- August 21, 2016
ब्रिक्स महिला सांसद : जलवायु परिर्वतन की रोकथाम : वैश्विक सहयोग की अनिवार्यता
जयपुर, 21 अगस्त। ब्रिक्स देशों की महिला सांसदों ने रविवार को होटल मैरियट में आयोजित ब्रिक्स महिला सांसद मंच की बैठक के द्वितीय सत्र में जलवायु परिर्वतन की रोकथाम : वैश्विक सहयोग की अनिवार्यता विषय पर मंथन किया।
इस सत्र में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका की महिला सांसद इस विषय पर एकमत नजर आईं कि सतत विकास के लिए सबको मिलकर पर्यावरण की रक्षा व र्आथिक विकास के बीच सामंजस्य बनाना होगा। महिला सांसदों ने अपने-अपने देशों में जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए हो रहे नवाचारों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने वैश्विक सहयोग के माध्यम से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने की आवश्यकता पर बल दिया।
सत्र की अध्यक्षता लोक सभा सांसद श्रीमती भावना गवली और ब्राजील की सांसद प्रोफेसर डोरिना सेब्रा रेजेन्दे ने की। श्रीमती गवली ने कहा कि भारत अपने विकास के एजेंडे में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का प्रमुखता से ध्यान रखता है। विकास की दौड़ में पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने, स्वच्छ एवं निर्मल ऊर्जा प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक है।
ब्रिक्स देशों को इस बात पर ध्यान देना होगा कि हम इकट्ठा होकर किस तरह से बेहतर काम कर सकते हैं। जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए संसाधन जुटाने की दिशा में भी कदम उठाने होंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि ब्रिक्स महिला सांसद मंच के माध्यम से अच्छे सुझाव अमल में लाए जाएंगे।
प्रोफेसर डोरिना सेब्रा रेजेन्दे ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की रोकथाम में महिलाओं की प्रभावी भागीदारी हो सकती है। वे बेहतर समझ, क्षमता और संवेदनशीलता के साथ जलवायु परिवर्तन की समस्या का हल निकाल सकती है। जलवायु परिवर्तन के कारण पूरी दुनिया में सूखे और बाढ़ के साथ कई तरह की समस्याएं पैदा हो रही हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए वैश्विक स्तर पर समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए हर देश को अपनी जिम्मेदारियों का सजगता से निर्वहन करना चाहिए।
जलवायु परिवर्तन को रोककर मानव जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। जलवायु परिवर्तन को बड़ी चुनौती बताते हुए राज्य सभा सांसद श्रीमती वंदना चव्हाण ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए हमें अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्तर पर अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करनी होंगी। हमें इस तरह के कार्यक्रम और नीतियां लागू करने होंगे, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम से कम हो। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स महिला सांसदों का यह मंच हमें एकजुट होने के लिए प्रेरित करता है।
पूरी दुनिया को मिलकर जलवायु परिवर्तन के कारणों पर ध्यान देना होगा और समस्या को दूर करने के लिए प्रयास करने होंगे। हमें ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण और सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित करना होगा। ब्राजील की सांसद ले आंद्रे ने कहा कि ब्राजील जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए कई तरह के अभिनव प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए हमें दुनिया की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना होगा।
हमें इस तरह की स्थितियों का निर्माण करना होगा, जो जलवायु परिवर्तन रोकने में मदद करते हैं। रूस की सांसद एलेना बीबीकोवा ने पेरिस समझौते पर बल देते हुए कहा कि पूरी दुनिया को पर्यावरण संतुलन के लिए पेरिस समझौते में तय मानकों को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रूस ने वर्ष 2022 तक जलवायु परिवर्तन कारक गैसों का उत्सर्जन 70 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
दक्षिण अफ्रीका की सांसद पी.केकना ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या विकासशील व अल्पविकसित देशों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए गरीब देशों को वित्तीय मदद देनी चाहिए। चीन की सांसद लुई सायशा ने कहा कि बड़े विकासशील देशों की जिम्मेदारियां भी बड़ी होती हैं। चीन जलवायु परिर्वतन की रोकथाम के लिए सक्रियता से काम कर रहा है। ब्रिक्स देशों में करीब 3 बिलियन लोग रहते हैं।
जलवायु परिवर्तन की समस्या को दूर करके ब्रिक्स देशों के नागरिकों का जीवन बेहतर बनाया जा सकता है। इस सत्र में भारतीय सांसद के.कविथा, रेणुका बूटा, गीथा कोथापल्ली, के. मारगथम, कहकशां परवीन ने जलवायु परिवर्तन के संभावित खतरों और इनसे निपटने के उपायों के बारे में अपने विचार रखे। इस सत्र का मंच संचालन संसद सदस्य डॉ. हिना गावीत ने किया।