सूखा और गीला कचरा के लिये अलग-अलग डस्टविन–पर्यावरण मित्र ०००-रोडवेज बस से हेल्पलाइन गायब

सूखा और गीला कचरा के लिये अलग-अलग डस्टविन–पर्यावरण मित्र ०००-रोडवेज बस से हेल्पलाइन गायब

फिरोजाबाद (विकासपालिवाल)——— नगर निगम फिरोजाबाद में फिरोजाबाद शहर को स्वच्छ रखने के उद्देश्य से एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में नगर निगम के सभी अधिकारी उपस्थित थे। गोष्ठी में पर्यावरण मित्र ने कचरा प्रबन्धन से सम्बन्धित आॅडियो विजुअल दिखाया। 1त्येक घर में सूखा और गीला कचरा अलग-अलग डस्टविन में रखा जाता है।

संस्था का सफाई कर्मचारी गीला कचरा अलग से एकत्रित कर सीधे खाद क्षेत्र पहुँचा देता है। नगर आयुक्त ने अपने सम्बोधन में कहा कि उनका अभियान फिरोजाबाद नगर को स्वच्छ बनाना है और वह इस अभियान के साथ जुड़े हुए सभी लोगों का धन्यवाद करते हैं।

में जिलाधिकारी ने शहर में स्वच्छता जागरूकता पैदा करने के लिए पर्यावरण मित्र संस्था और कल्पतरू ट्रस्ट को ब्राण्ड अंबेसडर बनाया । इसके अंतर्गत दोनों संस्थाओं को जिम्मेदारी दी गई कि वह च्स्रोत से ही कूडे का प्रथक्करणज् के सम्बन्ध में लोगों को गीला कूड़ा अलग तथा सूखा कूड़ा अलग करने की जानकारी दें।

रोडवेज बस से हेल्पलाइन गायब——-–फिरोजाबाद– प्रदेश की योगी सरकार काफी आदेश व कार्यों को कर रही हैं, लेकिन धरातल तक इनका पूरी तरह से पालन नहीं हो रहा है। नीचे बैठे हुए अधिकारी एवं कर्मचारी आदेशों को ठेंगा दिखा रहे है।

परिवहन विभाग की बात की जाय, तो सीएम योगी ने इसमे बदलाव लाने व यात्रियों को सहूलात देने की बात कही थी, लेकिन एसा नहीं हो पा रहा है। विभाग द्वारा यात्रियों के लिए बसों में लिखाये गये हेल्पलाइन नम्बर गायब है या फिर उन्हें गायब कर दिया गया है। आज इस पर किसी की नजर क्यों नहीं जा रही है ?

प्रदेश में योगी की सरकार बनने के बाद में लोगों ने सोचा था कि अब एक्शन होगा, लोगों को सहूलत मिलेगी, क्राइम पर पावंदी लगेगी, लेकिन आज लोगों की सोच गलत सावित हो रही है। योगी के आदेशों को नीचे बैठे लोग ज्यादा तबज्जो नहीं दे रहे हैं। यूपी परिवहन विभाग की बात की जाये, तो शुरू में कुछ बदलाव दिखाई दिया था लेकिन अब राम भरोसे की स्थिति बन चुकी है।

विभाग की बसों में लिखे हुए हेल्पलाइन नंबर कुछ बसों से गायब हैं या फिर मिटा दिए गये है। इटावा डिपो की एक बस को ही ले लो , इसमे ड्राईवर सीट के पीछे लिखे हुये हेल्पलाइन नंबर व एआरएम के नंबर को पेंट से पोत दिया गया। आखिर ऐसा किसने किया ? क्यों नम्बरों को हटाया गया ? ये केवल एक बस की बात नहीं है, बल्कि कई बसों में एसा नजारा देखने को मिल सकता है।

कहीं विभाग के लोगों को ये डर तो नहीं सता रहा कि कहीं उनकी पोल कोई यात्री न खोल दे। दूसरी तरफ देखा जाये तो यदि कोई ड्राईवर या कंडेक्टर या कोई अन्य व्यक्ति गलत कार्य करता है, तो फिर यात्री कोन सा नम्बर डायल करे। आज विभाग के एसी रूम्स में बैठे अधिकारीयों को इस ओर ध्यान देने की जरुरत है। साथ ही एक्शन में आने की जरुरत है।

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