बाबई क्षेत्र की उपजाऊ भूमि: जल-सत्याग्रहियों ने ठुकराई

बाबई क्षेत्र की उपजाऊ भूमि: जल-सत्याग्रहियों ने  ठुकराई

ओंकारेश्वर सिंचाई परियोजना जलाशय के पानी में खड़े होकर भूमि के बदले भूमि की मांग करने वालों ने राज्य सरकार द्वारा तीसरी बार प्रस्तावित भूमि भी आज अस्वीकार कर दी। भूमि के बदले भूमि की मांग करने वाले पाँच प्रतिनिधि को आज नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, एनएचडीसी, औद्योगिक केन्द्र विकास निगम तथा जिला प्रशासन होशंगाबाद के अधिकारियों ने होशंगाबाद जिले में भूमि का अवलोकन करवाया। 2

होशंगाबाद जिले के ग्राम पीलीकरार में उपजाऊ भूमि का अवलोकन करवाकर अधिकारियों ने इसे स्वीकार करने का आग्रह किया। डूब प्रभावित प्रतिनिधियों ने इस भूमि को भी लेने से इन्कार कर दिया। उल्लेखनीय है कि बाबई क्षेत्र की भूमि उपजाऊ भूमि के रूप में सर्वज्ञात है।

जलाशय के पानी में खड़े होकर आन्दोलन करने वाले डूब प्रभावितों ने पहले मुआवजे और विशेष पुनर्वास अनुदान की राशि शासन को लौटाकर जमीन के बदले जमीन ही लेने की मांग की थी। इस मांग पर शासन द्वारा लेण्ड बेंक से प्रत्येक पात्र को 2 हेक्टेयर भूमि आवंटित कर दी गई थी। इस भूमि को विभिन्न कारण बताकर अस्वीकार कर दिया गया था। बाद में वर्ष 2013 में राज्य शासन द्वारा डूब प्रभावित कृषकों के लिये स्वीकृत 225 करोड़ के विशेष पेकेज में देय राशि लेने से भी 213 डूब प्रभावित ने इन्कार करते हुए भूमि के बदले भूमि की माँग जारी रखी।

प्रभावितों के प्रतिनिधियों से आरम्भ में राज्य के मुख्य सचिव तथा बाद में नर्मदा घाटी विकास विभाग के राज्य मंत्री तथा विभाग के प्रमुख सचिव ने चर्चा की। उन्हें आश्वस्त किया गया कि सरकार डूब भूमि के बदले अन्य उपजाऊ भूमि लेने के विकल्प प्रदान करेगी। इसी के तहत राज्य सरकार ने उन्हें 6 मई को नरसिंहपुर जिले की कृषि योग्य उपजाऊ भूमि का स्थल अवलोकन करवाकर भूमि लेने का आग्रह किया।

अवास्तविक तर्कों को आधार बनाकर नरसिंहपुर जिले की भूमि लेना स्वीकार नहीं किया गया। तीसरे विकल्प के रूप में आज डूब प्रभावितों के प्रतिनिधियों को होशंगाबाद जिले की बाबई तहसील में कृषि भूमि का अवलोकन करवाया गया। इस भूमि को भी लेने से इन्कार कर देने पर अधिकारियों का दल वापस लौट आया है।

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