- October 5, 2018
आजीविका संवर्धन परियोजना –13 जिलों के 28 विकासखण्डों में संचालित
रायपुर———पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री आर.पी. मण्डल ने आज यहां न्यू सर्किट हाऊस में उच्च-प्रभावी मनरेगा वाटरशेड प्रबंधन परियोजना का शुभारंभ किया।
इस दौरान वाटरशेड प्रबंधन से गरीबों के आजीविका संवर्धन में योगदान के लिए छत्तीसगढ़ शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, भारत रूरल लाईवलीहुड फाउंडेशन नई दिल्ली और एक्सिस बैंक फाउन्डेशन मुम्बई के बीच समझौता ज्ञापन(एमओयु) हुआ।
समझौता ज्ञापन पर छत्तीसगढ़ पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव और एवं राज्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना(मनरेगा) आयुक्त श्री पी.सी.मिश्रा, भारत रूरल लाईवलिहुड फाउन्डेशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री प्रमथेश अम्बश्ट और एक्सिस बैंक फाउन्डेशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री जेकब नायनन ने हस्ताक्षर किया।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और भारत रूरल लाईवलिहुड फाउन्डेशन के संयुक्त तत्वाधान में जलागम(वाटरशेड) प्रबंध परियोजना संचालित की जा रही है। परियोजना की अवधि चार वर्षों के लिए होगी। यह परियोजना राज्य के 13 जिलों के 28 विकासखण्डों में संचालित की जाएगी।
अपर मुख्य सचिव श्री मंडल ने इस मौके पर कहा कि परियोजना का प्रमुख उद्देश्य गरीबों और सीमांत किसानों के आय में वृद्धि करना है। गरीबी रेखा से नीेचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को शासन की योजनाओं के समन्वय(कन्वर्जेंस) से अतिरिक्त आमदानी दिलाने के लिए जमीनी स्तर पर प्राथमिकता के साथ कार्य करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि गरीबों और पिछड़े परिवारों के आजीविका संवर्धन के लिए प्रदेश के चयनित 28 विकासखण्डों मे परियोजना का क्रियान्वयन किया जाएगा। श्री मंडल ने कहा कि परियोजना परिणाममूलक तभी होगी जब हम सबके काम करने से किसी गरीब परिवार के आय में वृद्धि हो। उन्होंने गरीब परिवारों के मूल व्यवसाय के साथ ही अतिरिक्त आमदानी के स्थायी तरीका इजाद करने पर बल दिया।
पंचायत विभाग के प्रमुख सचिव श्री मिश्रा ने बताया कि गरीब क्षेत्रों में रहने वाले सबसे ज्यादा जरूरतमंद समुदायों तक पहुंचना परियोजना का लक्ष्य है। विकासखण्डो का चयन वर्ष 2011 के सामाजिक आर्थिक जनगणना से प्राप्त स्थान के साथ-साथ सिंचाई विकास और नीति अयोग के आकांक्षी (एस्पिरेशनल) जिले में शामिल है कि नही जैसें मापदण्डों के आधार पर किया गया है। परियोजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए विश्वसनीय स्वयं सेवी संस्थाओ क सहयोग लिया जाएगा।
चयनित स्वयं सेवी संस्थाएं मनरेगा के तहत मृदा व जल सरंक्षण कार्यो के नियोजन तथा कार्यान्वयन में ग्राम पंचायतों को तकनीकी सयहोग प्रदान करेगी। परियोजना के चार वर्षाें में राज्य के अनुमानित 7.29 हेक्टेयर जमीन पर उपचार कार्य प्रस्तावित है। जिससे 3.5 हेक्टेयर कृषि भूमि को सुरक्षात्मक सिंचाई मिल सके और लगभग एक लाख अति गरीब परिवारों की आजीविका स्थिति में स्थायी और टिकाउ परिवर्तन संभव हो। परियोजना के लिए धनराशि मनेरगा मद से उलब्ध करायी जाएगी। कार्यक्रम में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के संचालक श्री नीलेश क्षीरसागर सहित विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
परियोजना में सरगुजा जिले के विकासखण्ड लूण्ड्रा और बतैाली, सूरजपुर जिले के प्रतापपुर और भैयाथान, रायगढ़ जिले के घरघोड़ा और सारंगढ़, कोरबा जिले के पाली और पोड़ी-उपरोड़ा, कोरिया जिले के भरतपुर और मनेन्द्रगढ़, धमतरी जिले के कुरूद और मगरलोड, बलरापुर जिले के शंकरगढ़ और कुसमी, कांकेर जिले के नरहरपुर,चारामा, दुर्गकोंदल और भानुप्रतापपुर, नारायाणपुर जिले के विकासखण्ड नारायणपुर और ओरछा, सुकमा जिले के छिंदगढ़ और विकासखण्ड सुकमा शामिल है।
बस्तर जिले के विकासखण्ड बकावंड और जगदलपुर, दंतेवाड़ा जिले के विकासखण्ड दंतेवाड़ा और कुआकोंडा तथा कवर्धा जिले के विकासखण्ड बोड़ला और पंडरिया परियोजान में शामिल किया गया है।