• September 9, 2016

बच्चों के अधिकारों की रक्षा के प्रति संवेदनशील

बच्चों के अधिकारों की रक्षा के प्रति संवेदनशील

जयपुर——–राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती मनन चतुर्वेदी ने बच्चों के हकों के संरक्षण और उनके समग्र विकास के लिए मानवीय संवेदनाओं व गंभीरता के साथ काम करने का आह्वान किया है और कहा है कि यह काम सभी संस्थाओं, विभागों, अभिभावकों और आम जन की सहभागिता से ही संभव है। 1

श्रीमती चतुर्वेदी ने गुरुवार को उदयपुर जिला परिषद सभाकक्ष में उदयपुर संभाग के जिलों से आये जिलाधिकारियों की संभागस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह निर्देश दिए। बैठक में संभाग के शिक्षा, श्रम, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, पुलिस, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता आदि विभागों के अधिकारियों तथा बाल कल्याण समिति के अध्यक्षों, पुलिस अधिकारियों आदि ने भाग लिया।

श्रीमती मनन चतुर्वेदी ने बरसात के मौसम में आवागमन को सुगम बनाने, मौसमी बीमारियों व संक्रमण से बचने की सभी ऎहतियाती तैयारियां पूर्ण करने, मध्यप्रदेश व गुजरात राज्यों में बच्चों के पलायन पर पूर्ण उन्मूलन आदि के लिए अभिभावकों को जागृत करने, बाल भिक्षावृत्ति पर कडाई से रोक लगाने, मांओं के भरण-पोषण को बेहतर बनाने, अगांवों में कुपोषण की स्थिति समाप्त करने पर विशेष ध्यान देने, आंगनवाड़ी केन्द्रों के उपयुक्त संचालन, काउंसलर के पद भरने व इन्हें और अधिक संवेदनशील बनाने, जेजे बोर्ड की बैठक नियमित रूप से करने आदि पर जोर दिया।

श्रीमती चतुर्वेदी ने संभाग के सभी जिलों के अधिकारियों से कहा कि अपने-अपने जिलों में कच्ची बस्तियों को चिह्नित कर इनके परिवारों, बच्चों व परिवेश का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करें व इन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़कर लाभान्वित करें। इसके लिए इन कच्ची बस्तियों को ‘फुलवारी‘ के रुप में विकसित करें। उन्होंने बताया कि जनजाति अंचलों के स्वयंसेवी संस्थाओं से भी चर्चा की जाएगी व बच्चों के विकास के बारे में सहयोग लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से 1 से 7 अक्टूबर तक चलाए जाने वाले सप्ताह में 1 दिन चाईल्ड फ्रेण्डली डे मनाया जाएगा।

श्रीमती चतुर्वेदी ने बच्चों के कल्याण के लिए संभाग स्तर पर समेकित कार्ययोजना बनाने की जरूरत बताई। इसके लिए सभी अधिकारियों से कहा कि वे अपने अनुभवों के आधार पर सुझाव दें तथा समस्याओं व चुनौतियाेंं से निपटने के लिए सकारात्मक विचार दें व इससे संबंधित नोट आयोग को 10 दिन में भेजें। इसके आधार पर कार्ययोजना बनाकर पूरे क्षेत्र में क्रियान्वयन किया जाएगा। इस बारे में पृथक से संभाग के उच्चाधिकारियों की बैठक भी होगी। उन्होंने संप्रेषण गृह के बच्चों की केस हिस्ट्री 7 दिन में आयोग को भेजने के निर्देश दिए।

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