वर्ष 2016 की समीक्षा — स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की पहल कदमियां व उपलब्धियां:

वर्ष 2016 की समीक्षा — स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की पहल कदमियां व उपलब्धियां:

1. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए)

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) का लक्ष्य सुरक्षित गर्भावस्था व सुरक्षित प्रसव के जरिये मातृ व शिशु मृत्युदर को कम करना है। इस राष्‍ट्रीय कार्यक्रम के जरिए देश भर में लगभग 3 करोड़ गर्भवती महिलाओं को विशेष मुफ्त प्रसव पूर्व देखभाल मुहैया कराई जा रही है, ताकि उच्‍च जोखिम वाले गर्भधारण का पता लगाने के साथ-साथ इसकी रोकथाम की जा सके। इस देशव्यापी कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं को संपूर्ण व गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व देखभाल व जांच के लिए हर महीने की 9 तारीख का दिन निर्धारित किया गया है।

गर्भवती महिलाएं अब सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर अपनी दूसरी या तीसरी तिमाही में स्त्री रोग विशेषज्ञों/चिकित्सकों द्वारा मुहैया कराए जाने वाले विशेष प्रसव पूर्व चेक-अप का लाभ उठा सकती हैं। यह सुविधा निजी क्षेत्र के डॉक्‍टरों के सहयोग से मुहैया कराई जा रही है, जो सरकारी क्षेत्र के प्रयासों के पूरक के तौर पर उपलब्‍ध होगा।

इसमें ग्रामीण एवं शहरी दोनों ही क्षेत्रों में चिन्‍हित स्‍वास्‍थ्‍य सेवा केंद्रों पर सामान्‍य प्रसव पूर्व चेक-अप के अलावा अल्ट्रासाउंड, रक्त और मूत्र परीक्षण सहित इन सेवाओं को उपलब्‍ध कराया जाएगा। इसका एक उद्देश्‍य उच्‍च जोखिम वाले गर्भधारण का पता लगाना और इस दिशा में समुचित कदम उठाना है, ताकि एमएमआर और आईएमआर में कमी संभव हो सके।

2. मां- माता का पूरा प्यार

स्‍तनपान को बढ़ावा देने व इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया गया। कार्यक्रम का नाम ‘एमएए’ स्‍तनपान कराने वाली माताओं को उनके परिजनों और स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं से मिलने वाले समर्थन को दर्शाता है। एमएए कार्यक्रम के मुख्‍य घटक है- सामुदायिक जागरूकता बढ़ाना, आशा के जरिए अंतर संपर्क मजबूत करना, सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं में प्रसूति केंद्रों पर स्‍तनपान के लिए सहयोग और निगरानी तथा पुरस्‍कार/सम्‍मान।

3. नए टीकाओं की शुरुआत

a) रोटा वायरस टीका: बच्चों में रोटा वायसर की वजह से होने वाली अस्वस्थता व मृत्यु को कम करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के मद्देनजर शुरुआती चरण में चार राज्यों हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, आंध्र प्रदेश व हरियाणा में अप्रैल 2016 से रोटा वायरस टीकाकरण को संपूर्ण टीकाकरण में शामिल किया गया है।

b) वयस्क जेई टीकाकरण: उन जिलों में जहां वयस्क आबादी में जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) बीमारी बड़े पैमाने पर फैलती है वहां जेई टीकाकरण को वयस्कों तक विस्तारित किया गया है। हाल में असम, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल के अधिक बीमारी वाले 21 जिलों को वयस्क जेई टीकाकरण के लिए चिन्हित किया गया है। असम के 3 जिलों (दरांग, नौगांव व सोनितपुर) व पश्चिम बंगाल के 3 जिलों (दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार) के चिन्हित प्रखंडों में वयस्क जेई टीकाकरण अभियान को पूरा किया गया है। उत्तर प्रदेश के 6 जिलों के चिन्हित प्रखंडों में यह अभियान चल रहा है।

4. मिशन इंद्रधनुष

 मिशन इंद्रधनुष का दूसरा चरण जनवरी 2016 में 352 जिलों में चला। तीसरा चरण अप्रैल से जुलाई 2016 के बीच देशभर के 216 जिलों में चलाया गया।

 तीसरे चरण के दौरान 2.8 करोड़ बच्चों का टीकाकरण किया गया जिसमें 54.5 लाख बच्चों का संपूर्ण प्रतिरोधन हुआ। इसके अतिरिक्त, 55.4 लाख गर्भवती महिलाओं को भी टिटनेस के टीके लगाए गए।

 समेकित बाल स्वास्थ्य एवं प्रतिरोधक सर्वेक्षण 2016 के मुताबिक मिशन इंद्रधनुष के शुरू होने के बाद से पूरी तरह से रोग प्रतिरोधक होने का दायरा 5-7 प्रतिशत बढ़ गया है।

5. परिवार नियोजन

 नए विकल्प: राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम में तीन नई विधियों को शामिल किया गया है:

 इंजेक्शन से लिया जाने वाला गर्भनिरोधक डीएमपीए (अंतारा) – तीन महीने में एक बार

 सेंटक्रोमैन गोली (छाया) – गैर-हार्मोनयुक्त जिसे सप्ताह में एक बार लिया जाना है।

 प्रोजेस्टिन युक्त गोलियां (पीओपी) – स्तनपान करने वाली माताओं के लिए

 संवर्धित गर्भनिरोधक पैकेज: गर्भनिरोधक उपायों जैसे कि कंडोम, गर्भनिरोधक गोलियां व आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों की पैकेजिंग की डिजाइन में बदलाव किया गया है और उन्हें और आकर्षक बनाया गया ताकि इन उत्पादों की मांग में वृद्धि हो सके।

 परिवार नियोजन का नया मीडिया अभियान: परिवार नियोजन के प्रति जागरुकता के लिए 360 डिग्री की सूचना संचार के साथ नया अभियान शुरू किया गया है जिसमें एक नए लोगो के साथ श्री अमिताभ बच्चन को इसका ब्रांड एंबेस्डर बनाया गया है।

6. सघन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा (आईडीसीएफ)

देशभर में 11 से 23 जुलाई के बीच सघन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा मनाया गया। इस गतिविधि का महत्व इसमें है कि डायरिया होने पर हर घर में ओआरएस उपलब्ध रहे। इसमें ओआरएस बनाने की विधि का भी प्रदर्शन किया गया। डायरिया के दौरान बच्चों को ओआरएस व जिंक देने के बारे में बताया गया।

आईडीसीएफ गतिविधियों का खास जोर आईईसी गतिविधियों के जरिये न केवल जागरुकता लाना था बल्कि इसकी मांग में बढ़ोतरी करना भी था। सफाई रखने और ओआरएस तथा जिंक के उपाय अपनाने को लेकर राज्यों, जिला व ग्राम स्तर पर सघन सामुदायिक जागरुकता अभियान चलाया गया। देशभर में 5 साल से कम उम्र के करीब 10 करोड़ बच्चे हैं। पिछले साल के दौरान, आईडीसीएफ की गतिविधियों के तहत 6.3 करोड़ बच्चों तक पहुंचा गया।

इस वर्ष पखवाड़े के दौरान इसे और विस्तारित करने के क्रम में 5 साल से कम उम्र के सभी बच्चों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया। पिछले साल 21 लाख बच्चों को डायरिया की वजह से मौत व अस्पताल में भर्ती होने से बचाया जा सकता था। आईडीसीएफ के इस अभियान में 5 लाख से ज्यादा स्कूल शामिल हुए और देश में 3.5 लाख ओआरएस केंद्र स्थापित किए गए।

7. राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस (एनडीडी)

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की एक प्रमुख पहल के तहत 10 फरवरी, 2016 राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस के रूप में मनाया गया। यह विश्‍व में सबसे बड़ा एक दिवसीय सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान था, जिसके त‍हत 1-19 आयु वर्ग के लगभग 27 करोड़ बच्चों को कृमि से मुक्ति की दवाई खिलाने का लक्ष्‍य रखा गया।

यह अभियान स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों के मंच द्वारा चलाया गया। इसके लिए लक्षित जनसंख्या में देश के 561 जिलों के 1-5 आयुवर्ष तथा 6-19 आयुवर्ष के क्रमशः 8 करोड़ और 19 करोड़ बच्चों को रखा गया। 900,000 से अधिक शिक्षा और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने करोड़ों बच्‍चों को स्‍कूलों और आंगनवाड़ी केन्‍द्रों में एलबेंडेजोल गोली खिलाई। इसमें 14 राज्यों के 137 जिलों को शामिल नहीं किया गया जिन्हें पहले ही यह दवा खिलाई जा चुकी है।

8. भारत में दीर्घ आयु (लांग्टिड्यूनल एजिंग) का अध्ययन (एलएएसआई)

एलएएसआई देश में वृद्धजनों पर सबसे बड़ा अध्ययन है। यह अध्ययन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संरक्षण में अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आईआईपीएस), मुंबई ने हावर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (एचएसपीएच) और यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया (यूएससी) के संयुक्त तत्वावधान में “द लांग्टिड्यूनल एजिंग स्टडी इन इंडिया” कर रहे हैं। एलएएसआई के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष-भारत ने मिलकर फंड किया।

अभी तक भारत के पास वृद्धजनों की जनसंख्या के बारे में पूरे देश का प्रतिनिधित्व करने वाला आंकड़ा नहीं था, ऐसे में वृद्धजनों के संबंध में समग्रतापूर्ण नए वैज्ञानिक आंकड़ों की जरूरत थी जिससे कि वृद्ध हो रही जनसंख्या के स्वास्थ्य, आर्थिक व सामाजिक चुनौतियों का विश्लेषण किया जा सके ताकि उन चुनौतियों से निपटने के लिए मध्य और दीर्घकालीन नीतियां व कार्यक्रम बनाए जा सकें।

एलएएसआई, हाल ही शुरू की गई राष्ट्रीय वृद्धजन स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम (एनपीएचसीई) और सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय द्वारा सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा के लिए बनाए जाने वाले कार्यक्रमों में भी काफी योगदान करेगा। एलएएसआई वृद्ध लोगों के स्वास्थ्य व सामाजिक सुरक्षा से जुड़े कार्यक्रमों का विस्तार करने में मदद करेगा।

9. प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिल कार्यक्रम

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिल कार्यक्रम के अंतर्गत गरीब लोगों को मुफ्त डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्यों को सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के जिला अस्पतालों में पीपीपी मोड के आधार पर डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 27 अप्रैल, 2016 को दिशानिर्देश भेजे गए हैं।

दिशानिर्देश के मुताबिक निजी साझेदार को चिकित्सकीय मानवसंसाधन, डायलिसिस मशीन उपलब्ध करानी होगी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग आरओ का पानी के लिए संयंत्र, डाइलेजर व दवाइंया देगा जबकि राज्य सरकार जिला अस्पतालों में जगह, बिजली व पानी का आपूर्ति मुहैया कराएंगी। सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के कार्यक्रम क्रियान्वयन योजना 2016-17 को लागू करने के लिए प्रस्ताव मांगे गए हैं।

10. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में सेंटर फॉर इंटेग्रेटिव मेडिसीन एंड रिसर्च

सेंटर फॉर इंटेग्रेटिव मेडिसीन एंड रिसर्च एम्स, नई दिल्ली की अहम पहल है जिसके तहत भारत की प्राचीन व पारंपरिक चिकित्सा उपायों को समकालीन दवाओं के साथ मिश्रित कर अनुसंधान किया जाएगा। इसमें परिकल्पित किया गया है कि इस अत्याधुनिक शोध संस्थान में देशभर के समकालीन औषधी विशेषज्ञ, योग व आर्युवेद विशेषज्ञों के साथ मिलकर रोगों के उपचार व निवारक तरीकों के लिए काम करेंगे। यह केंद्र हमारी प्राचीन औषधिक व्यवस्था को वैज्ञानिक प्रमाण प्रदान करने में योगदान करेगा। इसमें योग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

11. आई.टी. संबंधी पहल कदमियां

a) स्वच्छ भारत मोबाइल एप्लीकेशन – “स्वच्छ भारत मोबाइल एप्लीकेशन” नागरिकों को विश्वसनीय व वांछित स्वास्थ्य संबंधी सूचनाएं प्रदान कर उन्हें सशक्त करेगा। यह एप्लीकेशन स्वस्थ जीवनशैली, बीमारियों की पूरी जानकारी, लक्षण, उपचार के विकल्प, प्राथमिक उपचार और जन स्वाथ्य चेतावनियों से अवगत कराएगा। यह एंड्रोयड आधारित मोबाइल एप्लीकेशन है जिसे 2.3 या अधिक वर्जन वाले एंड्रोयड ओएस में इंस्टॉल किया जा सकता है। जल्द ही यह एप्लीकेशन दूसरे प्लेटफॉर्मों के लिए भी जारी किया जाएगा।

b) एएनएम ऑनलाइन एप्लीकेशन (अनमोल) – अनमोल टेबलेट आधारित एप्लीकेशन है जो एएनएम को अपने दायरे में आने वाले लाभार्थियों से संबंधि आंकड़ों को अपडेट करने की सुविधा प्रदान करता है। स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा स्वयं आंकड़ों को इसमें फीड करने और उसमें बदलाव करने के विकल्प से आंकड़े त्वरित गति से अपडेट हो सकेंगे। यह एप्लीकेशन आधार से जुड़ा है ऐसे में कार्यकर्ता और लाभार्थी दोनों के रिकॉर्ड को प्रमाणित करने में मदद मिलेगा।

c) ई-रक्तकोष पहल – यह इंटिग्रेटेड ब्लड बैंक मैनेजमेंट इंफोर्मेशन सिस्टम है जिसे इसके सभी साझेदारों के साथ कई परामर्श के बाद तैयार किया गया है। वेब-आधारित यह तकनीकी प्लेटफॉर्म राज्य के सभी ब्लड बैंकों को एक साथ जोड़ देगा। इंटिग्रेटेड ब्लड बैंक एमआईएस रक्तदान व ट्रांसफ्यूजन सेवाओं से जुड़ी सूचनाओं तथा रक्त की उपलब्धता, मान्यता, भंडारण व अन्य तरह के आंकड़ों के प्रवाह को सुनिश्चित करेगा। इस व्यस्था से विविध तरह के आंकड़ों को सुस्पष्ट रिपोर्टों में तब्दील करने में मदद करेगा।

d) इंडिया फाइट डेंगू- 2016 में जारी यह एप्लीकेशन समुदाय के लोगों को डेंगू से लड़ने व उसकी रोकथाम के तरीकों के बारे में बताता है।

e) किलकारी, एक ऐसा एप्लीकेशन है जो गर्भावस्था की दूसरी तिमाही से शिशु की एक वर्ष की आयु तक, शिशु जन्म व शिशु की देखभाल से संबंधित उपयुक्त समय पर मुफ्त, साप्ताहिक, 72 ऑडियो संदेश परिवार के मोबाइल फोन पर उपलब्ध कराता है। इसे झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व मध्य प्रदेश तथा राजस्थान के उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में शुरू किया गया है।

f) मोबाइल एकेडमी, आशा कार्यकर्ताओं के ज्ञान को विस्तारित व तरोताजा करने व उनकी संवाद कौशलता को निखारने के मकसद से तैयार किया गया ऑडियो प्रशिक्षण पाठ्यक्रम है। यह आशा कार्यकर्ताओं को उनके मोबाइल फोन के जरिये किफायती और प्रभावी तरीके से प्रशिक्षित करता है। इससे वह बिना कहीं गए अपनी सुविधा के अनुसार सुनकर सीख सकती हैं। इसे झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान व उत्तराखंड में शुरू किया गया है।

g) एम-सेसेशन उन लोगों के लिए है जो तंबाकू उत्पादों का सेवन छोड़ना चाहते हैं। यह उन्हें मोबाइल फोन के जरिये संदेश भेजकर इस दिशा में मदद करता है। यह पारंपरिक तरीकों से कहीं ज्यादा किफायती है। दुनिया में ऐसा पहली बार है जिसमें एम-स्वास्थ्य पहल के जरिये इस तरह की दो तरफा सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।

h) राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल (एनएचपी) भारत के नागरिकों को स्वास्थ्य से जुड़ी सभी तरह की सूचनाएं एक ही प्लेटफॉर्म के जरिये पहुंचाने के लिए शुरू किया गया है।

i) ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम (ओआरएस): यह देशभर के विभिन्न अस्पतालों में आने वाले मरीजों को आधार पर आधारित ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने तथा अप्वाइंटमेंट देने की व्यवस्था है। हॉस्पिटल मैनेजमेंट इंफोर्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) के जरिये अस्पताल के ओपीडी रजिस्ट्रेशन को डिजिटलाइज किया गया है। यह पोर्टल मरीजों को उनके आधार नंबर में दर्ज मोबाइल नंबर के आधार पर विभिन्न अस्पतालों के विभागों में निर्धारित भेंट के लिए अप्वाइंटमेंट देता है।

j) राष्ट्रीय ई-स्वास्थ्य प्राधिकरण (नेहा) स्वास्थ्य संबंधी सूचनाओं को एकीकृत करेगा। यह अस्पतालों के आईटी सिस्टम और जन स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच अनियोजन से आने वाली समस्या को दूर करने में मदद करेगा। यह मरीजों के स्वास्थ्य संबंधी सूचनाओं व आंकड़ों की सुरक्षा व निजता से संबंधित कानून व नियमन को लागू कराएगा। इसमें मरीज के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य आंकड़े का प्रावधान होगा।

k) एम-डाइबिटिज पहल मोबाइल टेलीफोन के वृहद नेटवर्क की ताकत व क्षमता का लाभ उठाने के मकसद से शुरू किया गया। इसमें 011-22901701 नंबर पर मिस्ड कॉल करके डाइबिटिज से जुड़ी सूचनाएं, इसके रोकथाम व प्रबंधन के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। ज्यादा जानकारी के लिए वेबसाइट www.mdiabetes.nhp.gov.in से भी सूचनाएं ली जा सकती हैं।

12. रोग नियंत्रण
(a) तपेदिक

 तपेदिक कार्यक्रम में 500 कैटरेज आधारित न्यूक्लिक एसिड एम्पलीफिकेशन टेस्ट (सीबीनैट) मशीनों को शामिल किया गया है। सीबीनैट मशीन माइक्रबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस का पता लगाने में परिवर्तनकारी है। यह टेस्ट पूरी तरह से स्वचलित है और दो घंटे के अंदर परिणाम मिल जाता है।

यह बहुत ही संवेदनशील उपचारात्मक उपकरण है जिसे सुदूर या ग्रामीण क्षेत्रों में भी बिना किसी विशेष ढांचे या प्रशिक्षण के इस्तेमाल किया जा सकता है। 2015 तक देश में 121 सीबीनैट केंद्र संचालित हो रहे हैं। इन 500 अतिरिक्त मशीनों से देश के सभी जिलों में प्रत्यक्ष या नमूना एकत्रित कर डीआर टीबी और टीबी का पता लगाने की गति तेज होगी।

बीडाक्विलाइन को आरएनटीसीपी के हिस्से के तौर पर शुरू किया गया था। यह दवा एमडीआर-टीबी के इलाज के लिए नई तपेदिक रोधी दवा है। दवा का यह नया वर्ग डायरिलक्विनोलिन है जो माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस और अन्य माइक्रोबैक्टीरिया को ऊर्जा की आपूर्ति के लिए जरूरी एंजाइम, माइक्रोबैक्टीरियल एटीपी सिंथेज को विशेष रूप से निशाना बनाती है।

बीडाक्विलिन का इस्तेमाल देश भर में छह विशेष तृतीयक देखभाल केंद्रों (टर्शरी केयर सेंटर) में शुरू किया जा रहा है। इन केंद्रों में प्रयोगशाला परीक्षण और रोगियों के गहन देखभाल के लिए उन्नत सुविधाएं उपलब्ध हैं। बीडाक्विलाइन उन मरीजों को दिया जाएगा जो बहु-दवा प्रतिरोधी टीबी के मरीज हैं।

(b) एचआईवी/एड्स नियंत्रण

एचआइवी से ग्रस्त लोगों के लिए तीसरी कतार के एआरटी कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस बीमारी की दवा का खर्च प्रति रोगी करीब 1.18 लाख रुपए सालाना आता है। इन्हें नि:शुल्क उपलब्ध कराकर न केवल जीवन सुरक्षित हो सकेगा, बल्कि रोगियों की सामाजिक आर्थिक स्थिति में भी सुधार आयेगा। इस पहल से भारत के एआरटी कार्यक्रम को विकसित देशों के कार्यक्रमों की बराबरी पर लाने में मदद मिलेगी।

(c) संक्रामक बीमारियों का नियंत्रण (मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, कालाजार)

1. 11 फरवरी, 2016 को मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय संरचना की शुरुआत की गई। इस रणनीति के तहत निरोधक उपयों जैसे कि मच्छर पैदा होने वाली जगहों की रोकथाम, अभियांत्रिकी उपाय, छिड़काव, मच्छरदानी, रोग का त्वरित पता लगाना और संपूर्ण उपचार शामिल है।

2. मंत्रालय ने राज्यों को वेक्टर जनित रोगों के नियंत्रण व रोकथाम के लिए तकनीकी दिशानिर्देश उपलब्ध कराए हैं। इसे राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम की वेबसाइट www.nvbdcp.gov.in पर भी डाला गया है।

3. आईईसी/बीसीसी गतिविधियों के तहत राष्ट्रीय व राज्यों के स्तर पर संक्रामक बीमारियों के स्रोतों व व्यक्तिगत निवारक उपायों के बारे में मीडिया अभियान चलाया गया।7 अप्रैल, 2016 को उपभोक्ता अनुकूल डेंगू एप्लीकेशन इंडिया फाइट डेंगू शुरू किया गया।

4. 16 मई, 2016 को देशभर में राष्ट्रीय डेंगू दिवस के रूप में मनाया गया। ‘डेंगू नियंत्रण व रोकथाम में प्रभावी सामुदायिक भागीदारी के लिए योजना एवं रणनीति’ को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा किया गया और एनवीबीडीसीपी की वेबसाइट पर भी डाला गया है।

5. डेंगू नियंत्रण के लिए आशा कार्यकत्रियों को स्रोतों की सफाई गतिविधियों में शामिल किया गया। मंत्रालय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को वेक्टर जनित रोगों जिसमें की डेंगू भी शामिल है, के रोकथाम व नियंत्रण के लिए कोष प्रदान कर रहा है।

6. काला-जार को वर्ष 2017 तथा लम्फेटिक फिलेरिसिस को 2020 तक जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा गय है। बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल व उत्तर प्रदेश के 625 प्रखंडों में से 502 में इस खत्म किया जा चुका है।

(d) गैर-संक्रामक रोग (एनसीडी)

इस कार्यक्रम का लक्ष्य साधारण एनसीडी का शीघ्र उपचार व प्रबंधन प्रदान करना, अलग-अलग स्तरों पर इस तरह के रोगों के उपचार, रोकथाम के लिए स्वास्थ्य उपायों की क्षमता का विकास करना शामिल है।

कैंसर, मधुमेह, ह्रद्य संबंधी रोग व घात के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत 356 जिलों में एनसीडी ईकाई व एनसीडी क्लिनिक स्थापित किए गए हैं।
103 कार्डिक केयर यूनिट, 71 डे केयर सेंटर और 1871 सीएचसी स्तर के एनसीडी क्लिनिक स्थापित किए जा रहै हैं।
टेरीटरी केयर कैंसर सेंटर (टीसीसीसी) योजना में 20 राज्यस्तरी कैंसर संस्थान (एससीआई) और 50 टीसीसीसी परिकल्पित हैं।
अभी तक पांच (10) टीसीसीसी और छह (10) एससीआई को इस योजना के तहत आर्थिक रूप से मदद दी गई है।
आयुष सुविधाओं व उपायों तथा योग को एनपीसीडीसीएस सेवाओं के साथ जोड़ा गया है।
मधुमेह में योग के प्रभाव को दस्तावेजित करने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन शुरू किया गया है। (ए-व्यास विश्वविद्यालय व एचएलएल)

13. अस्पतालों को बढ़ावा

(a) प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई)

पीएमएसएसवाई का लक्ष्य सस्ती/विश्वसनीय क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में क्षेत्रीय असमानताओं का पाटना और देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा के लिए सुविधाओं का विस्तार करना है।

1. तीसरे चरण में 39 जीएमसी के लिए डीपीआर को मंजूरी मिल गई है। सिविल कार्य के लिए मानक निविदा दस्तावेज, परियोजना प्रबंधन के लिए मानक संविदा समझौता व निगरानी परामर्श सेवाओं को मंजूरी मिल गई है। कार्यकारी एजेंसियों यथा, एचएससीसी (आई) व एचआईटीईएस तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के बीच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुए हैं। सीपीडब्ल्यूडी और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के बीच भी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुए हैं।

2. 38 जीएमसी के लिए निविदाएं संबंधित कार्यकारी एजेंसियों द्वारा जारी किए गए हैं।

3. 33 जीएमसी के सिविल कार्य के लिए निविदाएं आवंटित की जा चुकी हैं।

4. 19 में से 12 राज्य सरकारों व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के बीच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुए हैं।

5. सिविल कार्य के लिए कार्यकारी एजेंसियों को परियोजना मद में 398.6695 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

6. माननीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री द्वारा असम मेडिकल कॉलेज, डिब्रूगढ़, गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज, गुवाहाटी असम, राजकीय टीडी मेडिकल कॉलेज, अल्पुझा, केरल, गजरा राजा मेडिकल कॉलेज, ग्वालियर, मध्यप्रदेश, श्याम शाहा मेडिकल कॉलेज, रीवा, बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज, जबलपुर की आधारशिला रखी गई है। एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज, मेरठ व एमएलबी मेडिकल कॉलेज झांसी तथा एमएलएल मेडिकल कॉलेज इलाहाबाद की आधार शिला।

7. तीसरे चरण में अपग्रेडेशन के काम की प्रगति समीक्षा के लिए कार्य समिति गठित की गई है।

8. पीएमएसएसवाई के तहत चौथे चरण में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में नए एम्स को मंत्रीमंडल ने मंजूरी दे दी है।

9. पीएमएसएसवाई के तहत चौथे चरण में पंजाब के बठिंडा में नए एम्स को मंत्रीमंडल ने मंजूरी दे दी है।

10. पीएमएसएसवाई के तहत चौथे चरण में मंत्रीमंडल ने 13 राजकीय मेडिकल कॉलेज के अपग्रेडेशन को मंजूरी दी है।

14. चिकित्सा शिक्षा

(a) केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना के तहत 12 राज्यों को जिला/रेफेरल अस्पतालों से जुड़े नए मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लिए 400 करोड़ रुपये जारी किए गए।
(b) 4 राज्यों को केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना के तहत राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पीजी की सीटों में बढ़ोतरी के लिए केंद्रीय सहयोग के रूप में 10 करोड़ रुपये दिए गए।
(c) अकादमिक सत्र 2016-17 में 7 नए मेडिकल कॉलेज (कुल 1050 सीट) स्थापित करने का अनुमति पत्र जारी हुआ।
(d) अकादमिक सत्र 2016-17 में 2 मौजूदा मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 100 सीटे बढ़ाने के लिए अनुमति पत्र जारी हुआ।
(e) अकादमिक सत्र 2016-17 के लिए 7 मौजूदा मेडिकल कॉलेजों (कुल 700 सीट) के अनुमति पत्र का नवीनीकरण।
(f) 12 मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने के लिए अनुमति पत्र जारी हुआ।
(g) अकादमिक सत्र 2016-17 में बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश पूरा करने की समय अवधि को बढ़ाकर 7 अक्टूबर, 2016 किया गया ताकि देश में बीडीएस की सीटों को भरा जा सके।
(h) वर्ष 2016-17 के लिए विभिन्न लाभार्थी राज्य/केंद्रशासित/सरकारी विभागों के लिए केंद्रीय पूल से 236 एमबीबीएस व 38 बीडीएस सीटे आवंटित करने का आदेश जारी किया गया।
(i) आईएमए अधिनियम, 1956 के तहत 98 पीजी मेडिकल कोर्सों को मान्यता दी गई।
(j) आईएमए अधिनियम, 1956 के तहत 9 एमडीएस कोर्स व 6 बीडीएस कोर्स को मान्यता दी गई।
(k) अकादमिक सत्र 2016-17 के लिए 17 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लिए अनुमति पत्र जारी किया गया। इसमें से 12 सरकारी व 5 निजी क्षेत्र के कॉलेज हैं। इनकी क्षमता 2150 एमबीबीएस सीट है।
(l) अकादमिक सत्र 2016-17 के लिए 8 मेडिकल कॉलेजों को 595 एमबीबीएस सीट बढ़ाने के लिए के अनुमति पत्र जारी किया गया।
(m) अकादमिक सत्र 2016-17 के लिए 40 सुपर-स्पेश्यिलटी सीटों को बढ़ाने के लिए अनुमति पत्र जारी किया गया।
(n) राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के नियम व नियामक के नियम 6 (i) के तहत राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड की प्रबंधकीय निकाय का गठन किया गया।
(o) 17 राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों को केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना के तहत जिला/रेफरेल अस्पतालों से जुड़े नए मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लिए 445 करोड़ रुपये जारी किए गए।
(p) केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना के तहत 8 राज्यों के 22 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की सीटें बढ़ाने के लिए 110 करोड़ रुपये जारी किए गए।

(q) राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट)

माननीय उच्चतम न्यायालय ने 28 अप्रैल, 2016 व 9 मई, 2016 को संकल्प चेरिटेबल ट्रस्ट व अन्य द्वारा दायर एक रिट पीटिशन नं. 261/2016 की सुनवाई के बाद एनईईटी (यूजी) को तत्काल प्रभाव से लागू करने का आदेश दिया है। इसके लिए लाये गए अध्यादेश का उद्देश्य मेडिकल/दंत कॉलेजों में स्नातक व परा स्नातक में प्रवेश के लिए एक समान प्रवेश परीक्षा को संवैधानिक दर्जा प्रदान करना है। साथ ही राज्यों को उनके तकलीफों को ध्यान में रखते हुए केवल स्नातक की प्रवेश परीक्षा इस वर्ष (2016-17) उन्हें कराने की छूट दी गई है।

अगले वर्ष से राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-यूजी देशभर में हिंदी व अंग्रेजी के अलावा 6 क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित की जाएगी। इस दिशा में सीबीएसई को 8 दिसंबर को दिशानिर्देश भेजे गए और अगले साल आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा की तैयारी पहले ही शुरू हो चुकी है।

सीबीएसई ने 2016 में नीट-यूजी का सफलतापूर्वक आयोजन किया। 2017 में आयोजित होने वाली परीक्षा के लिए सीबीएसई ने बड़े पैमाने पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए मानदंड पहले ही उसे बताये जा चुके हैं। आगे यथा 2018 से होने वाली नीट-यूजी परीक्षाओं के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों से भी परामर्श किया जाएगा।

15. राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना (एनएचपीएस)
भारत सरकार ने एक नई स्वास्थ्य बीमा योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (एनएचपीएस) लाने का प्रस्ताव किया है जिसमें गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर परिवार को 1.0 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवर दिया जाना परिकल्पित है। 60 साल से ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों के लिए इसमें 30,000 रुपये की राशि अतिरिक्त होगी। वरिष्ठ नागरिक वाला घटक 01.04.2016 से लागू होगा।

16. अंग दान
भारत सरकार ने मानव अंग और कोशिका प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के प्रावधानों के अनुरूप मानवसंसाधन को प्रशिक्षित करने व मृतक लोगों के अंगदान को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय अंग दान कार्यक्रम शुरू किया है।

इस कार्यक्रम के तहत, सफदरगंज अस्पताल, नई दिल्ली में एक उच्च स्तरीय संगठन राष्ट्रीय अंग व ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) स्थापित किया गया है। यह राष्ट्रीय स्तर पर नेवर्किंग और अंग व ऊतक दान के लिए ऑनलाइन वितरण की व्यवस्था करेगा, साथ ही मृतक लोगों का अंग व ऊतक दान करने के लिए भी लोगों को प्रोत्साहित करेगा।

 सरकार ने अंग दान से संबंधित कानून/नियमों को सरलीकृत करने के लिए कई सारे कदम उठाए हैं जिसमें राष्ट्रीय अंग व ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) की वेबसाइट (www.notto.nic.in) अंग दान के लिए अद्यतन जानकारी व प्रतिज्ञाओं के पंजीकरण की सुविधा प्रदान करती है।

 अंग दान के बारे में जानकारी प्रदान करने और मतृक से अंगदान के वितरण व अन्‍य संबंधित जानकारी प्राप्‍त करने के लिए एक टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर (1800114770) के साथ एक 24×7 कॉल सेंटर भी स्थापित किया गया है।

 राष्ट्रीय अंग व ऊतक दान तथा प्रत्यारोपण पंजीकरण (एनओटीटीआर) भी शुरू किया गया है। एनओटीटीआर अंग या ऊतक चाहने वाले मरीजों की एक राष्ट्रीय प्रतिक्षा सूची तैयार करेगा।

 प्रत्यारोपण अस्पतालों की नेटवर्किंग को सर्वप्रथम दिल्ली व एनसीआर क्षेत्र में शुरू किया गया। क्षेत्रीय स्तर के पांच संगठन जिसे क्षेत्रीय अंग व ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (आरओटीटीओ) कहा जाता है को तमिलनाडु, महाराष्ट्र, असम, पश्चिम बंगाल व चंडीगढ़ में चिन्हित किया गया है। ये संगठन क्षेत्रीय स्तर पर अंगों के वितरण व सरकारी उपलब्धता की नेटवर्किंग व समायोजन करेंगे। राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम का दिशानिर्देश जारी किया जा चुका है।

 गुर्दा, लीवर, दिल व फेफड़े तथा कॉर्निया के आवंटन संबंधी नीति व नियमावली को स्वीकृत किया गया है। विभिन्न अंगों के लिए मानकीकृत ऑपरेशन प्रक्रिया को भी स्वीकृत कर एनओटीटीओ की वेबसाइट पर डाला गया है।

एक लाख से ज्यादा लोगों से अंग दान

17. तंबाकू नियंत्रण पर डब्ल्यूएचओ संरचना सम्मेलन (एफसीटीसी) का सातवां सत्र

भारत ने नवंबर 2016 में तंबाकू नियंत्रण पर डब्ल्यूएचओ संरचना सम्मेलन के सातवें सत्र का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस सम्मेलन के दौरान संबंधित पक्षों ने सम्मेलन की प्रतिज्ञाओं जिसमें जनस्वास्थ्य संधि व लक्ष्य 2030 के लिए तहत निरंतर विकास संबंधी को दोहराया। इसमें लक्ष्य 3 पर विशेष जोर दिया गया जिसमें सभी आयुवर्गों के लिए स्वस्थ जीवन व जीवनशैली को बढ़ावा दिया जाना है। सम्मेलन को बेहतर तरीके से लागू कराने के लिए इसमें डब्ल्यूएचओ व अन्य साझेदारों के उन निरंतर शोध व अध्ययनों के महत्व पर जोर दिया गया जिसमें तंबाकू इस्तेमाल के सामाजिक व आर्थिक पहलुओं, इसे बढ़ाने वाले कारकों व नियंत्रण की रणनीतियों की चर्चा है।

स्वास्थ्य सचिव श्री सी के मिश्रा को अगले दो साल के लिए सीओपी ब्यूरो का अध्यक्ष चुना गया है।

18. 6वीं ब्रिक्स देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक

नई दिल्ली में 16 दिसंबर, 2016 को ब्रिक्स देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की 6वीं बैठक आयोजित हुई। इसमें संघीय गणराज्य ब्राजील, रूसी संघ, भारतीय गणराज्य, लोक गणराज्य चीन व दक्षिण अफ्रीकी गणराज्य के स्वास्थ्य मंत्री शामिल हुए।

बैठक में मंत्रियों ने, अक्टूबर, 2016 में गोवा घोषणापत्र में ब्रिक्स देशों के नेताओं द्वारा स्वास्थ्य विषय पर की गई प्रतिज्ञाओं का संज्ञान लिया। ब्रिक्स के पहले सम्मेलन से अब तक की प्रगति और “स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग के लिए रणनीतिक परियोजना संबंधी ब्रिक्स संरचना” तथा तकनीकी कार्य समूह के जरिये स्वास्थ्य के क्षेत्र में निरंतर सहयोग व समाधान का भी संज्ञान लिया।

मंत्रियों ने नवंबर, 2016 में गोवा, भारत में हुई औषधी व चिकित्सा उपकरणों पर ब्रिक्स कार्यशाला की सिफारिशों का भी स्वागत किया, जिसमें नियामक मानकों में सुधार, मेडिकल उत्पादों के प्रमाणन व व्यवस्था के संबंध में एक सहमति पर पहुंचने की जरूरत भी बताई गई है। वे लोग नियामक व्यवस्था को सुदृढ़ करने, सूचनाओं के आदान-प्रदान, अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति में उचित नियामक नजरिया और नवोन्वेषी चिकित्सा उत्पादों (दवा, टीका व चिकित्सा तकनीक) के क्षेत्र में शोध को प्रोत्साहन व विकास पर सिफारिशें देने के लिए एक कार्यसमिति गठित करने पर भी सहमत हुए।

मंत्रियों ने ब्रिक्स टीबी सहयोग योजना को अपनाया, साथ ही नवंबर, 2016 में अहमदाबाद में एचआईवी व तपेदिक पर आयोजित ब्रिक्स कार्यशाला की सिफारिशों का भी समर्थन किया। मंत्री, तपेदिकपर शोध के लिए ब्रिक्स नेटवर्क तथा तपेदिक, एचआईवी, मलेरिया पर शोध एवं विकास संकाय गठित करने पर सहमत हुए। मंत्रियों ने, मास्को में 2017 में होने वाले तपेदिक से लड़ाई पर वैश्विक मंत्रीस्तरी सम्मेलन का समर्थन करने व 2018 में संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्यालय में होने वाले उच्चस्तरीय बैठक का समर्थन किया।

19. जैव चिकित्सा उपकरण प्रबंधन व रखरखाव कार्यक्रम (बीएमएमपी):
सभी जैव चिकित्सा उपकरणों की कार्यक्षमता स्थिति सहित माल सूची बनाने के कार्य के लिए एक व्यापक प्रक्रिया चलाई गई। यह प्रक्रिया 29 राज्यों में सफलता पूर्वक संपन्न हुई जिसके परिणामस्वरूप 29,115 स्वास्थ्य सुविधाओं में 7,56,750 उपकरणों की पहचान हुई, जिनका मूल्य लगभग 4564 रुपये करोड़ रुपए आंका जा रहा है।

यह भी पाया गया है कि 13% से 34% के दायरे में यह उपकरण सभी राज्यों में अप्रयुक्त स्थिति में पाए गए। ऐसे अप्रयुक्त उपकरणों की लागत लगभग 1015.74 करोड़ रुपये है। मंत्रालय ने उपकरणों के अपटाइम से जुड़े जैव चिकित्सा उपकरण प्रबंधन और रखरखाव कार्यक्रम (बीएमएमपी) पर आरपीएफ के साथ व्यापक दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। बीएमएमपी के अधीन सभी सुविधाओं से संबंधित समस्त उपकरणों के लिए चिकित्सा उपकरण रखरखाव को आउटसोर्स करने के लिए राज्य सरकारो को सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।

माल सूची मैपिंग के लिए संबंधित राज्यों हेतु रखरखाव, ठेके देने के लिए आरपीएफ/ निविदाएं निकाली गई थीं। परिणामस्वरुप ग्यारह राज्यों- आंध्र प्रदेश, केरल, राजस्थान, मिजोरम, चंडीगढ़, महाराष्ट्र, सिक्किम, मध्य प्रदेश, पंजाब, झारखंड और पुडुचेरी ने चिकित्सा उपकरणों के रखरखाव को आउटसोर्स कर दिया है। तीन राज्यों (त्रिपुरा, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश) में अपनी निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली है और वे कार्यक्रम के कार्यान्वयन चरण में हैं।

पांच राज्यों – उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, गुजरात ने आरएफपी जारी किया हैं और निविदाओं को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं। अन्य राज्यों को अभी आरपीएफ जारी करने हैं। ऐसे 12 राज्य जहां कार्य आदेश जारी किए गए हैं, 378.11 करोड़ रुपये के बेकार उपकरण कार्य आदेश जारी होने के 4 महीनों में कार्य करने लगे हैं। 3 से 4 महीने के अन्तराल में अनुप्रयुक्ता दर में भी लगभग 25 प्रतिशत की कटौती हुई है।

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