• April 15, 2016

राम का नाम बदनाम न करो – डॉ. दीपक आचार्य

राम का नाम  बदनाम न करो  – डॉ. दीपक आचार्य

संपर्क –  9413306077
www.drdeepakacharya.com

 मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम हमारे आदि आराध्य हैं और रहेंगे। राम की लीलाएं, रामचरितमानस और रामकाल से संबंधित पात्रों का जीवन परिचय हम सभी के लिए मर्यादित जीवन जीने की प्रेरणा देता है।

राम का नाम अपने आप में सिद्ध महामंत्र है जिसे तारक मंत्र भी कहा जाता है। यह समस्त प्रकार की विपदाओं से तारता व आनंद प्रदान करता है।  राम का नाम हमारे लिए सांसारिक प्रयोगों में भी प्रयुक्त किया जाने लगा है।

देश में राम का नाम लेकर कुछ भी करने की जैस स्वतंत्रता हो गई है। राम हों या कोई से भगवद अवतार, इन्हें हमने धर्म से जोड़कर अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करने में महारत हासिल कर ली है। राम को अपने जीवन चरित्र में समाविष्ट कर राम काज को आगे बढ़ाने की बजाय हम लोगों ने राम के नाम का सहारा लेकर अपने आपको महान दिखाने और राम का नाम भुनाने का काम ज्यादा किया है।

जो लोग राम के नाम पर जितना कुछ कर रहे हैं, राम भक्ति के नाम पर जितनी अधिक नौटंकियां कर रहे हैं, रामचरितमानस के पाठों में रमे हुए हैं, रामभक्त हनुमानजी की आराधना में जुटे हुए हैं, माईक पर राम नाम की दहाड़े मारने और राम काज की बातें करने के आदी हो गए हैं, अपने आप को रामभक्त के रूप में प्रचारित कर रहे हैं, उन सभी के व्यक्तिगत जीवन को देखा जाए तो कहीं नहीं लगता कि भगवान श्री राम से इनका कोई वास्ता हो सकता है।  इनकी कथनी और करनी में जमीन-आसमान अन्तर है।

इतने बड़े देश में बहुत से सच्चे राम भक्त हैं जो मर्यादा पुरुषोत्तम के आदर्शों पर चल कर अपने जीवन चरित्र को पूरी तरह राम मय बनाए हुए हैं, राम की कृपा का अनुभव भी कर रहे हैं। लेकिन इनके अलावा के लोगाें का राम या राम के जीवन चरित्र से दूर-दूर का रिश्ता नहीं है।

राम मन्दिरों को व्यावसायिक केन्द्र बनाने वाले, मन्दिरों के आगे-पीछे-नीचे-ऊपर दुकानें बनवाकर राम के नाम पर धंधा करने वाले, भगवान की कमाई पर पर्व-त्योहार मनाने वाले, मन्दिरों के परिक्रमा स्थलों को नष्ट कर देने वाले, राम नाम से गूंजने वाले परिसरों को पार्किंग का स्वरूप देकर पैसा कमाने की मनोवृत्ति वाले, राम के नाम पर दुकानदारी करने वाले, संस्थाएं चलाने वाले, अखण्ड रामायण पारायण का धंधा चलाकर पैसा इकट्ठा करने वाले, राम के नाम पर भीड़ जमा करने-कराने वाले और राम भक्ति से जुड़े आयोजनों में अपने आपको रामभक्त के रूप में स्थापित एवं प्रचारित करने वाले लोगों का राम से जुड़ाव कैसे माना जा सकता है।download

राम ने नैतिक चरित्र, आदर्श, सिद्धान्तों, हर उम्र की मर्यादाओं, अनुशासन आदि हर क्षण में रामत्व का परिचय दिया और तभी वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए जिसकी वजह से इतने युगों के बाद भी हमारी प्रगाढ़ आस्थाएं विद्यमान हैं।  मर्यादा तो दूर की बात है, आज हममें से कितने पुरुष हैं जो पुरुषोत्तम होने की योग्यता रखते हैं।

जो लोग अपने आप को रामभक्त मानने-मनवाने में लगे हुए हैं उन सभी के लिए यह बड़ी चुनौती है कि वे अपने भीतर के रामत्व को सिद्ध करें।  जितनी राम भक्ति हम दिखाते हैं उसकी आधी भी वास्तव में होती तो आज इतनी विपदाएं, दावानल और समस्याएं न होती।

राम राज में दैहिक, दैविक और भौतिक तापों का कोई अस्तित्व नहीं था। जहां सच्चे मन से रामभक्ति व रामत्व को अंगीकार किया जाता है वहां भी यही स्थिति रहती है। फिर इतने सारे रामभक्तों, राम मन्दिरों और राम के नाम पर कथा-सत्संगों, आयोजनों आदि से जुड़े साल भर बने रहने वाले माहौल के बावजूद आपदाएं क्यों हैं, यह समझ में नहीं आता।

राम नाम अपने आप में मंत्र है। एक जमाना था जब देश के करोड़ों लोग दिन में कई बार राम-राम का उच्चारण करते थे। अभिवादन से लेकर हरेक काम में राम-राम उच्चारित होता था। इससे अरबों-खरबों राम मंत्र की महा ऊर्जाओं का भण्डार परिवेश से लेकर व्योम तक में संचित रहता था और इसके प्रभाव से प्रकृति संतुलित रहा करती थी। वहीं सामाजिक समरसता का ज्वार भी हमेशा हिलोरे लेता दिखाई देता था।

आज हमने अपने स्वार्थों के लिए, खुद को मठाधीश और महंत बनाने तथा अपने सिक्के चलाने के लिए अपने-अपने सम्प्रदाय और पंथ बना डाले और राम नाम की बजाय लोगों को कुछ और नाम थमा दिए। इससे राम नाम की शक्ति का विभाजन हो गया, इसका असर हम सभी देख रहे हैं। अन्यथा लोगों के लिए जीवन भर राम नाम औषधि और जीवनी शक्ति की तरह काम में आता था।

हम सभी चतुर और शातिर लोग समुदाय को शक्तिहीन करते हुए उस पर अधिकार जमाने के फेर में समाज और देश को निर्बल करते जा रहे हैं और इसका खामियाजा हमारी आने वाली पीढ़ियों तथा राष्ट्र को भुगतना पड़ेगा। पता नहीं अपने अंधे स्वार्थों, कुटिल चालों, कुर्सियों, अंधाधुंध कमाई और तरह-तरह के मोह में हम और कितना नीचे गिरने को उतावले बैठे हैं।

जिस राम ने आसुरी शक्तियों के संहार के लिए अवतार लिया, उसी राम के हम कैसे नीच और नालायक भक्त हैं कि राक्षसों के पैशाचिक व्यवहार को चुपचाप देख-सुन और भुगत रहे हैं,  असुरों को पनपा कर प्रतिष्ठित कर रहे हैं, सर चढ़ा रहे हैं, कुर्सीनशीन कर रहे हैं, आदर-सम्मान और श्रद्धा दे रहे हैं। उनके साथ भक्ष्य-अभक्ष्य खान-पान से लेकर उन सभी क्रियाओं में मग्न हैं जो उन्मुक्त और स्वच्छन्द भोग-विलास की पर्याय मानी जाती हैं।

जो इंसान भ्रष्ट, बेईमान, डकैत, व्यभिचारी, कुटिल, झूठा, मक्कार, धंधेबाज, वर्णसंकर, संवेदनहीन, कमीशनखोर, ड्यूटी के प्रति लापरवाह,हरामखोर, बिना मेहनत की कमाई खाने वाला, मुनाफाखोर, मन्दिरों, मठों और आश्रमों में धंधा चलाने वाला, राम के नाम पर बरगलाने वाला, चरित्रहीन,अनुशासनहीन, हिंसक, अपराधी और तमाम बुराइयों से घिरा हुआ है, वह इंसान कैसे राम भक्त हो सकता है।

ऎसे नराधमों को राम का नाम लेने और राम के नाम पर भाषण झाड़ने का कोई अधिकार नहीं है।  हम सभी आत्मचिन्तन करें और यह देखें कि हम किस अनुपात में रामभक्ति  या राम का नाम लेने का अधिकार रखते हैं। यदि आत्मा से नकारात्मक आवाज आए तो समझ लें हम सारे के सारे ढोंगी-पाखण्डी और धुतारे हैं। अपने आपको सुधारें, रामत्व को जीवन में उतारें। आज की यह रामनवमी यही संदेश देती है – राम का नाम बदनाम ना करो।

सभी असली रामभक्तों को श्रीरामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं …।

Related post

जनवरी 2024 में 1,41,817 कॉल : कन्वर्जेंस कार्यक्रम के तहत 1000 से अधिक कंपनियों के साथ साझेदारी

जनवरी 2024 में 1,41,817 कॉल : कन्वर्जेंस कार्यक्रम के तहत 1000 से अधिक कंपनियों के साथ…

 PIB Delhi—एक महत्वपूर्ण सुधार में, राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) ने शिकायतों के समाधान में तेजी लाने…
‘‘सहकारिता सबकी समृद्धि का निर्माण’’ : संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 : प्रधानमंत्री

‘‘सहकारिता सबकी समृद्धि का निर्माण’’ : संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 : प्रधानमंत्री

 PIB Delhi:——— प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 25 नवंबर को नई दिल्ली के भारत मंडपम में दोपहर…

Leave a Reply