- March 30, 2016
सिडनी में मेक इन इंडिया कांफ्रेंस
अपने उद्घाटन भाषण में वित्त मंत्री ने भारत सरकार द्वारा ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत व्यापार को आसान करने और देश में निवेशक पसंद माहौल बनाने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों पर प्रकाश डाला। उन्होंने देश के नौजवानों को रोजगार सुनिश्चित कराने के लिए निर्माण क्षेत्र के वृद्धि की जरूरत पर जोर दिया।
श्री जेटली ने सरकार द्वारा लालफीताशाही खत्म करने, नियमों और कार्यवाहियों के सरलीकरण तथा डिलाइसेसिंग समेत व्यापार करने के माहौल निर्माण के लिए उठाए गए ठोस कदमों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि सरकार कराधान को पारदर्शी, अस्थायी और आशानुरूप बनाने की दिशा में काम कर रही है।
वित्त मंत्री ने कहा कि मेक इन इंडिया आज तक का भारत का सबसे बड़ा ब्रांड बन गया है। उन्होंने कहा भारत दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला बड़ा आर्थिक विकास वाला देश बन गया है। विश्व के कई एजेंसियों और संस्थानों ने भारत को निवेश की दृष्टि से सबसे आकर्षक देश का दर्जा दिया है।
उन्होंने मौजूदा सरकार द्वारा विशेषतौर पर अन्य क्षेत्रों के अलावा रेलवे, रक्षा सेवा और निर्माण के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए उठाए गए कदमों का भी जिक्र किया। श्री जेटली ने बताया राष्ट्रीय निवेश और संरचना कोष (एनआईआईएफ) का गठन किया गया है जो पेशेवर तरीके से व्यावसायिक रूप से संभव बुनियादी ढांचों की परियोजनाओं का प्रबंधन करेगा।
बाद में भारत में व्यापार करने पर एक समापन सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में सरकार की नीतियों, सुधारों और कराधान से संबंधित मामलों पर चर्चा की गई। एक दिवसीय सम्मेलन के दौरान खनन और संसाधन, कृषि व्यवसाय और स्मार्ट सिटीज और शहरी निराकरण पर तीन समानान्तर सत्र का भी आयोजन किया गया।
मेक इन इंडिया कांफ्रेंस के दौरान ऑस्ट्रेलिया के विशेष व्यापार दूत श्री एन्ड्रयू रोब, भारत के उच्चयुक्त श्री नवदीप सुरी, न्यू साउथ वेल्स के पर्यटन और वृहत कार्यक्रम के संसदीय सचिव श्री जोनाथन ओडिया, औद्योगिक नीति और योजना विभाग (डीआईपीपी) के संयुक्त सचिव श्रीमती कल्पना अवस्थी तथा सीआईआई के अध्यक्ष श्री सुमित मजूमदार ने भी अपने विचार रखे।
इस कार्यक्रम का आयोजन औद्योगिक नीति और योजना विभाग (डीआईपीपी), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, सिडनी में भारतीय महावाणिज्य दूतावास, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और आस्ट्रेड द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। इसमें बड़ी संख्या में भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई उद्योग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।