- January 27, 2023
मैक्स लाइफ इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट 5.0 सर्वे
सुरक्षा स्तरों के महामारी के पहले के आंकडों तक पहुंचने के साथ ही इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट(IPQ) 43 तक बढ़ा,
2019 में 35 के बाद IPQ में लगातार प्रगति दर्ज: मैक्स लाइफ इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट 5.0 सर्वे
नई दिल्ली : मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (”मैक्स लाइफ”/ ”कंपनी”) ने कांतार के सहयोग से कराए अपने फ्लैगशिप सर्वे इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट सर्वे (आईपीक्यू) * के पांचवें एडिशन के नतीजे आज जारी किए। 5वें एडिशन के तहत्, इस सर्वे के जरिए पिछले 5 वर्षों के दौरान भारत के वित्तीय सफर का अध्ययन किया गया है और इस तरह यह भारत की वित्तीय सुरक्षा तथा तैयारियों के आधारभूत भरोसेमंद संकेतक के रूप में उभरा है। 2019 में लॉन्च किए गए इस सर्वे को
कोविड-19 महामारी के दौरान बेहद अनिश्चित और चुनौतीपूर्ण दौर में कराया गया था और अब तक सात अलग-अलग सर्वेक्षणों के जरिए इसने 30,000 से ज्यादा प्रतिभागियों तक पहुंच बनायी है।
2019 में, 35 के प्रोटेक्शन कोशेंट के साथ शुरुआत करने वाले भारत ने एक लंबा सफर तय कर लिया है। सर्वे के नवीनतम एडिशन में शहरी भारत ने एक सकारात्मक रुझान पेश करते हुए, आईपीक्यू 1.0 की तुलना में, प्रोटेक्शन कोशेंट में 8 अंकों से छलांग लगाकर 43 (आईपीक्यू 5.0 के अनुसार) का आंकड़ा छू लिया है। सर्वे से यह भी खुलासा हुआ है कि शहरी भारतीय लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स को लेकर किस हद तक जागरूक हैं या नॉलेज इंडैक्स 2019 में 39 (आईपीक्यू 1.0) की तुलना में 57 हो गया है जबकि लाइफ इंश्योरेंस ओनरशिप स्तर 2019 (आईपीक्यू 1.0) में 800 bps से बढ़कर 73% हो गया।
महामारी के मंद पड़ने के मद्देनज़र, इस सर्वे ने सुरक्षा स्तरों में हुई शानदार रिकवरी को उद्घाटित किया है, यह देखा गया कि सुरक्षा स्तर धीरे-धीरे महामारी पूर्व के स्तरों की ओर लौट रहा है, आईपीक्यू 1.0 में 66% की तुलना में महामारी के दौरान अधिकतम 57% दर्ज होने के बाद इस एडिशन में यह 63% हो गया।
आईपीक्यू 5.0 में यह पाया गया है कि अब जबकि सेहत के मोर्चे पर चिंताओं में गिरावट हुई है, शहरी भारत ने अपनी प्राथमिकताओं को नए सिरे से तय करने की शुरुआत कर दी है और जीवन बीमा के लिए बचत योजनाओं में निवेश बढ़ रहा है – आईपीक्यू 1.0 में यह 24% से बढ़कर आईपीक्यू 5.0 में 38% दर्ज हुआ है, जबकि टर्म प्लान1 खरीदारी की दर 5 वर्षों में ~50% बढ़ गई है।
आईपीक्यू 5.0 के लॉन्च पर टिप्पणी करते हुए, प्रशांत त्रिपाठी, प्रबंधक निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मैक्स लाइफ इंश्योरेंस ने कहा, ‘’हमने भारत के व्यवहार को समझने के मकसद से पांच साल पहले प्रोटेक्शन कोशेंट सर्वे शुरू किया था – यह देश के लचीलेपन का निर्धारण करने के लिहाज़ से महत्वपूर्ण संकेतक है। तभी से, इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट लगातार वित्तीय सेहत संबंधी प्रमुख संकेतक बना हुआ है जो मैक्स लाइफ और लाइफ इंश्योरेंस सैक्टर को वित्तीय तैयारियों के लिहाज़ से देश की तैयारियों को समझने में मदद करता रहा है।‘’
उन्होंने कहा, ‘’इस साल, हम भारत को अधिक सुरक्षित देख रहे हैं, क्योंकि स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं घटी हैं। इसके अलावा, भारत ने टर्म इंश्योरेंस के सही मोल को समझा है, हालांकि स्वामित्व अभी भी लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री के लिए चुनौती बना हुआ है और इस तरफ काफी ध्यान देने की जरूरत है। एक ओर जहां इस अध्ययन के मौजूदा नतीजों से भारत की वित्तीय आजादी को लेकर भरोसा बढ़ा है वहीं यह भी स्पष्ट हुआ है कि अगला रास्ता चुनौतीपूर्ण है, जिस पर आगे बढ़ने में पिछले सबक मददगार होंगे और साथ ही यह समझ देश के लाइफ इंश्योरेंस सैक्टर के भविष्य को तय करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।‘’
सौम्या मोहंती, प्रबंधक निदेशक एवं सीसीओ, कांतार इन्साइट्स, दक्षिण एशिया ने सर्वे के नतीजों के बारे में कहा, ‘’फ्लैगशिप सर्वे के रूप में इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट अध्ययन ने एक ऐसे सर्वे के तौर महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है जो सांख्यिकी के नज़रिए से उपभोक्ताओं के व्यवहारों को टटोलता है। हम लाइफ इंश्योरेंस के बारे
में जागरूकता बढ़ाने तथा देश का वित्तीय लचीलापन सुनिश्चित करने में के मैक्स लाइफ के प्रयासों में भागीदारी करते हुए खुशी महसूस कर रहे हैं।‘’
इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट 5.0 के नतीजों से शहरी भारत के व्यवहार में होने वाले बदलावों एवं वित्तीय तैयारियों के बारे में निम्न जानकारी मिली है:
शहरी भारतीयों की वित्तीय तैयारी
लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स के बारे में जानकारी में सर्वाधिक प्रगति हुई और आईपीक्यू 1.0 में नॉलेज इंडैक्स की तुलना में 45% से अधिक बढ़ोतरी हुई, लाइफ इंश्योरेंस स्वामित्व भी बढ़कर 73% के सर्वोच्च आंकड़े पर पहुंचा
शहरी भारत के व्यवहार में यह सकारात्मक प्रगति देखी गई कि पिछले पांच वर्षों में नॉलेज इंडैक्स में काफी बढ़ोतरी हुई है। जहां आईपीक्यू 3.0 में लाइफ इंश्योरेंस स्वामित्व 71% से बढ़कर 73% दर्ज हुआ, वहीं टर्म (30%), मार्केट-लिंक्ड (13%) और सेविंग्स प्लान (38%) जैसे प्रोडक्ट्स के स्वामित्व में बढ़ोतरी विभिन्न श्रेणियों में बढ़ी हुई जागरूकता का सूचक है।
· प्रोटेक्शन कोशेंट में साउथ ज़ोन लगातार वर्षों से निर्विवाद रूप से #1 रैंक पर कायम, हालांकि अभी भी आधा रास्ता ही तय हुआ; लाइफ इंश्योरेंस स्वामित्व में महानगर और टियर 1 शहरों ने दूरियों को कम किया
आईपीक्यू 5.0 में, साउथ ज़ोन के प्रोटेक्शन कोशेंट में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज हुई और यह 41 से बढ़कर 47 हुआ। उधर, वैस्ट ज़ोन 42 अंकों के साथ दूसरे तथा नॉर्थ एवं ईस्ट क्रमश: 40 एवं 39 के साथ तीसरे और चौथे स्थान पर रहे। टियर 1 शहरों ने लाइफ इंश्योरेंस लेने के मामले में प्रगति दर्ज की है और इनमें 10 में से 7 लोगों के पास अब लाइफ इंश्योरेंस है। यह महानगरों के मुकाबले काफी कम है। टियर 2 शहरों के नॉलेज इंडैक्स में 3% की गिरावट देखी गई है जो इस बात का सूचक है कि लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स के बारे में उन्हें जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।
वित्तीय प्रोडक्ट्स के बारे में डिस्क्लेमर: – http://bit.ly/3D3Iioy
· डिजिटल तौर पर सक्रिय शहरी भारतीय सर्वाधिक सुरक्षित
आईपीक्यू 5.0 ने एक बार फिर इस पक्ष को उभारा है कि डिजिटल तौर पर सक्रिय शहरी भारतीय
नॉलेज इंडैक्स (72), स्वामित्व (79%), तथा सुरक्षा स्तरों (66%) के मोर्चे पर सबसे आगे हैं। डिजिटल तौर पर क्रिस शहरी भारत का आईपीक्यू शहरी भारत के 43 से 9 अंक ऊपर 52 दर्ज किया गया है।
वित्तीय सुरक्षा को लेकर चिंताएं एवं दृष्टिकोण
- शहरी भारत ने दीर्घकालिक लक्ष्यों में निवेश पर फिर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी प्राथमिकताओं में बदलाव का संकेत दिया
शहरी भारत धीरे-धीरे सामान्य परिस्थितियों की ओर लौट रहा है जहां मुद्रास्फीति सबसे प्रमुख सरोकार बनकर उभर रहा है और 64% प्रतिभागियों ने बढ़ती कीमतों पर चिंता जतायी है। बच्चों की शिक्षा (60%) तथा उनकी शादी-ब्याह (49%) के लिए बचत दीर्घकालिक बचत लक्ष्यों में सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में सामने आए हैं जबकि सिर्फ 20% ने कहा कि वे चिकित्सा संबंधी आपातकालीन स्थितियों के लिए अलग से इंतज़ाम करते हैं। यह आईपीक्यू 3.0 से उलट है जिसमें 31% ने कहा था कि वे मेडिकल इमरजेंसी के लिए बचत पर ध्यान देते हैं।
· लग्ज़री खर्च कोविड-पूर्व स्तरों पर पहुंचा और बचत संबंधी आबंटन में कमी आयी है
आईपीक्यू 3.0 की तुलना में, इस सर्वे से यह स्पष्ट हुआ है कि लग्ज़री संबंधी मदों पर कोविड-पूर्व दौर की तरह ही खर्चों में तेजी देखी गई, और यह 15% तक हो गया है। उधर, बुनियादी जरूरतों पर खर्च पिछले सर्वे के अनुरूप है, जबकि बचत और निवेश पर आबंटन में कमी हुई है – आईपीक्यू 3.0 में 50% के मुकाबले आईपीक्यू 5.0 में 7 अंकों की कमी के साथ यह 43% दर्ज किया गया।
टर्म इंश्योरेंस संबंधी दृष्टिकोण
- टर्म इंश्योरेंस का ‘असली मूल्य’ पुनर्स्थापित, इसके बावजूद शहरी भारत अभी इस पर कार्रवाई से दूर: टर्म इंश्योरेंस स्वामित्व पहले के स्तर पर कायम जबकि इस बारे में जागरूकता में काफी सुधार हुआ
शहरी भारत ने टर्म इंश्योरेंस को लेकर सकारात्मक रुझान प्रदर्शित किए हैं और इस प्रोडक्ट के बारे में जागरूकता बढ़ायी है। इंश्योरेंस संबंधी जागरूकता स्तर सर्वाधिक 64% दर्ज किया गया है, जो कि आईपीक्यू 3.0 से 5% बढ़ोतरी है। लेकिन टर्म इंश्योरेंस स्वामित्व अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है और आईपीक्यू 3.0 में 28% के मुकाबले मौजूदा सर्वे में सिर्फ 30% स्वामित्व दर्ज किया गया है, जो कि सिर्फ 2% बढ़ोतरी है।
· शहरी भारत ने बेहतर अनुभव और सेवाओं, पर ज़ोर दिया जो इस बात का सूचक है कि गिने-चुने भारतीय ही इंश्योरेंस को ‘खर्चीला‘ मानते हैं; बीमित रकम और राइडर लाभ पर पहले की तुलना में प्राथमिकताओं में कमी
हालांकि टर्म प्लांस की खरीदारी के मद्देनज़र प्रीमियम एक प्रमुख मसला है, आईपीक्यू 5.0 से यह पता चला कि खरीदारी के फैसले के वक्त अब इसका महत्व लगातार घट रहा है, आईपीक्यू 3.0 में 33% के बाद अब आईपीक्यू 5.0 में यह 28% रह गया है। इस अध्ययन से एक और महत्वपूर्ण बात सामने आयी कि राइडर लाभ तथा बीमित राशि भी शहरी भारतीयों के लिए पहले जितना महत्व नहीं रखती।
· 2 में से 1 भारतीय का मानना है कि उनका टर्म इंश्योरेंस उनके परिवार के भविष्य की सुरक्षा के लिहाज़ से अपर्याप्त है
आईपीक्यू 5.0 से पता चलता है कि 50% शहरी भारतीय अब भी अपने टर्म इंश्योरेंस से मिलने वाली कवरेज को लेकर विश्वस्त नहीं हैं कि इससे उनके प्रियजनों का भविष्य सुरक्षित हो सकता है। अलबत्ता, बढ़ते सुरक्षा सरोकारों के
मद्देनज़र यह देखा गया है कि कवरेज के अपर्याप्त होने का भाव पिछले 5 वर्षों में न्यूनतम है।
· भारत के टियर 1 शहरों ने प्रगति दर्ज करायी है और टर्म इंश्योरेंस स्वामित्व के लिहाज से सचमुच प्रगति करते हुए पांच वर्षों में पहली बार महानगरों को पटखनी दी है
आईपीक्यू के पिछले पांच वर्षों के इतिहास में यह पहला अवसर है, जबकि टियर 1 शहरों ने सर्वाधिक 38% का टर्म इंश्योरेंस स्वामित्व दर्ज कराया है, जो कि आईपीक्यू 3.0 के मुकाबले शानदार 8% अंकों की बढ़त है, और इस मोर्चे पर महानगरों को भी पछाड़ा है जहां यह आंकड़ा 29% रहा। महानगरों में टर्म स्वामित्व में आईपीक्यू 3.0 की तुलना में अंकों के लिहाज से कमी आयी है – और सुधार के लिए 4% की गुंजाइश है।
· टर्म इंश्योरेंस की खरीदारी में ऑनलाइन चैनलों की प्राथमिकता बढ़ी है; एजेंट इस सबसे आगे हैं और हर 3 में से 2 भारतीय उन्हें चुन रहे हैं
70% शहरी भारतीय अपने टर्म प्लांस की खरीदारी इंश्योरेंस एजेंट के माध्यम से करते हैं, जबकि 16% ऑनलाइन खरीदते हैं, जो कि ‘DIY’ तथा एजेंट सपोर्ट दोनों के महत्व को दर्शाता है। इस सर्वे से यह भी खुलासा हुआ है कि डिजिटल ने काफी प्रगति की है और यह 16% तक पहुंचा है जबकि आईपीक्यू 1.0 में सिर्फ 6% ही इसे पसंद करते थे।
मिलेनियल्स बनाम नॉन-मिलेनियल्स
- मिलेनियल्स और नॉन-मिलेनियल्स के बीच अंतर धीरे-धीरे घट रहा है
मिलेनियल्स का प्रोटेक्शन कोशेंट नॉन-मिलेनियल्स के बराबर यानि 43 है। इसके अलावा, इन दोनों समूहों में लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स संबंधी जागरूकता का स्तर भी एक समान यानि 57% है। नॉन-मिलेनियल्स जहां अपने जीवन के बेहद महत्वपूर्ण चरणों की तरफ बढ़ रहे और ऐसे में उनका
ध्यान वित्तीय सुरक्षा की तरफ ज्यादा है, उसके चलते लाइफ इंश्योरेंस स्वामित्व दर 73% से बढ़कर 77% हो गई है, और इस मामले में इसने मिलेनियल्स को पीछे छोड़ दिया है, जो कि 71% है।
पुरुष एवं महिलाएं
- टर्म प्लान स्वामित्व के मामले में पुरुष आगे, महिलाओं के स्तर पर भी स्वामित्व में तेजी देखी गई
इस सर्वे में महिलाओं के प्रोटेक्शन कोशेंट में स्पष्ट रूप से बढ़ोतरी दर्ज की गई है, आईपीक्यू 3.0 में 36 के मुकाबले आईपीक्यू 5.0 में यह आंकड़ा 40 दर्ज किया गया। जहां पुरुषों के मामले में लाइफ इंश्योरेंस स्वामित्व 74% और महिलाओं में 71% दर्ज हुआ है वहीं टर्म इंश्योरेंस के मोर्चे पर भी पुरुष 31% स्वामित्व के साथ आगे बने हुए हैं। अलबत्ता, महिलाओं ने टर्म इंश्योरेंस संबंधी जागरूकता में वृद्धि दर्ज की है और आईपीक्यू 3.0 में 52% से बढ़कर यह 58% पहुंच गया है, साथ ही, टर्म इंश्योरेंस स्वामित्व भी आईपीक्यू 3.0 में 22% के मुकाबले आईपीक्यू 5.0 में 27% तक जा पहुंचा है।
वेतनभोगी बनाम स्वरोजगाररत
- वेतनभोगियों और स्वरोजगाररत दोनों के मामले में प्रोटेक्शन कोशेंट में हुई वृद्धि; वेतनभोगी वर्ग ने लाइफ इंश्योरेंस के जरिए वित्तीय सुरक्षा पर ध्यान देना जारी रखा
वेतनभोगियों का प्रोटेक्शन कोशेंट आईपीक्यू 5.0 में 41 के मुकाबले 48 हो गया है, और स्वरोजगाररत श्रेणी में 39 से बढ़कर 42 का आंकड़ा छूने की तुलना में यह आगे है, जो कि कारोबारों पर महामारी के प्रभाव के दीर्घकालिक प्रभावों का सूचक है। वित्तीय सुरक्षा के महत्व को समझते हुए, वेतनभोगी वर्ग ने हाल के वर्षों में स्वास्थ्य संबंधी संकट पर बेहतर प्रतिक्रियाएं दी हैं और लाइफ इंश्योरेंस अपनाने को अधिक महत्व दिया है, इसके चलते आईपीक्यू 3.0 में 72% की तुलना में सर्वे के नवीनतम एडिशन में यह आंकड़ा 81% तक पहुंच गया।
इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट
मैक्स लाइफ इंश्योरेंस द्वारा कांतार के साथ मिलकर 2019 में शुरू किया गया सालाना सर्वेक्षण इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट वित्तीय सुरक्षा क्षेत्र में भारतीय उपभोक्ताओं की नब्ज़ समझने में मदद करता है। जीवन बीमा के आधारभूत और किफायती प्रारूप के तौर पर टर्म इंश्योरेंस लेने के लिए लोगों को प्रेरित करने के शुरुआती उद्देश्य के साथ शुरू किए गए इस सर्वेक्षण का उद्देश्य मौजूदा वित्तीय सुरक्षा स्तर, बचत और निवेश की बदलते पैटर्न, प्रमुख परेशानियों और मौजूदा दुनिया में वित्तीय सुरक्षा को बढ़ावा देने वाले कारकों के लिहाज़ से शहरी भारतीयों की स्थिति के बारे में जानकारी देना था। इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट, मैक्स लाइफ द्वारा कांतार के सहयोग से तैयार ऐसा प्रॉपरायटरी टूल है जो शून्य से 100 के स्केल पर यह बताता है कि भारतीय भविष्य की अनिश्तिताओं के प्रति खुद को कितना सुरक्षित समझते हैं। यह लोगों के दृष्टिकोण, भविष्य की अनिश्चितताओं के लिए मानसिक तैयारी, जागरूकता, और जीवन बीमा उत्पाद श्रेणियों (टर्म, एनडाउमेंट और यूलिप) की खरीदारी पर आधारित है।
यह अध्ययन देश के शीर्ष 25 शहरी महानगरों, टियर 1 व टियर 2 शहरों में कराया गया; इसलिए इसके परिणाम शहरी भारत के महानगरों, टियर 1 और टियर 2 शहरों के रुझानों को ही दर्शाते हैं।
- महानगर- दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद, मुंबई
- टियर 1- लुधियाना, जयपुर, लखनऊ, पटना, भुवनेश्वर, वाइज़ैग, अहमदाबाद, भोपाल, पुणे
- टियर 2- देहरादून, मुरादाबाद, गुवाहाटी, बोकारो, कोल्हापुर, जामनगर, रायपुर, उज्जैन, हुबली-धारवाड़, त्रिचिरापल्ली
- आईपीक्यू 5.0 बनाम आईपीक्यू 3.0 डेटा की तुलना सिर्फ 25 बाज़ारों के लिए की गई है [ 6 महानगर, 9 टियर 1 तथा 10 टियर 2 शहर]
- किसी भी परिणाम पर पहुंचने के लिए अध्ययन में लिया गया न्यूनतम सैंपल 270 है जिसमें +- 5.964% का मार्जिन है।
- आईपीक्यू 5.0 की तुलना आईपीक्यू 3.0 से की गई है – दोनों भौतिक फॉर्मेट सर्वे।
आईपीक्यू 5.0 की तुलना आईपीक्यू 4.0 डिजिटल से गई है – दोनों ऑनलाइन फॉर्मेट सर्वे।
मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के बारे में (www.maxlifeinsurance.com)
मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, मैक्स फाइनेंशियल सर्विसेज़ लिमिटेड तथा एक्सिस बैंक लिमिटेड का संयुक्त उपक्रम है। मैक्स फाइनेंशियल सर्विसेज़ लिमिटेड एक प्रमुख भारतीय बहु-व्यावसायिक संगठन मैक्स ग्रुप का हिस्सा है। मैक्स लाइफ एजेंसी और तृतीय पक्ष वितरण पार्टनर्स समेत अपने मल्टी-चैनल वितरण के जरिए विस्तृत सुरक्षा और दीर्घकालिक बचत की पेशकश करती है।
मैक्स लाइफ ने पिछले करीब दो दशकों में, आवश्यकता आधारित बिक्री प्रक्रिया, संपर्क एवं सेवा प्रदान करने के स्तर पर ग्राहकोन्मुख दृष्टिकोण और प्रशिक्षित मानव संसाधन की मदद से अपना व्यवसाय स्थापित किया है। सार्वजनिक प्रकटीकरण तथा वार्षिक लेखा परीक्षित वित्तीय आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 21-22 के दौरान, मैक्स लाइफ इंश्योरेंस का ‘सकल लिखित प्रीमियम’ 22,414 करोड़ रुपये रहा।