भारतीय नदियों के तलछट प्रबंधन पर सम्मेलन

भारतीय नदियों के तलछट प्रबंधन पर सम्मेलन

पीआईबी (दिल्ली)—– सरकार जल्दी ही एक नदी तलछट प्रबंधन नीति का विकास करेगी। यह बात केंद्रीय जल आयोग के चेयरमैन श्री नरेन्द्र कुमार ने आज नई दिल्ली में भारतीय नदियों में तलछट प्रबंधन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा। श्री कुमार ने कहा कि पूर्व में कई समितियां गठित की गई जिन्होने तलछट की समस्या पर अध्ययन किया और नदियों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त उपाय सुझाये।

उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह सम्मेलन इस दिशा में एक और आगे बढ़ता हुआ कदम होगा और विभिन्न हितधारकों के बीच व्यापक विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप एक व्यापक नीति विकसित होगी। श्री कुमार ने कहा कि तलछट प्रबंधन की एक पद्धति का निर्माण करना आवश्यक है जो कि पर्यावरण के अनुकूल हो और व्यावहारिक, तकनीकी, तथा आर्थिक रूप से भी संभव हो।

श्री कुमार ने कहा कि साल दर साल गाद जमते जमते बहुत गंभीर अनुपात में पहुंच गई है। उन्होने कहा कि अब यह सामान्य तौर पर महसूस हो रहा है कि बाढ़ प्रवण नदियां बढ़ रही हैं और उनके बहाव की क्षमता में बदलाव हो रहा है जिससे बाढ़ का स्तर बढ़ रहा है।

श्री कुमार ने कहा कि नदी प्रबंधन एजेंसियों द्वारा किए जाने वाली सामान्य प्रथाओं का प्रदर्शन है कि अब तक का तलछट प्रबंधन, सीमित वैज्ञानिक ज्ञान पर आधारित है। उनका यह विचार था कि तलछट प्रबंधन के लिए एक अलग दृष्टिकोण वांछनीय है, जिसमें तलछट का ज्ञान और प्रबंधन भी शामिल हो और उपलब्ध वैज्ञानिक ज्ञान का व्यापक अनुप्रयोग हो।

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनर्वास के मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पीपी) श्री संजय कुंडू ने अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के संबोधन को संदर्भित किया जहां उन्होंने नदी की देश में तलछट प्रबंधन नीति की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन में उपस्थित विशेषज्ञ उपयुक्त सिफारिशें सुझाएंगे जो सरकार द्वारा राष्ट्रीय सिल्ट प्रबंधन नीति को तैयार करने में मदद करेगा।

नदियों में गाद और ड्रेजिंग सहित तलछट प्रबंधन का मुद्दा काफी समय से लोगों का ध्‍यान खींच रहा है। नदियों में तलछट प्रबंधन के संबंध में एक समग्र नीति बनाने की आवश्‍यकता है क्‍योंकि अगर ये प्रबंधन नहीं किया जायेगा तो बाढ़ की गंभीर समस्‍याएं पैदा होंगी तथा पर्यावरण, नदी के प्रवाह और नौवहन पर असर पड़ेगा।

सम्‍मेलन के चार सत्र आयोजित किए गए जिनमें भारत की नदियों में तलछट की स्थिति, चुनौती, अवसर, मृदा संरक्षण, खनन और ड्रेजिंग जैसे मुद्दों सहित तलछट प्रबंधन नीति पर चर्चा की गई।

सम्‍मेलन का आयोजन जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने किया था। इसमें एनजीआरबीए के विशेषज्ञ सदस्‍य डॉ0 एम ए चिताले, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर विनोद तारे, आईआईटी दिल्‍ली के प्रोफेसर ए के गोसाईं, सीडब्‍ल्‍यूपीआरएस पुणे के निदेशक डॉ0 एम के सिन्‍हा सहित कृषि मंत्रालय, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, सड़क यातायात एवं राजमार्ग तथा नौवहन मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय, बिहार तथा उत्‍तराखंड सरकारों के वरिष्‍ठ अधिकारियों ने हिस्‍सा लिया। सम्‍मेलन का उद्देश्‍य भारतीय नदियों में तलछट जैसे मुद्दों पर विभिन्‍न हितधारकों के साथ चर्चा करना और उपयुक्‍त नीति तैयार करना था।

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