राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में

राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में

केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि फ्रांस से खरीदे जा रहे 36 राफेल लड़ाकू विमानों की कीमतें और अन्य ब्योरे को सार्वजनिक करने से राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ गई है।

सरकार ने कहा कि लीक किए जाने से लड़ाकू विमान से जुड़े दस्तावेज अब सार्वजनिक हो चुके हैं और इसने देश की संप्रभुता, सुरक्षा और दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण रिश्तों को प्रतिकूल तरीके से प्रभावित किया है।

केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में रक्षा मंत्रालय के जरिये दाखिल किए गए हलफनामे में कहा कि दस्तावेज लीक होने से फ्रांस के साथ समझौते की शर्तों का उल्लंघन भी हुआ है। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा,’जिन लोगों ने राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले दस्तावेजों की फोटो प्रतियां करने संवेदनशील आधिकारिक दस्तावेज को लीक करने की साजिश रची है वे भारतीय दंड संहिता के तहत दंडात्मक अपराध के दोषी हैं।’

इससे पहले 6 मार्च को केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय से कहा था कि अखबार में प्रकाशित दस्तावेजों को रक्षा मंत्रालय से चुराया गया था और इन्हें मौजूदा या पूर्व कर्मचारी ने चुराया था। अखबार में प्रकाशित इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर फ्रांस से खरीदे जा रहे 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद में कथित अनियमितता का ब्योरा दिया गया।

अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने अदालत से कहा कि ये दस्तावेज रक्षा सौदे से जुड़े हैं और ये शासकीय गोपनीयता कानून के अंतर्गत आते हैं ऐसे में सरकार, अपनी याचिका में इसका इस्तेमाल करने वाले याचिकाकर्ता और उस अखबार के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने की योजना बना रही है जिसने इससे जुड़ी खबरें प्रकाशित कीं। अटॉर्नी जनरल ने तब कहा था कि खबरें और याचिका में चुराए गए गोपनीय रक्षा दस्तावेज संलग्न थे ऐसे में शीर्ष अदालत को यह पुनर्विचार याचिका खारिज कर देनी चाहिए।

अपने हलफनामे में केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह पता लगा रही है कि दस्तावेज कहां से लीक हुए। केंद्र सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता रक्षा मामले से जुड़ी आंतरिक गोपनीय वार्ता की चुनिंदा और अधूरी तस्वीर पेश करने के इरादे से अनधिकृत तरीके से हासिल किए गए इन दस्तावेजों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुआई वाले तीन न्यायाधीशों का पीठ पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई कर रहा है।

14 दिसंबर के अपने फैसले में पीठ ने राफेल लड़ाकू विमान की खरीद की जांच को खारिज कर दिया था।

इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने वालों में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण भी शामिल हैं।

(अंश– बिजनेस स्ट्रैंडर्ड)

Related post

साइबर अपराधियों द्वारा ‘ब्लैकमेल’ और ‘डिजिटल अरेस्ट’ की घटनाओं के खिलाफ अलर्ट

साइबर अपराधियों द्वारा ‘ब्लैकमेल’ और ‘डिजिटल अरेस्ट’ की घटनाओं के खिलाफ अलर्ट

गृह मंत्रालय PIB Delhi——–  राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर साइबर अपराधियों द्वारा पुलिस अधिकारियों,…
90 प्रतिशत से अधिक शिकायतों का निपटारा किया गया : निर्वाचन आयोग

90 प्रतिशत से अधिक शिकायतों का निपटारा किया गया : निर्वाचन आयोग

कांग्रेस और भाजपा को छोड़कर अन्य पार्टियों की ओर से कोई बड़ी शिकायत लंबित नहीं है…
अव्यवस्थित सड़क निर्माण भी विकास को प्रभावित करता है

अव्यवस्थित सड़क निर्माण भी विकास को प्रभावित करता है

वासुदेव डेण्डोर (उदयपुर)———– देश में लोकसभा चुनाव के तीसरे फेज़ के वोटिंग प्रक्रिया भी समाप्त हो…

Leave a Reply