• August 11, 2016

भाजपा द्वारा बी.एस.पी. को कमज़ोर करने के षडयंत्र :- सुश्री मायावती

भाजपा द्वारा बी.एस.पी. को कमज़ोर करने के षडयंत्र :- सुश्री मायावती

नई दिल्ली, 11 अगस्त, 2016: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने भाजपा पर उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी (सपा) से लड़ने के बजाय, बी.एस.पी. से ही लड़ते रहने का आरोप लगाते हुये कहा कि यह सपा-भाजपा की आपसी अन्दरुनी मिलीभगत का ही परिणाम है कि भाजपा साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों हथकण्डों को अपनाकर बी.एस.पी. को कमज़ोर व सपा को मजबूत करने के षडयंत्र में लगातार लगी हुई है।images

सुश्री मायावती ने आज यहाँ जारी एक बयान में कहा कि वैसे तो भाजपा के नेतागण आम जनता को वरग़लाने के लिये सार्वजनिक तौर पर यह कहते रहते हैं कि उत्तर प्रदेश के आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा का असली मुकाबला सपा से होगा।

परन्तु ज़मीनी स्तर पर वे सपा से संघर्ष करने के बजाय बी.एस.पी. से ही राजनीतिक संघर्ष करने व उसे अनेकों प्रकार से कमज़ोर करने के लिये साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों हथकण्डों का इस्तेमाल करते रहते हैं, जबकि बी.एस.पी. उत्तर प्रदेश की लगभग 22 करोड़ आमजनता के हित व कल्याण के साथ-साथ उनके हक व इन्साफ के लिये लगातार संघर्ष कर रही है।

इस क्रम में बी.एस.पी. का मानना है कि उत्तर प्रदेश की जनता को प्रदेश की सपा व केन्द्र की भाजपा सरकार दोनों ने मिलकर बुरी तरीके से ठगने का काम किया है और दोनों ही सरकारों की घोर उपेक्षा के कारण उत्तर प्रदेश की जनता का आज काफी ज़्यादा बुरा हाल है।

बी.एस.पी. को कमज़ोर करने के षडयंत्र के तहत् ही भाजपा द्वारा बी.एस.पी. के कुछ लोगों को अपनी पार्टी में शामिल करने की घटना को काफी बढ़ा-चढ़ाकर मीडिया के माध्यम से जनता में पेश करने का प्रयास करती है, जबकि इस बारे में हकीकत यह है कि बी.एस.पी. के जो भी कुछ लोग भाजपा व अन्य विरोधी पार्टियों में गये हैं ।

ये वे लोग हैं जिनको उत्तर प्रदेश विधानसभा का अगला आमचुनाव लड़ने से मना कर दिया गया था अर्थात उनका कई महीने पहले ही टिकट काट दिया गया था और ऐसे लोगों का टिकट कटने की ख़ास वजह यह थी कि उनके बारे में उनके अपने-अपने क्षेत्रों से उनके खिलाफ काफी गम्भीर शिकायतें मिली थीं।  जिनकी जाँच करवाये जाने पर सही मामला पार्टी नेतृत्व के सामने आया था और फिर उनके खिलाफ पार्टी हित में सख़्त फैसला लेना पड़ा था। इसके साथ ही पार्टी के जिन विधायकों ने आज बीजेपी में प्रवेश किया है, तो वे आज से पहले भी कई बार बीजेपी में प्रवेश कर चुके हैं। अर्थात यह कोई आज की नई चैंकाने वाली खास खबर नहीं है व पुरानी घिसी-पिटी ही खबर है।

बी.एस.पी. ने विभिन्न समाज से ताल्लुक रखने वाले भाजपा आदि के जिन लगभग एक दर्जन से अधिक पूर्व विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल किया है वे लोग खासकर भाजपा के दलित-विरोधी व अन्य जनविरोधी नीतियों एवं उनकी गलत कार्यशैली से दुःखी होकर भाजपा छोड़कर बी.एस.पी. में शामिल हुये हैं।  वैसे भी बी.एस.पी. एक राजनीतिक पार्टी के साथ-साथ सामाजिक परिवर्तन का एक मूवमेन्ट भी है, जिस कारण हर ’आया राम, गया राम’ को पार्टी में शामिल नहीं करती है।

इसके साथ ही, बी.एस.पी. के सम्बन्ध में एक बड़ी वास्तकिता यह भी है कि यह नेताओं की नहीं बल्कि प्रमुख रूप से कार्यकर्ताओं की पार्टी है और कार्यकर्ता ही नेता पैदा करते हैं। यही कारण है कि जब कभी कुछ लोग बी.एस.पी. छोड़कर अपने स्वार्थ में इधर-उधर जाते हैं तो उनके साथ उनका समाज नहीं जाता है बल्कि वह अकेला ही जाता है और समाज यह जानता है कि उसकी ही शिकायत के आधार पर उस स्वार्थी विधायक का टिकट काटा गया है, इसलिये वह बी.एस.पी. मूवमेन्ट से पहले की तरह मजबूती से जुड़ा रहता है।

बी.एस.पी. केन्द्रीय कार्यालय,
4, गुरूद्वारा रकाबगंज रोड,
नई दिल्ली – 110001

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