- August 9, 2021
बोरा बेचने वाले टीचर को 12.71 करोड़ रुपए का हिसाब देना है : मधुबनी टीचर को 6 लाख 60 हजार बोरे का हिसाव देना है ।
पटना —- बिहार में शिक्षा विभाग के फरमान को पूरा करने की कोशिश कर रहे मास्टरजी पर कार्रवाई हो गई है। खुलेआम बोरा बेचने पर उनको निलंबित कर दिया गया है। इस कार्रवाई के बाद से सरकार के साथ-साथ विभाग की आलोचना भी शुरू हो गई है।
रविवार को कटिहार के कदवा सौनैली बाजार में बोरा बेच रहे सरकारी स्कूल शिक्षक मोहम्मद तमीजुद्दीन की तस्वीरें खूब वायरल हुई हैं। तजीमुद्दीन असल में शिक्षा विभाग के उस पत्र से नाराज थे, जिसमें स्कूलों में पहुंचाए गए चावल के बोरे का हिसाब मांगा गया है। यह पत्र जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को भेजा गया था। उनके इस कदम को शिक्षा विभाग ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है।
शिक्षक के बोरा बेचने पर विभाग गंभीर, विशेष सचिव ने कार्रवाई का आदेश दिया
जिले में भेजे गए पत्र में विभाग ने साल 2014-15 और 2015-16 में मि़ड डे मील बनाने के लिए भेजे गए चावल के बोरे का हिसाब मांगा है। जिलावार ब्यौरे में बताया गया है कि किस जिले पर कितने बोरे का कितना बकाया है। पत्र में प्रति बोरे की कीमत 10 रुपए लगाई गई है। हर बोरे में 2 क्विंटल चावल होने का आकलन कर, जिलों को आवंटित कुल चावल के हिसाब से विभाग ने बोरे की संख्या तय की है।
बोरे की राशि का सबसे अधिक बकाया मधुबनी पर है। यहां दो साल में 6 लाख 60 हजार बोरे से 3 लाख 10 हजार क्विंटल चावल मिड डे मील के लिए स्कूलों को पहुंचाया गया। अब विभाग ने 6 लाख 60 हजार बोरे की करीब 66 लाख रूपए कीमत मांगी है।
कटिहार से 35 लाख, नालंदा से 30 लाख, बेगूसराय से 35 लाख और भागलपुर से 37 लाख बकाया राशि मांगी गई है।
दो साल में सभी 38 जिलों पर 12 करोड़ 71 लाख के बोरा का बकाया है।
बताया जा रहा है कि सरकार को 12 करोड़ 71 लाख के बोरे का हिसाब देना है।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में इसे वित्तीय अनियमितता मानते हुए सरकारी राजस्व का घाटा माना है।
बोरा बिक्री की राशि की 2016 में भी विभाग ने की थी मांग
यह पहला मौका नहीं है, जब शिक्षा विभाग ने जिलों से बोरा बिक्री की राशि की मांग की है। भास्कर के पास इससे जुड़ा 2016 का एक पत्र है, जिसमें मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक ने जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को एमडीएम बोरे की बिक्री का पैसा जमा करने के लिए कहा है। इस पत्र में भी शिक्षा विभाग ने कैग की रिपोर्ट का हवाला दिया है। पत्र में लिखा गया है कि कैग ने एमडीएम के बोरे की ब्रिकी की राशि जमा नहीं करने को वित्तीय अनियमितता माना है। इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए शिक्षा विभाग ने बोरा बिक्री की राशि जल्द से जल्द जमा करने के लिए कहा है।