- February 13, 2015
राष्ट्रीय बांस मिशन :: बांस और बांस आधारित हस्तशिल्प के विपणन को बढ़ावा देना है -केंद्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह
नई दिल्ली – केंद्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में “बांस का विकास’ विषय पर आयोजित एक चर्चा में भाग लेते हुए आज नई दिल्ली में कहा कि राष्ट्रीय बांस मिशन (एनबीएम) देश में बांस के समग्र विकास के लिए वर्ष 2006-07 में शुरू किया गया था।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि एनबीएम का मुख्य उद्देश्य संभावित क्षेत्रों में उपयुक्त प्रजातियों के साथ पैदावार बढ़ाने के लिए बांस क्षेत्र के कवरेज को बढ़ाने के वास्ते बांस और बांस आधारित हस्तशिल्प के विपणन को बढ़ावा देना है, ताकि विशेष रूप से बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न किए जा सकें।
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने बांस वृक्षारोपण बढ़ाने के लिए हाल ही में उठाए गए विभिन्न कदमों एवं उसके उपयोग के बारे में बताया।
Ø बांस से जुड़े पारगमन नियमों को उदार बनाने का मुद्दा पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (एमओईएफ) के समक्ष उठाया गया था। एमओईएफ ने गैर-वन/निजी जमीनों पर उगाए गए बांस समेत पौधों की विभिन्न प्रजातियों से जुड़ी कटाई एवं पारगमन व्यवस्था को उदार बनाने के लिए सभी राज्यों को 18 नवंबर, 2014 को दिशा-निर्देश जारी किए थे। राज्यों द्वारा इन दिशा-निर्देशों पर अमल करने से बांस उत्पादन एवं उसके उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।
Ø राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम) में बांस को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘बांस प्लेहाउस’ पर नियमावली तैयार की गई है।
Ø एनएचएम में ‘बांस पैक हाउस’ को बढ़ावा देने की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं।
Ø बांस पौध सामग्री की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए आईसीएफआरई ने बेहतर क्लोन के चयन का प्रथम चरण पूरा कर लिया है।
Ø उच्च गुणवत्ता वाली पौध सामग्री मुहैया कराने के लिए आईसीएफआरई द्वारा तीन टिश्यू कल्चर लैब्स को उन्नत बनाया जा रहा है।
Ø राज्य मिशन से जुड़े सभी निदेशकों से साझा सुविधा केंद्रों (सीएफसी) की स्थापना करने और सालाना कार्य योजना 2015-16 से कारीगरों को लाभान्वित करने के लिए जाने-माने संस्थानों की सेवाएं लेकर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का आग्रह किया गया है।
श्री सिंह ने कहा कि अब तक 3,29,372 हेक्टेयर भूमि में बांस की खेती की गई है। जिसमें से 2,16,484 हेक्टेयर भूमि पर वन क्षेत्र है और 1,12,888 हेक्टेयर गैर वन क्षेत्र है। बांस की खेती वाले वर्तमान 77,030 हेक्टेयर क्षेत्र को उच्च उत्पादकता के योग्य बनाया गया है। साथ ही गुणवत्तापूर्ण पौधों की आपूर्ति के लिए 1417 नर्सरियां स्थापित की गई है। विभिन्न राज्यों में 48,885 किसानों और 7,820 क्षेत्र अधिकारियों को नर्सरी प्रबंधन और बांस की खेती के क्षेत्र में प्रशिक्षण दिया गया है।
श्री सिंह ने कहा कि 2006-07 से 2014-15 तक पूर्वोत्तर राज्य और अन्य के लिए जारी किए गए धन का ब्यौरा दिया गया है:
राज्य | जारी की गई राशि (करोड़ रुपए में) | जारी की गई राशि का कुल प्रतिशत |
पूर्वोत्तर राज्य | 518.21 | 65.89% |
अन्य राज्य | 260.55 | 33.13% |
अनुसंधान और विकास संस्थान | 7.73 | 0.98% |
कुल | 786.49 | 100% |
चुनौतियों के बारे में श्री सिंह ने कहा कि पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा जारी परिवर्तन संबंधित दिशा निर्देशों को लागू करने के बारे में राज्यों को जानकारी दे दी गई है।
आईएफएसआर-2011 के अनुसार वनों में 169.3 मिलियन टन बांस का स्टॉक उपलब्ध है। हालांकि उत्पादकता बढ़ाने और वर्तमान संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल करने के लिए बांस के वैज्ञानिक प्रबंधन और उचित कार्य योजना पर जोर दिया जाना चाहिए।