- April 6, 2024
भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी प्रशिक्षुओं के लिए पेशेवर पाठ्यक्रम :- उपराष्ट्रपति
जब आप भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाते हैं तो पड़ोसियों की प्रतिक्रिया देखकर आपके माता-पिता को सबसे अधिक संतुष्टि होती है और आप अचानक उनके मनोबल में वृद्धि पाएंगे। यह कभी न भूलें कि आप जो कुछ भी हैं, उनकी वजह से हैं। यह उनके त्याग से संभव हुआ है।
युवाओं को संबोधित करना वास्तव में संतुष्टिदायक है, और इस कठोर प्रशिक्षण के बाद, आप बेहद परिपक्व हो गए हैं। आप इस जगह तक पहुंचे हैं, आप इससे भली-भांति अवगत हैं। यहां तक पहुंचना सबसे कठिन कार्य था। जब तक आप सूची में अपना नाम नहीं देख लेते, तब तक आप कभी भी इस मार्ग पर चलना इतना सहज नहीं मानते।
मैं यहां प्रतिभाशाली दिमागों और होनहार नेताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं, मेरा मतलब केवल राजनीतिक नेताओं से नहीं है। यद्यपि हमारे पास सेवारत और सेवा से बाहर राजनीति में आने वाले प्रशिक्षित नौकरशाह तेजी से बढ़ रहे हैं, और वे शक्तिशाली पदों पर भी पहुंच रहे हैं।
मुझे इस प्रतिष्ठित संस्थान की समृद्ध विरासत की याद आती है, जहां अनगिनत सिविल सेवकों को हमारे महान राष्ट्र की सेवा करने के लिए पोषित करके तैयार किया गया है और उन सभी ने इस स्तर पर भारत के उद्भव में योगदान दिया है।
मेरे मित्रो, आप में से प्रत्येक व्यक्ति उत्कृष्टता, सत्यनिष्ठा और सार्वजनिक सेवा को लेकर प्रतिबद्धता का प्रतीक है, ऐसे गुण जो हमारे राष्ट्र की नियति को आकार देने के लिए अपरिहार्य हैं। मैं आपमें अपनी दृष्टि और संकल्पना में भारत को परिभाषित करने की क्षमता देखता हूं, और मुझ पर विश्वास करें, आप 2047, विकसित भारत और हमारे प्रस्थान के लिए सक्षम हैं।
उस समय, आप सभी निर्णायक पदों पर होंगे, और मैं और मेरे जैसे कई लोग स्वर्ग से उस गौरवशाली क्षण को देख रहे होंगे।
भारत पहले से कहीं ज्यादा आगे बढ़ रहा है और पूरा विश्वास है कि आप सभी इस तेजी से बढ़ती विकास यात्रा को बनाए रखेंगे और इसमें योगदान देंगे।
मैंने और मेरी पीढ़ी ने ऐसा भारत देखा है, जहां गांव में रोशनी नहीं थी, सड़क संपर्क नहीं था। आप नल के पानी के बारे में नहीं सोच सकते; आप घर में शौचालय के बारे में सोच भी नहीं सकते। आप कभी घर में गैस कनेक्शन की कल्पना नहीं कर सकते; आपके गांव में कोई स्कूल नहीं है या ज्यादा से ज्यादा एक प्राइमरी स्कूल होने से आप संतुष्ट हो सकते हैं, और देखिए हम कहां तक पहुंच गए हैं।
मैं समसामयिक राष्ट्रीय परिदृश्यों के विभिन्न पहलुओं- आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और भू-राजनीतिक पहलुओं से संबंधित पर चर्चा करना चाहूंगा।
आर्थिक बुनियादी बातों पर, पिछले दशक को एक बड़े बदलाव के साथ चिह्नित किया गया है, जो वर्तमान समय को आशा और संभावना से परिपूर्ण बनाता है। एक कठिन दौर से उबरने के बाद निराशा के माहौल से उत्साहित मनोदशा में परिवर्तन होता है। आपको इसका लाभ उठाना होगा, राष्ट्रीय कल्याण के लिए इसका लाभदायक इस्तेमाल करना होगा।
इस अवधि में हमारी अर्थव्यवस्था प्रतिकूल परिस्थितियों और कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए विश्व की पांच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं से आगे बढ़कर हमारे औपनिवेशिक अग्रणियों, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और फ्रांस से आगे निकलकर पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन गई है।
लगभग दो वर्षों में भारत, जहां मानवता का छठा हिस्सा रहता है, जापान और जर्मनी के बाद तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
जब मैं 1989 में संसद में पहुंचा, तो मुझे केंद्रीय मंत्री बनने का अवसर मिला। मुझे उस दर्द का सामना करना पड़ा, जब ‘सोने की चिड़िया’ के नाम से विख्यात हमारे देश को, हमारी राजकोषीय विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए सोने को भौतिक रूप से दो स्विस बैंकों में गिरवी रखना पड़ा था। आज मैं जो देख रहा हूं, उसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। यह एक बड़ा बदलाव है।
मेरे युवा मित्रो, आज हम तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक क्रय शक्ति के रूप में स्थापित हैं।
अमृत काल से विकासशील भारत@2047 तक हमारा मैराथन मार्च हमारे प्रधानमंत्री की दूरदर्शी सोच से अच्छी तरह से लिखा गया है, जो गहरी लगन के साथ मिशन मोड में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और यह आपकी बिरादरी के समर्पित निष्पादन के साथ जुड़ा हुआ है, दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। आपको दूरदर्शी नीतियों को सफल बनाना होगा और भारतीय नौकरशाही इस समय दिन-प्रतिदिन इस काम में जुटी है।
हमारी अर्थव्यवस्था परिवर्तनकारी नीतियों और नवीन सुधारों से मजबूत हुई है, जिसके परिणामस्वरूप अंतिम पंक्ति के लोगों के लिए जीवनयापन में आसानी हुई है, जैसा कि महात्मा गांधी जी ने अपने अंत्योदय की अवधारणा में बताया है। पंक्ति में अंतिम व्यक्ति का ध्यान रखने वाली अंत्योदय की महात्मा गांधी जी की यह बहुत ही सोची समझी संकल्पना आज साकार हो रही है। कार्य प्रगति पर है और यह जमीनी हकीकत है।
दुनिया का सबसे बड़ा कर सुधार – वस्तु एवं सेवा कर – जीएसटी की शुरुआत 2017 में तत्कालीन माननीय राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद के सेंट्रल हॉल में किया गया था।
मेरे युवा मित्रो, जिस सेंट्रल हॉल में, 14-15 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि को, भारत ने स्वतंत्रता प्राप्ति पर “नियति से साक्षात्कार” किया था, उसी सेंट्रल हॉल में, 30 जून-1 जुलाई 2017 की मध्यरात्रि को, देश में जीएसटी प्रणाली यानी “आधुनिकता के साथ साक्षात्कार” की शुरुआत हुई थी। जीएसटी एक गेम चेंजर सुधार रहा है और इसने अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान दिया है, जिससे यह अधिक पारदर्शी और अपने योगदानकर्ताओं के लिए सक्षम हो गया है।
वैश्विक परिदृश्य के विपरीत, हमारी अर्थव्यवस्था कोविड महामारी की चुनौतियों और आपूर्ति श्रृंखलाओं को खतरे में डालने वाले वैश्विक संघर्षों के बावजूद लगातार ऊपर की ओर बढ़ रही है। यह आप सभी को सुखद लग रहा होगा कि शायद ही कोई सप्ताह गुजरा हो, जब हमारी नौसेना ने आपूर्ति श्रृंखलाओं को बचाने के लिए, समुद्री डकैती के पीड़ितों को बचाने के लिए काम न किया हो। हर भारतीय को उनकी उपलब्धि पर गर्व होगा।
राष्ट्र ने सीमित नहीं नहीं, बल्कि चौतरफा सामाजिक विकास देखा। जरूरतमंदों और पीड़ितों के लिए उत्थान चिंतन से भी अधिक परिवर्तनकारी रहा है।
हमारे विशाल और विविधता वाले देश में, यह वास्तव में एक चौंका देने वाला विचार था कि हर घर में बिजली होगी, यह सोचना मुश्किल है, उस चौंका देने वाले विचार को देखें, जो हमारे प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व के दिमाग में आया। उन्होंने सोचा कि हर घर में बिजली, शौचालय, नल का पानी और गैस कनेक्शन होगा और हर व्यक्ति को स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं मिलेंगी।
एक अच्छी पसंद की सूची, एक अच्छा सपना, किंतु यह सब पूरा हुआ। ये अब काफी हद तक जमीनी हकीकत हैं और काम प्रगति पर है। आपको इसे कायम रखना होगा.
मित्रो, देश भर में अकल्पनीय मील के पत्थर, उच्च डिजिटल और तकनीकी कनेक्टिविटी आश्चर्यजनक उपलब्धियों से कम नहीं है। एक समय था जब हम वैश्विक तकनीकी प्रगति से दशकों पीछे थे। देखो हम कहां है, हम अग्रणी बनते जा रहे हैं।
इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2023 में वैश्विक डिजिटल लेनदेन का 50 प्रतिशत भारत में होगा। हम मानव की कुल जनसंख्या का छठा हिस्सा हैं, लेकिन वैश्विक दूरस्थ लेनदेन में हमारी हिस्सेदारी प्रतिशत है, जिससे हमारा सिर ऊंचा हो जाता है। हमें इस उपलब्धि पर सदैव गर्व रहेगा।
मजबूत बुनियादी ढांचे के साथ डिजिटल कनेक्टिविटी से देश को बहुत फायदा हुआ है, क्योंकि अब यह देश के हर कोने में उपलब्ध है। यह हमारे भौगोलिक क्षेत्र के बारे में बताता है। हर गांव में यह है। अगर आप गांव से हैं तो अब आपको दर्द नहीं सहना पड़ेगा, आपको भी यही सुविधा मिलेगी।
देश के हर हिस्से में इंटरनेट की पहुंच और अनुकूलन क्षमता इस तथ्य से प्रमाणित होती है कि हमारी प्रति व्यक्ति इंटरनेट खपत संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन की तुलना में अधिक है।
इस गेम-चेंजर तकनीकी उपलब्धि ने शासन की जवाबदेही और पारदर्शिता में भी व्यापक योगदान दिया है।
मेरे युवा मित्रो, आप सभी याद करें, 1980 के दशक में इस देश के एक प्रधानमंत्री ने दुख व्यक्त किया था कि विकास के लिए निर्धारित राशि का 15 प्रतिशत भी लाभार्थी तक नहीं पहुंचता है। उनकी चिंता थी कि 85 प्रतिशत कहीं और चला जाता है।
और अब, आमूल-चूल बदलाव आ गया है, क्योंकि इच्छित लाभार्थी को बिना किसी रिसाव, मध्यस्थ या बिचौलिए के डिजिटल रूप से शत-प्रतिशत सहायता प्राप्त होती है। वे इसे अपने बैंक में प्राप्त करते हैं। 50 करोड़ लोगों को बैंकिंग सिस्टम में शामिल करने का कितना दूरदर्शी कदम उठाया गया। उन्होंने पहली बार अपना खाता खोला। देखिये उसका हमें कितना अधिक लाभ मिल रहा है।
मुझे अपने जमीनी स्तर पर आने दीजिए। मैं किसान का बेटा हूं। मैं एक गांव से हूं। मैं बाहर कदम रखने वाली पहली पीढ़ी हूं। मैं आज जो कहता हूं और 30 साल पहले जब मैं मंत्री और संसद सदस्य था तब मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था कि अब लगभग 100 मिलियन किसानों को उनके बैंक में साल में तीन बार पीएम किसान सम्मान निधि सीधे ट्रांसफर की जा रही है।
मेरे युवा मित्र, सरकार तैयार हो सकती है, मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो सकता है, लेकिन गौरवशाली उपलब्धि ये है कि किसान इसे लेने के लिए तैयार है और ले रहा है और ये रकम इस समय करीब-करीब 3 लाख करोड़ है, जो कोई छोटी रकम नहीं है।
कंप्यूटर केंद्रों वाले लगभग सभी गांवों में सुविधा देकर सामान्य व्यक्ति के लिए सेवा वितरण को तकनीकी रूप से संचालित किया गया है।
गांवों में, टियर 2 शहरों में युवाओं को देखें, जब वे नौकरी के लिए आवेदन करते हैं, जब वे परीक्षा फॉर्म भरते हैं, जब वे पासपोर्ट चाहते हैं, तो उन्हें अब पुरानी पद्धति का उपयोग नहीं करना पड़ता है, जिससे धन और समय की बर्बादी होती थी। वे इसे तकनीकी माध्यमों से करते हैं।
तीन दशकों से अधिक के अंतराल के बाद नई शिक्षा नीति शिक्षा प्रणाली में अत्यंत आवश्यक क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए तैयार है। अब इसे हमारी आवश्यकताओं, हमारी सोच, हमारे सपनों के अनुरूप तैयार किया गया है। हम किसी विदेशी भाषा में सपने नहीं देखते हैं, हम अपनी भाषा में सपने देखते हैं और यह बदलाव महज उन्मुखीकरण से लेकर कौशल विकास की ओर है और यह बदलाव समयानुसार है।
हमारी रेल, सड़क और हवाई कनेक्टिविटी जो आप आए दिन देखते हैं, अपने दादा-दादी, अपने माता-पिता से पूछें कि तब क्या स्थिति थी और अब क्या स्थिति है, न केवल संख्यात्मक बल्कि गुणात्मक भी। हमारे पास एक विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा है और हम अपनी सड़क को देखते हैं और किसी विशेष स्थान से कनेक्टिविटी के लिए कई विकल्पों को देखते हैं। मेरा ध्यान अपने गृह राज्य के जयपुर की ओर जा रहा है। दिल्ली- जयपुर- अलवर के माध्यम से केवल एक सड़क होती थी, जो समय के साथ सीधे कोटपूतली तक आ गई और अब यह दिल्ली बॉम्बे ग्रैंड हाईवे विश्व स्तरीय राजमार्ग का हिस्सा है। एक समय था पहले जहां 98 घंटे का समय लगता था, अब केवल 5-6 घंटे का समय लगता है, जो एक बड़ा बदलाव है।
हमारे बुनियादी ढांचे ने संख्यात्मक और गुणात्मक रूप से ऊंची चलांग लगाई है, जो वैश्विक सर्वश्रेष्ठ से मेल खाता है।
अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर जी-20 को जबरदस्त सफलता मिली। प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश ने जी20 समारोहों का आयोजन किया। दुनिया ने 5000 वर्ष से अधिक पुरानी भारत की सभ्यता के लोकाचार को देखा। उन्हें हमारी संस्कृति से अवगत कराया गया, उन्हें हमारे मानव संसाधन की तीक्ष्ण बुद्धि से अवगत कराया गया, उन्हें इस देश में हमारे लोगों के स्वागत के स्तर से अवगत कराया गया और उनका समापन कार्यक्रम भारत मंडपम में आयोजित किया गया, जो शीर्ष दुनिया के 10 सम्मेलन केंद्रों में से एक है।
प्रधानमंत्री को विश्व भर के नेताओं का स्वागत करने और पृष्ठभूमि को देखने का सौभाग्य मिला है, आपने इसे अवश्य देखा होगा और जब वे गली से गुजर रहे थे, तो उन्होंने 5000 वर्षों की हमारी सभ्यता की विरासत से परिचय प्राप्त किया और फिर हमने 3000 से अधिक कार्डों की पार्किंग की जगह वाला एक और सम्मेलन केंद्र – यशोभूमि में पी-20 का आयोजन किया।
मैं दोनों जगह उपस्थित था। मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था, लेकिन आश्चर्य और सुखद बात यह थी कि वैश्विक नेता सराहना कर रहे थे। यह जो कुछ भी है, एक सच्चाई है। हमारा विकास सिर्फ बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में ही नहीं है। जी20 को ऐतिहासिक रूप से इस बात के लिए जाना जाएगा कि भारत अपनी नरम कूटनीतिक शक्ति को तेज करते हुए एक विश्व अग्रणी के रूप में उभर रहा है। अफ्रीकी संघ को जी20 में शामिल किया गया है। हम विश्व भर की की आवाज बन गये।
शासन, जो मुख्य रूप से आपकी चिंता का विषय था, बेहतरी की ओर अग्रसर हो गया है। कानून के समक्ष समानता जो लंबे समय से हमसे दूर थी और भ्रष्टाचार जो प्रशासन की रगों में खून की तरह बह रहा था, अब अतीत की बातें हैं।
मेरे युवा मित्रो, आपने और सिविल सेवा के आपके साथियों ने चुपचाप इस क्रांति में योगदान दिया है। आपके पास धैर्य पूर्वक योगदान करने का अवसर होगा। यह ज्यादातर मौन में होगा, लेकिन यकीन मानिए जब उपलब्धि मौन में होती है तो वह आम आदमी और सभी के कानों में गूंजती है।
विशेषाधिकार प्राप्त वंशावली, लंबे समय तक कानून के शासन से परे, फसल काट रही थी, जबकि योग्यता का नुकसान हुआ था, अब वह गलियों में सड़ रही है।
लोकतांत्रिक मूल्य और उसका प्रभाव गहरा हो रहा है, क्योंकि कानून के समक्ष समानता को अनुकरणीय तरीके से लागू किया जा रहा है और भ्रष्टाचार अब एक व्यापारिक वस्तु नहीं रह गया है। पहले यह ठेका, भर्ती, अवसर का एकमात्र तंत्र था। जब तक आप यह रास्ता नहीं अपनाएंगे तब तक कुछ नहीं होगा। जिन लोगों ने यह रास्ता अपनाया, उन्होंने भ्रष्ट भ्रष्ट होने के नाते भ्रष्टाचार की जड़ों को पोषित किया, उसे कानून का रूप दे दिया।
हमारे सत्ता के गलियारों को भ्रष्टाचार से मुक्त कर दिया गया है। जिन लोगों ने सत्ता की सीटों पर निर्णय लेने में कानूनी रास्ते के अलग जाकर लाभ उठाया, वे अब भाग रहे हैं और कानून की कड़ी पकड़ में हैं। पारदर्शिता और जवाबदेही, शासन में आसानी शासन को परिभाषित करती है।
जब मैंने कारोबारी सुगमता पर 10 गवर्नरों के एक समूह का नेतृत्व किया तो मेरे सामने इसका खुलासा हुआ। इसलिए मैं कहूंगा कि मैं सीखने के लिए वहां आया था। पहले क्या स्थिति थी और अब क्या स्थिति है? यह परिवर्तन आज जितना प्रभावी है, उतना अधिक नहीं हो सकता था।
इन सभी परिवर्तनों का कुल मिलाकर प्रभाव यह हुआ है कि देश को निराशा से बाहर निकाला गया है। भारत आशा और संभावना की भूमि, वैश्विक अवसर का हॉटस्पॉट, निवेश के लिए पसंदीदा गंतव्य बन गया है। इस समय आप यहीं हैं। आपको इस स्थिति को लेकर उत्प्रेरक बनना होगा।
हम जब आपकी उम्र के उस दौर में जी रहे थे, हम खुद को संतुष्ट करते थे कि भारत में संभावनाएं हैं, लेकिन भारत सोता हुआ देश क्यों है, युवा मित्रो आप भाग्यशाली हैं। मैं कहूंगा कि 1.4 अरब लोगों के देश में आप भाग्यशाली हैं कि यहां आपकी संख्या तीन अंकों के भीतर है और अब आप गर्व कर सकते हैं कि भारत अब संभावनाओं वाला देश नहीं रहा।
हम अब सोए हुए राक्षस नहीं हैं। हम आगे बढ़ रहे हैं। आपको इस गति को तेज करना होगा।
वैश्विक प्रतिष्ठान हमारे पड़ोसियों को दंडित करने की मुद्रा में हैं, लेकिन अब वे हमारे बारे में क्या कहते हैं। विश्व बैंक, आईएमएफ और विश्व आर्थिक मंच जैसे संगठनों ने सार्वजनिक क्षेत्र से डिजिटलीकरण और कई अन्य क्षेत्रों में शेष दुनिया के लिए एक मॉडल के रूप में हमारी अभूतपूर्व वृद्धि की सराहना की है।
राष्ट्र कुछ समस्याओं से ग्रस्त है और आपको इसके साथ रहना होगा। हम निराशा की स्थिति में थे। अनुच्छेद 370, संविधान का एकमात्र अस्थायी अनुच्छेद, संविधान का एकमात्र अंतिम अनुच्छेद माना गया था। संविधान की शपथ लेने के बाद लोगों का कहना था कि धारा 370 परिवर्तन से परे है। आप जानते हैं कि ऐतिहासिक रूप से प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. अंबेडकर ने अनुच्छेद 370 को छोड़कर संविधान के सभी अनुच्छेदों का मसौदा तैयार किया था। इतिहास में झांककर देखें तो पता चलेगा कि उन्होंने क्या करने से इनकार कर दिया था। इस मुद्दे पर उनका संवाद बहुत ही भावनात्मक है और उस भावना का ख्याल रखा गया है।
इस दशक के दौरान अनुच्छेद 370 अब संविधान में नहीं है। एक बड़ा बदलाव जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
मैं जो संकेत दे रहा हूं, वह यह है कि आपको और अधिक योगदान देना होगा, क्योंकि कुछ सबसे बड़ी बाधाएं जो हमें पीड़ा देती थीं, उन पर काबू पा लिया गया है और देखिए कि संविधान में अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद क्या हुआ है, जम्मू-कश्मीर खिल रहा है।
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि जहां झंडा फहराना एक कठिन कार्य माना जाता था, अब वहां जी20 के कार्यक्रम होते हैं। विश्व नेता वहां थे। अर्थव्यवस्था ऊपर की ओर बढ़ रही है। आपके जनजाति के सदस्यों को आपके कैडर राज्य के रूप में दशकों तक इसकी सेवा करने का अवसर मिला, लेकिन उन्हें आपके निवास के लिए जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं मिला। आपके नजरिए से कहें तो एक बड़ा बदलाव हुआ है। जम्मू-कश्मीर में आशा फिर से जगी है, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और विकास में व्यापक तौर पर सकारात्मक वृद्धि हुई है। यह एक पसंदीदा पर्यटन स्थल के रूप में वापस आ गया है और अब हर साल लाखों लोग वहां जाते हैं।
महिला आरक्षण जो लगभग तीन दशकों तक हमसे दूर रहा। मैं किसी की निंदा नहीं करूंगा, वे नीति निर्माण का हिस्सा बनें, इसके लिए गंभीर प्रयास किए गए। वे विधायिका का हिस्सा बनें, वे कानून निर्माण का हिस्सा बनें, इसके लिए गंभीर प्रयास किए गए, जो सफल नहीं हुए। सौभाग्य से वे सफल हुए। लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व एक-तिहाई से अधिक होगा, क्योंकि एक-तिहाई आरक्षित है। राज्य विधानमंडल में यह एक-तिहाई से अधिक होगा और यह आरक्षण सामाजिक दृष्टिकोण के साथ भी आता है। आरक्षण में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति को आरक्षण मिलेगा। अतः आरक्षण होरिजेंटल और वर्टिकल दोनों प्रकार से एक सामाजिक दृष्टिकोण रखता है।
मुझे कोई संदेह नहीं है और इसलिए नहीं कि मेरी एक बेटी ही है। महिलाएं जिन चुनौतियों का सामना करती हैं उनका नेतृत्व करेंगी, वे उस इनपुट को देने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित हैं, लेकिन वे इसे केवल तभी दे सकती हैं जब वे उस कमरे में हों जहां निर्णय लिए जा रहे हों। महिलाओं के प्रशिक्षण द्वारा नीति के मानवीय पहलू में अधिक प्रभावी ढंग से, कारगर ढंग से, सुखदायक योगदान देंगी। और अब उनके पास यह अवसर होगा।
मेरे युवा मित्रो, मैंने इन पहलुओं को केवल यह इंगित करने के लिए वृहद तरीके से विज्ञापित किया है कि आपके लॉन्चपैड समय में आपके पास एक सक्षम इकोसिस्टम है, जो राष्ट्र के लिए आपकी प्रतिभा और समर्पण को मनोनुकूल तौर पर विस्तारित करने में आपकी सहायता करेगा। आप उस परिवर्तन को प्रभावित कर सकते हैं जिस पर आप विश्वास करते हैं। यह एक दुर्लभ अवसर है। लोग बदलाव में विश्वास करते हैं, लेकिन बदलाव लाने में असमर्थ हैं। आप बदलाव लाने की स्थिति में हैं।
हालांकि, कुछ चिंताजनक चुनौतियां हैं, जिनका हम भीतर और बाहर से सामना करते हैं। हमारे गौरवशाली और मजबूत संवैधानिक संस्थाओं को कलंकित करने और कलुषित करने के उद्देश्य से तथ्यात्मक रूप से अस्थिर राष्ट्र-विरोधी आख्यानों का रणनीतिक आयोजन किया जा रहा है।
हमारी विकास यात्रा की निंदा कर रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि हमें कानून के शासन के बारे में, मजबूत न्यायिक प्रणाली के बारे में, गरीबी हटाने के तरीकों के बारे में किसी से भी सबक लेने की जरूरत है। दुनिया में हमारे देश को कोई कैसे उपदेश दे सकता है, जो 01 अप्रैल, 2020 से 85 करोड़ लोगों को मुफ्त भोजन उपलब्ध करा रहा है। यह गरीबी का संकेत नहीं है। हां, यह उनके लिए एक मददगार हाथ है कि उन्हें आगे बढ़ते रहना चाहिए और ऊंचे स्तर पर पहुंचना चाहिए।
हम दूसरों को हमें कैलिब्रेट करने की अनुमति नहीं दे सकते, क्योंकि उनके पास न तो संसाधन हैं और न ही ज्ञान या समझ है कि यह देश 5000 साल पुराने लोकाचार के साथ कैसे काम करता है, जहां हम व्यवहार करते हैं और यह उपचार हमारे जी20 आदर्श वाक्य “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” में परिलक्षित होता है।
मैं देश-विरोधी नैरेटिव के बारे में बात कर रहा था। आप अच्छी तरह से जागरूक दिमाग हैं। जरा नागरिकता संशोधन कानून की कल्पना कीजिए। अब जो कोई भी मामूली बुद्धि के साथ उस संशोधन अधिनियम को पढ़ सकता है, उसे पता होगा कि यह किसी को भी उसकी नागरिकता से वंचित नहीं करता है, यह दुनिया भर में किसी को भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने में बाधा नहीं डालता है।
यहां एक प्रणाली है। इससे क्या होता है? यह पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए भारतीय नागरिकता हासिल करने की सुविधा प्रदान करता है, जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत आए थे।
यह विदेश से लोगों के आमद के लिए बुलावा नहीं है और यह उन्हें क्यों दिया जा रहा है। उन पर उनके धार्मिक विश्वास के कारण मुकदमा चलाया गया है। हमारा देश हजारों वर्षों से ऐसे लोगों का घर रहा है। यहूदी, पारसी, पारसी, पारसी लोगों ने यहां कुछ स्थितियों में सदियों से विकास पाया और इसे कुछ लोग भेदभावपूर्ण कहते हैं। हमें इन आख्यानों को बेअसर करना होगा। ये अज्ञानता से उत्पन्न नहीं होते; ये हमारे राष्ट्र को कुचलने की रणनीति से उत्पन्न होते हैं। विश्व के इस राष्ट्र को समानता के मुद्दे पर किसी से किसी निर्देश या उपदेश की आवश्यकता नहीं है। हम इस पर विश्वास करते हैं।
उन्हें पीछे मुड़कर देखने दीजिए, कुछ देशों में महिला राष्ट्रपति हैं। हमारे पास एक महिला प्रधानमंत्री थी, क्योंकि ब्रिटेन के पास एक महिला प्रधानमंत्री थी। हमारे पास एक सुप्रीम कोर्ट है। अन्य देशों में सुप्रीम कोर्ट ने महिला न्यायाधीश के बिना दो सदियां या उससे अधिक समय पूरा कर लिया है। हम सभी व्याख्यानों और ज्ञान के सभी स्रोतों का स्वागत करते हैं, यदि वे नेक इरादों से निकले हों।
मित्रो, जिस स्वतंत्रता और लोकतंत्र को हम आज हल्के में लेते हैं, वह हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के कई गुमनाम नायकों के अकल्पनीय बलिदानों का परिणाम है। सौभाग्य से हम अपने नायकों को देर से ही सही, उनका सम्मान दे रहे हैं। बहुत लंबे समय तक, हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के योद्धा अपनी पहचान से वंचित रहे। लेकिन अब हमारे पास नेताजी सुभाष बोस के लिए पराक्रम दिवस है और इंडिया गेट पर उनकी प्रतिमा है, हमारे पास बिरसा मुंडा को समर्पित जनजातीय गौरव दिवस है।
हाल ही में कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया, चौधरी चरण पारदर्शिता जवाबदेही अखंडता के प्रतीक और गांव के विकास में दृढ़ विश्वास रखने वाले, पीवी नरसिम्हा राव, एक राजनीतिक राजनेता और डॉ. एम एस स्वामीनाथन को व्यापक रूप से मान्यता मिली है। इन महान आत्माओं को यह सम्मान बहुत पहले ही मिल जाना चाहिए था।
मेरे युवा मित्रो- आप समझदार दिमाग वाले हैं। आप किसी अन्य की तुलना में इस समाज को अधिक प्रभावित करेंगे। लोग आपको रोल मॉडल के रूप में देखेंगे। जब वे आपसे मिलते हैं तो यह उनके लिए संतुष्टिदायक क्षण होता है। समाज में आपका व्यवहार अनुकरणीय माना जाता है। आप जिस क्षेत्र में महान हैं, उसके लिए आप प्रेरणा और प्रेरक शक्ति हैं और इसलिए आपका दायित्व है कि आपको उसी के अनुरूप अपने आचरण का अनुसरण करना होगा।
आपको बड़ों की प्रशंसा प्राप्त करनी होगी और युवा मन के लिए प्रेरक बनना होगा। सेवा भाव और सहनुभूति के साथ काम करें, सेवा और सहानुभूति की भावना हमारे सभ्यतागत लोकाचार में गहराई से अंतर्निहित है, जो आपका मार्गदर्शक सिद्धांत है। इसका अनुसरणकरें। यह समाज को बदल देगा और आपमें इस बदलाव को प्रेरित करने की क्षमता है।
मेरे युवा मित्रो, आपकी क्षमताएं संदेह से पड़े हैं, आपकी योग्यता स्थापित है, आपको जो अवसर मिले हैं, वे अच्छी तरह से पहचाने गए हैं और ऐसी स्थिति में आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना होगा, जो समाज में कमी हैं जैसे कि सार्वजनिक अनुशासन। आप इसे रूपांतरित कर सकते हैं।
हमारी लोकतांत्रिक राजनीति के लिए सबसे बड़ी चुनौती उन लोगों से उत्पन्न हो रही है, जो लंबे समय से व्यवस्था का हिस्सा रहे हैं, सत्ता के पदों पर रहे हैं, जिनके पास राष्ट्र के विकास में योगदान करने का अवसर था और सत्ता से बाहर होने के बाद वे पूरी तरह से अराजकता का कारण बन गए। वे कहेंगे कि भारत डूब रहा है, इसकी अर्थव्यवस्था इस स्तर से आगे नहीं जा सकती। आप जानते हैं कि मैं किसकी बात कर रहा हूं। हमें इन्हें चुनौती देनी होगी, जैसा कि यहां एक वक्ता ने संकेत दिया था। हम इसे पक्का और अंतिम नहीं मान सकते। उन्होंने जो दोहराव बनाया वह शासन में उन्हें मिले अवसर पर था। वे छटपटा रहे हैं, क्योंकि वे राजनीतिक चश्मे से काम करते हैं। हमें राष्ट्रवाद के अनुकूल समाधान करना होगा और उस चश्मे से देखना होगा जो राष्ट्रवाद को बढ़ावा देता है।
इन लोगों में भारत के विकास पथ के प्रति कम भूख है और उन्हें इस राष्ट्र की सेवा करने के लिए अधिकार और संवैधानिक दायित्व वाले पदों पर भारत के युवा दिमागों से कुछ प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।
यह जानना दुखद और चिंताजनक है कि राष्ट्रवाद के प्रति उनकी प्रतिबद्धता वैसी नहीं है जैसी होनी चाहिए। वे राष्ट्रवाद को अपने राजनीतिक या आत्म कल्याण के बाद लेते हैं। हमें यह भावना विकसित करनी होगी कि राष्ट्रवाद एक प्रमुख चिंता का विषय होना चाहिए। हमें अपने राष्ट्र को हमेशा सबसे पहले और हर चीज से ऊपर रखना होगा।
लोकतंत्र के लिए इससे अधिक चुनौतीपूर्ण कुछ नहीं हो सकता कि विषय को अच्छी तरह से जानने वाला एक जागरूक दिमाग लोगों की अज्ञानता का फायदा उठाने के लिए गलत बयान दे। इन लोगों को बेनकाब करने की जरूरत है। आप ऐसी नापाक प्रवृत्तियों को बेअसर करने के लिए अच्छी स्थिति में हैं। मुझे यकीन है आप ऐसा करेंगे।
राष्ट्रीय मामलों, सुरक्षा चिंताओं और हमारी विदेश नीति पर कोई राजनीति नहीं हो सकती। यह सुनिश्चित करने के लिए कि राष्ट्र की वैश्विक उन्नति की गति कभी कम न हो, आपके दिमाग में यह बात हमेशा बनी रहनी चाहिए।
मेरे प्रिय युवा मित्रो, आप वह परिवर्तन ला सकते हैं जिसका सपना देखा गया है क्योंकि सिस्टम ने आपके कार्यनिष्पादन के लिए पर्याप्त इक्विटी उत्पन्न की है।
सरदार पटेल ने एक बार कहा था, “शक्ति के अभाव में विश्वास का कोई फायदा नहीं है। किसी भी महान कार्य को पूरा करने के लिए विश्वास और शक्ति दोनों आवश्यक हैं।”
उन्होंने संविधान सभा में आगे कहा, “यदि आपके पास अच्छी अखिल भारतीय सेवा नहीं है, जिसमें अपनी ताकत को व्यक्त करने की स्वतंत्रता है, तो आपके पास संयुक्त भारत नहीं होगा।”
मैंने इसे वहां पढ़ा जब मैंने इस देश के लौह पुरुष को पुष्पांजलि अर्पित की। कभी मत भूलिए, उन्होंने वह हासिल किया जो बहुत कठिन था, रियासतों का एकीकरण लगभग असंभव था। आपको पूरी तरह से अपडेट रहना होगा। जम्मू-कश्मीर के एकीकरण को उनसे दूर क्यों रखा गया। इन दोनों स्थितियों में धारा 370 को डॉ. अम्बेडकर से दूर रखा गया। सरदार पटेल से जम्मू-कश्मीर राज्य छीन लिया गया। और देखिए कि हमने दशकों तक कैसे कष्ट सहे।
आप एक और स्थिति का सामना कर रहे होंगे जिसका सामना दूसरों ने नहीं किया होगा। हालांकि आप सबसे कनिष्ठ स्तर पर होंगे, लेकिन चुनौती आपके लिए अधिक सशक्त होगी। मैं विघटनकारी प्रौद्योगिकियों: कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन, इत्यादि की बात कर रहा हूं। यह आपका दायित्व है क्योंकि हम एक और औद्योगिक क्रांति जैसी किसी चीज के शिखर पर हैं। ये प्रौद्योगिकियां होंगी। ये चुनौतियां और अवसर दोनों प्रदान करते हैं। आपको चुनौतियों को जनहित के अवसरों में बदलना होगा। और मुझे यकीन है आप ऐसा करेंगे।
इस अत्यंत कठोर प्रशिक्षण में इस शानदार स्थिति के लिए आप में से प्रत्येक को बधाई!
यदि आपके मन में इस बारे में कोई गंभीर विचार है कि निदेशक और संकाय आपके प्रति अनुचित हैं या आपके प्रति कठोर हैं, तो आप जीवन भर उनके प्रति आभारी रहेंगे और उन्हें हमेशा याद रखेंगे। वे आपके लिए हैं।
आप दूसरों को प्रेरित करते रहें, और याद रखें कि आप में से प्रत्येक अपने परिवार के लिए, अपने दोस्तों के लिए, अपने समुदाय के लिए, अपने क्षेत्र के लिए रोल मॉडल हैं, और आप हमेशा रोल मॉडल रहेंगे, जहां आपको किसी विशेष स्थान पर किसी विशेष के लिए तैनात किया जाएगा। काम करें और इसलिए, अपनी प्रतिबद्धता से दूसरों को प्रेरित करें और हमेशा अपने आसपास के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें।
धन्यवाद। जय हिन्द!