपाट के अनुसंधान केन्द्र में लगाए गए हैं। अनेक पौधों में फल भी आने लगे हैं।

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