प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से निःशुल्क गैस कनेक्शन जगमग ज्योति का घर

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से  निःशुल्क गैस कनेक्शन जगमग ज्योति का घर

कोरबा -(कमलज्योति)——ज्योति एक दिन ससुराल से अपनी मायके पहुंची। यहा सबकुछ बदला हुआ देखकर उसे कुछ विश्वास नही हो रहा था। उसकी मां जो कि हमेशा लकड़ी या कोयले में खाना पकाया करती थी,वह गैस चूल्हा से खाना बना रही थी। अपनी मां को गैस चूल्हें से खाना पकाते देख ज्योति के खुशियों का ठिकाना नही रहा। उसने अपने मां से पूछा,कैसे !

ये गैस सिलेंडर कब से खरीद लिया! गैस से खाना पकाना आ जाता है न! तब मां ने ज्योति से कहा,सिलेंडर खरीदे नही है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से उसे निःशुल्क में गैस कनेक्शन मिला है। प्रदेश के मुखिया डॉ रमन सिंह ने प्रदेश के सभी गरीब परिवारों को गैस सिलेंडर देने का निर्णय लिया है। इसी कड़ी में उसे भी गैस सिलेंडर मिला है। सचमुच अब तो इससे खाना पकाना बहुत आसान है।

पहले कोयले की सिगड़ी जलाने में कितनी परेशानी थी यह तो तुम जानती ही होगी। पहले कोयला खरीदो,लकड़ी लाओ,मिट्टी तेल जुगाड़ करो,फिर बार बार माचिस जलाओं। पूरी तरह से सिगड़ी जलने का इंतजार करो,उपर से धुआं सहन करो,तब जाकर खाना पकता था। मां की बाते सुनकर ज्योति ने कहा,सचमुच मां पहले सिगड़ी से खाना पकाना मुझे भी अच्छा नही लगता था।

भला हो सरकार का,जिसने गरीब परिवारों की चिंता कर गैस सिलेंडर देने का फैसला लिया। तभी ज्योति ने अपने मां से मजाकिया लहजे में कहा,अब तो आपके पास गैस चूल्हा है,सिगड़ी भी नही जलाना पड़ता,मै हर माह मायके आऊंगी।

कटघोरा विकासखंड के ग्राम बिरदा की श्रीमती दुर्गा श्रीवास के लिये नया साल खुशहाली और राहत लेकर आया। पिछले कई पीढ़ियों से कभी लकड़ी तो कभी कोयलें का उपयोग कर घर का चूल्हा जलाती आयी दुर्गा श्रीवास ने बताया कि उसे 3 जनवरी 2017 को गैस सिलेंडर मिला है।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में उसका नाम आने के बाद मात्र 200 रूपये ही जमा करने पड़े। उसने बताया कि पहले कोयला खरीद कर सिगड़ी जलाना पड़ता था। कोयले की एक बोरी 100 रूपये में खरीदनी पड़ती थी। महीने भर में कई बोरी कोयला लगता था। जिससे आर्थिक परेशानी उठानी पड़ती थी।

कोयला जलाने से घर में घुएं भरने के साथ प्रदूषण भी फैलता था। अब यह सभी परेशानी दूर हो गई है। इन दिनों घर पर आई दुर्गा श्रीवास की बेटी ज्योति ने बताया कि वह बचपन से ही घर में मा को चूल्हा जलाते देखते आई है। अब गैस में खाना पकाते देखकर खुशी होती है। अपने ससुराल में जब भी वह खानाा पकाने गैस चालू करती थी तब वह हमेशा सोचती थी कि काश उसके मां को कोयला नही जलाना पड़े।

ज्योति ने बताया कि कोयला या लकड़ी से चूल्हा जलाने की वजह से उसे कीचन में जाना भी अच्छा नही लगता था। अब वह मायके आती है तो गैस चालू कर खुद ही खाना पका देती है। इसमें बहुत सूहिलयत होती है।

Related post

क्या भारत एक स्वस्थ युवाओं का देश भी है?

क्या भारत एक स्वस्थ युवाओं का देश भी है?

डॉक्टर नीलम महेंद्र : वर्तमान  भारत जिसके विषय में हम गर्व से कहते हैं कि यह…
नेहरू से हमें जो सीखना चाहिए

नेहरू से हमें जो सीखना चाहिए

कल्पना पांडे————-इतने सालों बाद हमे शर्म से ये स्वीकार कर लेना चाहिए कि धार्मिक आडंबरों, पाखंड…
और सब बढ़िया…..!   अतुल मलिकराम (लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार)

और सब बढ़िया…..! अतुल मलिकराम (लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार)

अतुल मलिकराम ——– सुख और दुःख, हमारे जीवन के दो पहिये हैं, दोनों की धुरी पर…

Leave a Reply