समाज के आखिरी पायदान से शीर्ष तक नरेंद्र मोदी का सफर—- मुरली मनोहर श्रीवास्तव

समाज के आखिरी पायदान से शीर्ष तक नरेंद्र मोदी का सफर—- मुरली मनोहर श्रीवास्तव

दुनिया का कोई भी काम छोटा नहीं होता है, किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व उसके कर्मों से निर्धारित होता है जो उसके अस्तित्व को एक नयी पहचान देता है। हम बात कर रहे हैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी की। जो कभी अपने पिता का चाय बेचने में सहयोग किया करते थे वो आज देश के शीर्ष पर बैठकर समाज के आखिरी पायदान पर रहने वाले हर इंसान को उनका हक मिलता रहे इसके लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं।

जिस उम्र में लोग घूमने में बीताते हैं उस 17 वर्ष की उम्र में नरेंद्र मोदी घर छोड़कर स्वामी विवेकानंद को अपना आराध्य मानकर देश के भ्रमण पर निकल गए। भारत के विशाल भू-भाग में यात्राएं कीं और देश के विभिन्न भागों की विभिन्न संस्कृतियों से परिचित हुए और जन-जन की समस्यायों से अवगत हुए। इसी दौर में आध्यात्मिक जागृति के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक बन गए। उन्हें संगठन कौशल और जन सेवा तथा राष्ट्र धर्म के महत्व को करीब से समझने का सौभाग्य मिला।

जिम्मेदारी के महत्व को समझाः

महात्मा गांधी और सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमि गुजरात के लाल विश्व के सबसे अधिक जनसमर्थन वाले प्रधानमंत्री बनकर उभरे नरेंद्र मोदी। 70 के दशक में अहमदाबाद (गुजरात) लौटे और 1971 में संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। देश में 1975 में आपातकाल के दौरान वेश बदलकर मोदी को भूमिगत भी होना पड़ा था। 1985 में ये भाजपा से जुड़ गए और 2001 तक पार्टी में कई अहम पदों को संभालने का मौका भी मिला।

गुजरात के भुज में 2001 में आयी भूकंप ने गुजरात के इतिहास को तो बदला ही नरेंद्र मोदी के लिए नई इबारत लिख डाली। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के अस्वस्थ्य होने की वजह से कुर्सी छोड़नी पड़ी और नरेंद्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंप दी गई। 2002 में हुई गुजरात दंगों में उनके ऊपर कई तरह की हवाएं उड़ीं, आलोचनाएं हुईं, मगर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) को अभियोजन पक्ष की कार्यवाही शुरू करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला। साथ ही मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी की नीतियों को आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने वाला माना गया।

जब भाजपा के नए प्रयोग ने लहराया जीत का परचमः

समय बदला, सोच बदली, देश विकास की राहों से भटक गया था। उस वक्त देश में बदलाव का दौर आया। 2014 में लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक नया प्रयोग किया और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का चेहरा बनाकर पेश किया। नतीजा भारत की प्रमुख विपक्षी भारतीय जनता पार्टी 282 सीटें जीतकर सत्ता पर काबिज हुई। नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के वाराणसी और गुजरात के वडोदरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े और दोनों जगह से अपनी जीत दर्ज़ करायी। इसके साथ ही देश में लंबे समय तक सत्तारुढ़ रहने वाले दल को उस वक्त एक बार और बड़ा झटका लगा जब 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने मोदी के नेतृत्त्व में 303 सीटों पर कब्जा जमाया। अगर भाजपा के समर्थक दलों यानी एनडीए के सीटों की बात करें तो कुल 352 सीटों के साथ 30 मई 2019 को मोदी देश के दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।

वडनगर को दुनिया में किया शुमारः

नरेंद्र मोदी का जन्म आजादी के बाद यानी 17 सितम्बर 1950 को दामोदरदास मोदी और हीराबेन के घर हुआ था। नरेंद्र मोदी का बचपन राष्ट्र सेवा की एक ऐसी विनम्र शुरुआत है, जो यात्रा अध्ययन और आध्यात्मिकता के जीवंत केंद्र गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर की गलियों से शुरू होती है। ऊर्जावान, समर्पित एवं दृढ़ निश्चयी नरेन्द्र मोदी प्रत्येक भारतीय की आकांक्षाओं और आशाओं के केंद्र बिंदु हैं। पंडित दीन दयाल उपाध्याय के दर्शन से प्रेरणा लेकर प्रधानमंत्री देश के अंतिम पायदान पर खड़े हर एक व्यक्ति के समग्र विकास के लिए समर्पित हैं। नव भारत के निर्माण की नींव रखने वाले मोदी आज की तारीख में करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों का चेहरा हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए गुजराती भाषा में 67 कविताओं की कविता संग्रह है ‘साक्षी भाव’ जिसमें जगतजननी मां से संवाद रूप में व्यक्त उनके मनोभावों का संकलन भी है।

त्याग औऱ उत्थान के प्रतिमूर्तिः

मानवता और राष्ट्र की सेवा में अबतक दुनिया में त्याग और मानवता के उदाहरण नरेंद्र मोदी, जो अपने व्यक्तिगत फंड से 103 करोड़ रुपये दान कर चुके हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मिले सभी उपहारों की 89.96 करोड़ रुपये में हुई नीलामी को कन्या केलवनी फंड में दान दे दिया। प्रधानमंत्री का पद पहली बार संभालने के साथ अपने निजी बचत के 21 लाख रूपये गुजरात सरकार के कर्मचारियों की बेटियों की पढ़ाई के लिए, 2015 में मिले उपहारों की नीलामी से जुटाए गए 8.35 करोड़ रुपये नमामि गंगे मिशन को, 2019 में कुंभ मेले में अपने निजी बचत से 21 लाख रुपये स्वच्छता कर्मचारियों के कल्याण के लिए बनाए गए फंड को, 2019 में ही साउथ कोरिया में सियोल पीस प्राइज़ में मिली 1.3 करोड़ की राशि को स्वच्छ गंगा मिशन को दान कर दिया। वहीं स्मृति चिन्हों की नीलामी में 3.40 करोड़ रुपये एकत्र किए गए राशि को भी नमामि गंगे मिशन को सौंप दिया। जबकि पीएम केयर्स फंड के लिए 2.25 लाख रुपये दिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा ‘ की भावना से समाज और सेवा करने के लिए समर्पित हैं।

‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का सपना होगा साकारः

नरेंद्र मोदी के राजनीतिक दर्शन का मूलमंत्र अंत्योदय है। गरीब, मजदूर, किसान और जन-जन की चिंता करने वाले ‘अन्नदाता सुखी भवः’ की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। भ्रष्टाचार मुक्त, पारदर्शी, नीति आधारित प्रशासन की संकल्पना, सबको पक्का घर, चौबीस घंटे बिजली, पीने का स्वच्छ पानी, गांव-गांव तक सड़क, इंटरनेट के साथ शिक्षा, स्वस्थ्य, रोजगार के लिए ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का सपना साकार करने का काम कर रहे हैं। मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, फिट इंडिया, स्वच्छ इंडिया, टीम इंडिया जैसी सैकड़ों योजनाओं और अभियानों के माध्यम से सामूहिक प्रयत्नों से न्यू इंडिया का निर्माण कर रहे हैं।

मुझे याद है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल को कोरोना वायरस को लेकर राष्ट्र को संबोधित करते हुए यजुर्वेद के एक श्लोक को कहा था- ‘वयं राष्ट्रे जागृत्य’, अर्थात हम सभी अपने राष्ट्र को शाश्वत और जागृत रखेंगे। आज यह पूरे राष्ट्र का, जन-जीवन का संकल्प बन चुका है। जबकि 5 अगस्त को अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा ‘राम काज किन्हें बिनु, मोहि कहां विश्राम’। नव भारत और आत्मनिर्भर भारत के सपनों को लेकर एक श्रेष्ठ और समर्थ भारत के निर्माण को संकल्पित व समर्पित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 70 वें जन्मदिन पर हार्दिक बधाई।

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