- February 27, 2015
स्वास्थ्य अधिकारी महिला उत्पीड़न के मामलों में संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ कार्यवाही करें
छत्तीसगढ़ – राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष सुश्री लता उसेंडी ने कहा है कि स्वास्थ्य अधिकारी महिला उत्पीड़न के मामलों में संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ कार्यवाही करें। इस तरह के मामलों में पीड़ितों की जांच और इलाज उन्हें न्याय दिलाने की अहम कड़ी है।
कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न के पीड़ितों को न्याय दिलाने में नियोक्ता के साथ ही स्वास्थ्य अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सुश्री उसेंडी ने आज यहां नया रायपुर स्थित मंत्रालय (महानदी भवन) में छत्तीसगढ़ महिला आयोग और स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में इस आशय के विचार व्यक्त किए। कार्यशाला में संचालक स्वास्थ्य श्री प्रसन्ना आर. भी उपस्थित थे।
कार्यशाला में प्रदेश के सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों तथा जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संबंधित कानूनों की जानकारी दी गई। कार्यशाला में महिला आयोग की सदस्य श्रीमती हर्षिता पाण्डेय ने कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा और इसमें स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया। इस दौरान प्रतिभागियों को दंड विधि (संशोधन) अधिनियम 2013 के विभिन्न प्रावधानों और उसमें स्वास्थ्य अधिकारियों की भूमिका के बारे में बताया गया। कार्यशाला में कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए बेहतर सुरक्षा के उपायों पर भी चर्चा की गई।
कार्यशाला में बताया गया कि महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोषण) अधिनियम 2013 के तहत कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न के मामलों की शिकायत के लिए ऐसे सभी कार्यालयों और संस्थानों में जहां दस से अधिक लोग काम करते हैं, आंतरिक परिवाद समिति का गठन अनिवार्य है।
जिला स्तर पर स्थानीय परिवाद समिति के गठन का भी प्रावधान इस कानून के अंतर्गत है। कलेक्टर, अपर कलेक्टर अथवा डिप्टी कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित स्थानीय परिवाद समिति में दस से कम कर्मचारियों वाले स्थापनाओं में लैंगिक उत्पीड़न की घटनाओं की शिकायत की जा सकती है।