- August 6, 2018
फसल अवशेष जलाने का मानेटरिंग –सर्वोच्च न्यायालय, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल व मुख्य सचिव
वायु को प्रदूषण मुफ्त बनाने के लिए प्रबंधन आवश्यक-डॉ. यश गर्ग
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रोहतक——- वायु को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन अति आवश्यक है। इस कार्य के लिए सरकार करोड़ों रूपया खर्च कर रही है। ऐसे में अधिकारियों को चाहिए कि वे जमीनी स्तर पर किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए प्रेरित करे।
उपरोक्त बात उपायुक्त डा. यश गर्ग ने आज लघु सचिवालय के कांफ्रेंस हाल में सरकार की नई योजना के तहत फसल प्रबंधन को लेकर बनाई गई कमेटी की बैठक को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि उपमंडल स्तर पर इस कार्य की जिम्मेदारी नोडल अधिकारी के रूप में उपमंडल अधिकारियों को दी गई है।
जिला 30 कलस्टर में विभाजित
डा. गर्ग ने कहा कि जिला को 30 कलस्टर में विभाजित किया गया है और प्रत्येक कलस्टर में एक कस्टम हायरिंग सैंटर (सीएचसी) स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। एक सीएचसी को स्थापित करने के लिए 10 लाख रूपये से लेकर 75 लाख रूपये तक का निवेश किया जाना है।
उन्होंने कहा कि एक सीएचसी की स्थापना के लिए सरकार द्वारा 80 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है। व्यक्तिगत मामलों में सब्सिडी 50 प्रतिशत है। इन सीएचसी केंद्रों में फसल अवशेष प्रबंधन में प्रयोग होने वाली 8 अलग-अलग प्रकार की मशीनों को रखा जाएगा, जो आगे किराए पर किसानों को दी जाएगी।
सीएचसी केंद्रों की फिजिकल वेरीफिकेशन —- अतिरिक्त उपायुक्त की अध्यक्षता
उन्होंने कहा कि हरेक सीएचसी के बाहर साईन बोर्ड लगाना होगा और मशीनों का किराया भी बोर्ड पर अंकित करना होगा।
सीएचसी केंद्रों की फिजिकल वैरीफिकेशन करने के लिए उपायुक्त डा. यश गर्ग ने बैठक में अतिरिक्त उपायुक्त श्री अजय कुमार की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय कमेटी का गठन करने के निर्देश भी दिए।
यह कमेटी मौके पर जाकर जांच पडताल करेगी कि सीएचसी में प्रोजेक्ट के मुताबिक सभी कृषि यंत्र उपलब्ध हैं या नहीं। इसके साथ ही कमेटी द्वारा कृषि यंत्रों के किराए के मूल्य भी निर्धारित किए जाएंगे ताकि पूरे जिले में किराए की एकरूपता बनी रहे।
सीएचसी के लिए 8 कृषि यंत्र शामिल किए गए हैं, जिनमें स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस), हैप्पी सीडर, मल्चर, चॉपर, रोटरी स्लेसर, रिवर्सीबल एमबीप्लो, जीरोटिल व रोटावेटर शामिल हैं।
सीएचसी में रखे जायेंगे फसल प्रबंधन के छह कृषि यंत्र
हर गांव में लगेंगे दो जागरूकता शिविर
बैठक में कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जीरोटिल व रोटावेटर का लक्ष्य पूरा हो चुका है।
6 कृषि यंत्रों को पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर खरीदा जा सकता है।
उपायुक्त डा. गर्ग ने बैठक में फसल अवशेष प्रबंधन बारे गांव स्तर पर जागरूकता शिविर लगाने के निर्देश देते हुए कहा कि जिला में कुल 147 गांव हैं और हरेक गांव में 2 जागरूकता शिविर आयोजित किए जाने हैं।
उन्होंने कहा कि इन्फार्र्मेशन, एजुकेशन व कम्यूनिकेशन (आईईसी) इस योजना का सबसे महत्वपूर्ण घटक है, जिसके तहत फसल अवशेष प्रबंधन का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाना है। उन्होंने निर्देश दिए कि जरूरी स्थानों की पहचान करके वहां पर होर्डिंग लगाए जाएं।
एससी व ट्रिब्यूनल मानिटरिेंग
डा. गर्ग ने कहा कि फसलों के अवशेष जलाने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल व मुख्य सचिव स्वयं मानिटरिंग कर रहे हैं। इस स्थिति में अधिकारियों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।
उन्होंने कहा कि जिन जिलों पर फसल जलाने को लेकर विशेष ध्यान रखा जा रहा है, उनमें रोहतक जिला भी शामिल है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को सर्वोच्च न्यायालय व ट्रिब्यूनल द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का अनुरकण करना होगा।
बैठक में अतिरिक्त उपायुक्त अजय कुमार, महम के एसडीएम दलबीर फौगाट, सांपला के एसडीएम तरूण पावरिया, रोहतक के एसडीएम राकेश कुमार, कृषि विभाग के एसडीओ देवेंद्र दहिया, प्रगतिशील किसान जयकरण, मार्केट कमेटी की सचिव सुनीता सैनी, सहायक कृषि अभियंता गोपीराम सांगवान, कृषि विभाग के सांख्यिकी अधिकारी विनोद हुड्डा, डीडीएम नाबार्ड विजय राणा, जीएम रोडवेज राहुल जैन, जिला शिक्षा अधिकारी सुरेश कुमार, बागवानी परामर्शदाता बिन्दू पंवार, कृषि विज्ञान केंद्र के जेएम वधवा व कृषि विभाग के जेई राजसिंह आदि उपस्थित थे।