• April 6, 2015

राज्य के चयनित न्यायायिक अधिकारी अब राजस्थान में ही ले सकेंगे प्रशिक्षण -विधि मंत्री

राज्य के चयनित न्यायायिक अधिकारी अब राजस्थान में ही ले सकेंगे प्रशिक्षण  -विधि मंत्री

जयपुर -विधि मंत्री श्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने केन्द्र सरकार से राजस्थान उच्च न्यायालय में रिक्त न्यायाधीशों के पदों को शीघ्र भरे जाने का आग्रह किया है। उन्होंने बताया कि राजस्थान उच्च न्यायालय में वर्तमान में न्यायाधीशों के 20 पद रिक्त है।

अत: लंबित न्यायिक प्रकरणों के जल्द निपटारे के लिए इन रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्तियां की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि राजस्थान उच्च न्यायालय में 2 लाख  28 हजार 887 लम्बित मुकदमें है।

श्री राठौड़ ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में रविवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन में राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए यह आग्रह किया। सम्मेलन का शुभारंभ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया। सम्मेलन में राजस्थान के मुख्य न्यायाधीश श्री सुनील अबंवानी और रजिस्ट्रार जनरल श्री विजय कुमार व्यास भी मौजूद थे।

विधि मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने प्रदेश में लंबित प्रकरणों के तुरंत निपटारे के लिए अब तक 40 अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश एवं 113 सिविल न्यायाधीश के पदों पर नियुक्तियां की गई है। साथ ही राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव के लिए जिला न्यायाधीश संवर्ग का पद सृजित किया गया है।

राजस्थान उच्च न्यायालय की मुख्यपीठ, जोधपुर व बेन्च जयपुर में विधिक सेवा समितियों हेतु पूर्णकालिक सचिव के पांच पद सृजित किए जा चुके हैं तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के सचिव पद के लिए न्यायिक अधिकारियों के 35 स्थायी पद भी सृजित किए गये है।  उन्होंने बताया कि राजस्थान उच्च न्यायालय के प्रस्ताव पर, राज्य सरकार ने अधीनस्थ न्यायालयों में विभिन्न श्रेणियों में 12 हजार पद भी सृजित किये हैं तथा 239 पदों को अपग्रेड किया जा चुका है।

उन्होंने बताया कि राज्य के न्यायिक अधिकारियों को पहले अन्य राज्यों में प्रशिक्षण के लिए भेजना पड़ता था, लेकिन अब भविष्य में राजस्थान में चयनित होने वाले न्यायिक अधिकारियों को राजस्थान ज्युडीशियल एकेडमी के स्वयं के भवन में ही प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा। राज्य सरकार ने राजस्थान न्यायिक एकेडमी के लिए भूमि एवं बजट उपलब्ध करवा दिया है।

श्री राठौड़ ने फास्ट ट्रेक न्यायालयों की चर्चा करते हुए बताया कि राजस्थान में वर्ष 2001 से स्थापित हुए फास्ट ट्रेक न्यायालयों ने सर्वाधिक संख्या में मुकदमों का निस्तारण कर कीर्तिमान स्थापित किया था, परन्तु केन्द्र सरकार द्वारा अपना अंशदान न देने पर वर्ष 2011-2012 में इन न्यायालयों को समाप्त कर दिया गया।

उन्होंने मांग की कि केन्द्र सरकार का अंशदान पुन: प्रारंभ करते हुए महिलाओं, बालकों, वरिष्ठ नागरिकों, नि:शक्त व विशिष्ट जनों से संबंधित मुकदमों का त्वरित निस्तारण करने हेतु इन न्यायालयों को पुन: स्थापित किया जाए।

प्रत्येक्ष क्षेत्र में तकनीक के बढ़ते प्रयोग के युग में हमें न्यायपालिका में भी इसे प्रयुक्त करने से अच्छे परिणाम मिलेंगे। अत: तेरहवें वित्त आयोग के तहत् संविदा पर नियुक्त किए गये कोर्ट मेनेजर्स की संस्था को अब स्थाई तौर पर नियुक्त करना समीचीन होगा।

वर्तमान में ई-कोर्ट मिशन प्रोजेक्ट के अन्तर्गत अधीनस्थ न्यायालयों को कम्प्यूटर उपकरणों के अतिरिक्त संविदा के तौर पर ही तकनीकी मैन पावर दी जा रही है जिससे अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं। अत: इसे भी स्थाई केडर के रूप में प्रयुक्त करना व इसके लिए आवश्यक राशि केन्द्र सरकार के स्तर पर उपलब्ध कराना वांछनीय है।

विधि मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर सामान्य नियम (दिवानी) के नियम-8 में संशोधन कर सांयकालीन न्यायालयों के संबंध में प्रावधान किया है। लेकिन न्याय व्यवस्था से जुड़े अन्य तंत्र यथा अभिभाषक संघ तथा राज्य की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यह योजना फिलहाल मूर्त रूप नहीं ले पा रही है।

आमजन को सुलभ न्याय उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा सिविल प्रकृति के मामलों की सुनवाई हेतु उनकी अधिकारिता में वृद्धि  की है, जिससे अब सिविल न्यायाधीश के न्यायालय दो लाख रुपये तक एवं वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश के न्यायालय 5 लाख रुपये तक के मूल्यांकन वाले सिविल मामले सुन सकेंगे। सरकार ने अनुपयोगी कानूनों का निरस्त करने के लिये भी आवश्यक कार्यवाही प्रारम्भ कर दी है।

उन्होंने बताया कि राज्य के प्रत्येक जिले के किशोर न्याय बोर्ड की स्थापना कर बालकों के पुनर्वास एवं दत्तक ग्रहण हेतु बाल कल्याण समितियों का गठन कर दिया गया है। मुख्यमंत्री पुनर्वास योजना के माध्यम से बाल गृहों में बालकों के सामाजिक पुनर्वास हेतु जिला स्तर पर नियमित प्रशिक्षण उपलब्ध करवाया जा रहा है।

श्री राठौड़ ने बताया कि सम्पूर्ण कम्प्यूटराइजशन की दिशा मे राज्य सरकार ने राजस्थान उच्च न्यायालय एवं केन्द्रीय मंत्रालय के साथ एम.ओ.यू. निष्पादित किया है। राज्य के न्यायिक अधिकारियों को 873 लेपटॉप खरीद कर उपलब्ध करवाये जा चुके हैं। अधीनस्थ न्यायालयों में कम्प्यूटरराइजेशन हेतु राज्य सरकार द्वारा आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराये जा रहे है।

ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के तहत् राज्य सरकार इन्टरनेट कनेक्टिविटी, जनरेटर हेतु ईधन तथा प्रिन्टर इत्यादि के लिए सुमचित बजट उपलब्ध करवा रही है। राजस्थान उच्च न्यायालय से नियुक्ति नियम प्राप्त होने पर 61 सिस्टम ऑफिसर एवं 182 सिस्टम असिस्टेन्ट के पदों पर नियुक्ति के लिए शीघ्र ही कार्यवाही की जायेगी।

न्यायालयों के लिए आधारभूत सुविधाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि राजस्थान उच्च न्यायालय से 22 जिलों में 122 न्यायालय भवनों के लिए प्राप्त प्रस्ताव आवश्यक कार्यवाही हेतु संबंधित जिला कलक्टर्स को भेजे गये हैं, जिनमें से 3 जिलों में भूमि आंवटन की कार्यवाही भी पूर्ण हो चुकी है। राज्य के न्यायिक अधिकारियों के 130 आवास निर्माण हेतु भूमि आंवटन की कार्यवाही करने के प्रस्ताव भी संबंधित जिला कलेक्टर को भेजे जा चुके हैं।

उन्होंने बताया कि राजस्थान की सूर्यनगरी कहे जाने वाले जोधपुर शहर में 187 करोड़ की लागत से राजस्थान उच्च न्यायालय का मुख्य भवन निर्माणाधीन है। इस भव्य निर्माण कार्य को शीघ्र ही पूर्ण किया जा रहा है।

श्री राठौड़ ने कहा कि राजस्थान सरकार, मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के नेतृत्व में गरीब को गणेश मानकर आमजन की समस्याओं के समाधान के लिये संकल्पबद्घ होकर कार्य कर रही है। आमजन को सस्ता एवं सुलभ न्याय उपलब्ध कराना हम सबकी प्राथमिकता है एवं राज्य में इस दिशा में सभी आवश्यक प्रयास किये जा रहे हैं।

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