• August 8, 2018

बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने वाले गुरुकुलों को मुफ्त भूमि मुहैया—मुख्यमंत्री

बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने वाले गुरुकुलों को मुफ्त भूमि मुहैया—मुख्यमंत्री

चंडीगढ़———– हरियाणा में मूल्य आधारित प्राचीन गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने घोषणा की है कि राज्य सरकार बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने वाले गुरुकुलों को मुफ्त भूमि मुहैया करवाएगी। इसके अलावा, सरकार ऐसे गुरुकुल को चलाने के लिए शिक्षकों सहित सभी अन्य आवश्यक प्रबंध करवाने में भी सहायता करेगी।

श्री मनोहर लाल पंचनाद शोध संस्थान, चंडीगढ़ द्वारा ‘वर्तमान युग में गुरुकुल प्रणाली की प्रासंगिकता’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

बच्चों को त्याग और समर्पण पर आधारित शिक्षा प्रदान करने में गुरुकुल के महत्व को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केवल पढऩे, लिखने और अंकगणित की 3आर शिक्षा तक सीमित करने के बजाय नैतिक मूल्यों, योग एवं देशभक्ति को शिक्षा प्रणाली का हिस्सा बनाया जाना चाहिए ताकि बच्चों का समग्र विकास सुनिश्चित हो सके।

उन्होंने कहा कि प्राचीन प्रणाली के अनुसार, हमारे समाज में लोगों को स्वास्थ्य और शिक्षा की नि:शुल्क सुविधा प्रदान करना नैतिक जिम्मेदारी थी, लेकिन दुर्भाग्यवश आजकल एक तरफ आम आदमी के पास इन सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त संसाधनों की कमी है, वहीं दूसरी ओर साधन-सम्पन्न या अमीर लोग ऐसी सुविधाओं के लिए अत्यधिक धन खर्च कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने शिक्षा प्रणाली में गुणात्मक परिवर्तन लाने के लिए कई कदम उठाए हैं। राज्य के बजट का एक बड़ा हिस्सा बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने पर खर्च किया जाता है। अब, अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए एक अनुकूल माहौल सृजित करने हेतु राज्य सरकार ने प्रोफेसर बी.के.कुथियाला की अध्यक्षता में 21 सदस्यीय राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद भी गठित किया है। उन्होंने विद्यालयों में पहली से आठवीं कक्षा के लिए नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त करने की वकालत करते हुए कहा कि इस प्रणाली ने विद्यार्थियों के पढऩे की आदत पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है क्योंकि उन्हें परीक्षाओं में विफल होने का कोई डर नहीं रहता है।

उन्होंने कहा कि हरियाणा ने विभिन्न क्षेत्रों में दुनियाभर में अपनी पहचान बनाई है। इससे पहले, गीता जयंती समारोह कुरुक्षेत्र में बहुत छोटे पैमाने पर आयोजित किया जाता था। वर्तमान राज्य सरकार गीता जयंती समरोह का आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कर रही है। पिछले तीन वर्षों के दौरान 25 देशों के लोगों ने इस समारोह में भाग लिया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष गीता जयंती समरोह के कार्यक्रम मॉरीशस और यूनाइटेड किंगडम (यूके) में भी आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस संबंध में इन देशों से निमंत्रण प्राप्त हुए है।

इससे पूर्व इस अवसर पर बोलते हुए पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के निदेशक डॉ.जगत राम ने गुरुकुल शिक्षा को सर्वश्रेष्ठ शिक्षा प्रणाली के रूप में वर्णित किया जिसका उद्देश्य बच्चों का समग्र विकास है। उन्होंने वर्तमान शिक्षा प्रणाली में मानव मूल्यों से संबंधित मुद्दों को शामिल करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

पंचनाद शोध संस्थान के निदेशक प्रोफेसर बी.के. कुथियाला ने कहा कि समाज में सद्भाव की भावना को बनाए रखने के उद्देश्य से वर्ष 1984-85 में पंचनाद शोध संस्थान की स्थापना की गई थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 32 शोध संस्थान हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में संचालित हैं, जहां संस्थान के बौद्धिक विंग सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करते हैं।

पंचनाद शोध संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. कृष्ण आर्य ने समाज में गुरुकुल शिक्षा की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुरुकुल शिक्षा गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री मुकुल कनितकर ने कहा कि वर्तमान में देश में 4000 से अधिक गुरुकुल काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुरुकुल प्रणाली को लागू करने के लिए स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में माहौल को बदलने की जरूरत है। संस्कृत भाषा के प्रचार पर विशेष जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अगले 15 वर्षों में समस्त विश्व गुरुकुल शिक्षा को अपना लेगा। फिनलैंड ने दो वर्ष पहले ही गुरुकुल शिक्षा को अपना लिया है जिसके तहत बच्चों को सबजेक्ट वाइज शिक्षा प्रदान करने की बजाय टॉपिकवाइज शिक्षा प्रदान की जा जाती है।

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