अति-कुपोषण : यूनीसेफ व गैन के साथ एमओयू

अति-कुपोषण : यूनीसेफ व गैन के साथ एमओयू

जयपुर-  चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ की मौजूदगी में सोमवार को अपरान्ह स्वास्थ्य भवन में विशिष्ठ शासन सचिव एवं मिशन निदेशक श्री नवीन जैन द्वारा प्रदेश के 13 जिलों में अति-कुपोषण दूर करने के लिये यूनीसेफ, गैन एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मध्य एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किया गया।

एम.ओ.यू. पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक श्री नवीन जैन, यूनीसेफ के स्टेट चीफ श्री सैम्युल मावेगेन्जा एवं गैन के कन्ट्री मैनेजर एवं सीनियर एडवाईजर साउथ एशिया श्री राजन शंकर ने हस्ताक्षर किये।

श्री राठौड़ ने बताया कि इस वर्ष के बजट में मुख्यमंत्री द्वारा कुपोषित उपचार केन्द्रों के दायरे से बाहर के अति-कुपोषित बच्चों के लिए समुदाय आधारित अति कुपोषित का प्रबंधन कार्यक्रम चलाने की घोषणा की गयी थी। इस कार्यक्रम के तहत चरणबद्घ रूप से 13 उच्च प्राथमिकता वाले तथा जनजातीय जिलों के 10 हजार बच्चों को जोड़ा जायेगा।

चिकित्सा मंत्री ने बताया कि वर्तमान में राज्य में 10 शैय्याओं वाले 40 कुपोषण उपचार केन्द्र एवं 6 शैय्याओं वाले 107 कुपोषण उपचार केन्द्र है। इन कुपोषण उपचार केन्द्रों पर वर्ष 2014-15 में 9 हजार 891 शिशुओं का उपचार किया गया है।

प्रदेश के समस्त कुपोषित बच्चों को स्वास्थ्य सेवायें सुलभ कराने के लिये समुदाय आधारित रणनीति को अपनाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि अनुसंधानों एवं परीक्षणों द्वारा यह प्रमाणित हो गया है कि अति गंभीर कुपोषण से ग्रस्त बच्चों का अस्पताल अथवा चिकित्सीय आहार केन्द्र में भर्ती किये बिना भी समुदाय के बीच रखकर सफलता पूर्वक उपचार किया जा सकता है।

श्री राठौड़ ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार समुदाय आधारित रणनीति के तहत बच्चों में व्याप्त गंभीर कुपोषण की जल्द से जल्द पहचान कर उनमें से चिकित्सीय जटिलता रहित बच्चों को तैयार आहार एवं अन्य उच्च पोषण युक्त खाद्य पदार्थ घर पर देकर उपचार किया जा सकता है। इसके साथ ही आवश्यकतानुसार अस्पताल आधारित सेवा के साथ समन्वित कर हजारों अति-कुपोषित बच्चों की जान बचाई जा सकती है।

इस एम.ओ.यू. अनुसार राज्य के 10 हाई प्रायोरिटी जिलों एवं 3 जनजातीय जिलों के 10 हजार बच्चों को इस कार्यक्रम में जोड़ा जायेगा।

ग्लोबल एलायंस फॉर इम्प्रूड न्यूट्रीशन के कन्ट्री मैनेजर श्री राजन शंकर ने बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ”गैन” का मुख्य उद्देश्य विश्व को कुपोषण से मुक्त करना है। यह संस्था सरकार एवं सामाजिक संस्थाओं के साथ गठबंधन कर छोटी बच्चियों व महिलाओं सहित कुपोषण जैसी जटिल समस्या से लडऩे एवं उसके समाधान में सहायता प्रदान करती है।

वर्तमान में प्रदेश में पिछले 4 वर्षो से यह संस्था माइक्रोन्युट्रीएन्ट युक्त फोर्टिफाइड गेहूं का आटा, फोर्टिफाइड ऑयल एवं फोर्टिफाइड दूध उपलब्ध कराने में अपना सहयोग प्रदान करते हुए कुपोषण से होने वाली शिशु-मृत्यु की रोकथाम पर कार्य कर रही हैं।

यूनीसेफ के स्टेट चीफ श्री सैम्युअल ने बताया कि यूनिसेफ टीकाकरण, आयोडिन डिफिसेन्सी, मलेरिया हेतु डी.डी.टी प्लान्ट बनाने, गिनी वर्म उन्मूलन कार्यक्रम, शिशु-मृत्यु दर एवं मातृ-मृत्यु दर कम करने में अपना तकनीकी एवं वित्तीय सहयोग समय-समय पर प्रदान कर रहा है।

राज्य में यूनिसेफ कोल्ड चैन हैन्डलर प्रशिक्षण, पेन्टावेलेन्ट वैक्सीन लान्च, मिशन इन्द्रधनुष, कुपोषण की रोकथाम आदि में सहयोग करने के साथ ही न्युबोर्न केयर एवं मातृ स्वास्थ्य में निरन्तर सहयोग कर रहा है। इसके अतिरिक्त आर.एम.एन.सी.एच+ए कार्यक्रम के अन्तर्गत राज्य के 4 प्राथमिकता वाले जिलों (बासवाड़ा, जालौर, डूंगरपुर एवं बाड़मेर) में अपना तकनीकी सहयोग दे रहा है।

मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन श्री नवीन जैन ने बताया कि ”गैन” द्वारा राज्य के 5 हजार बच्चों को इस कार्यक्रम से जोडऩे हेतु तकनीकी एवं वित्तीय सहयोग देने की सहमति एवं आवश्यकतानुसार इसे भविष्य में बढ़ाये जाने पर अपनी सहमति दी गयी। यूनिसेफ द्वारा इस सम्पूर्ण कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग प्रदान करने की सहमति दी गयी है।

इस अवसर पर यूनीसेफ के स्टेट चीफ सैम्युल मावेगेन्जा, ”गैन” के एक्जीक्युटिव डायरेक्टर श्री मार्क वेन अमेरिगन सहित संबंधित अधिकारीगण मौजूद भी उपस्थित थे।

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