- March 25, 2015
प्रदेश के 31 मेजर मिनरल्स को माइनर मिनरल्स में तब्दील
जयपुर -वन, पर्यावरण एवं खान राज्य मंत्री श्री राजकुमार रिणवा ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि सरकार ने छोटे उद्यमियों को राहत देते हुए सैण्डस्टोन के लिए खातेदारी भूमि आवंटन क्षेत्र को न्यूनतम 4 हैक्टेयर से कम करके 1 हैक्टेयर निर्धारित कर दिया है, इससे कम भूमि धारकों को भी स्वयं की खातेदारी भूमि में खनिज पट्टे आवंटित किये जा सकेंगे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में 31 मेजर मिनरल्स को माइनर मिनरल्स में बदल दिया गया है इससे राजस्व में वृद्घि होगी तथा रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि खनन पट्टों की समयावधि को 30 वर्ष से बढ़ाकर 50 वर्ष तथा क्वारी लाइसेंस की अवधि को 10 वर्ष से 30 वर्ष किया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश की खनिज नीति को शीघ्र अंतिम रूप दिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में कम से कम लागत में अच्छी रिफाइनरी स्थापित की जायेगी। इसके लिए कन्सलटेंट की नियुक्ति की जा चुकी है। रिफाइनरी के संबंध में अन्तरिम रिपोर्ट प्राप्त हो गई है, आगामी 30 मार्च को होने वाली उच्च स्तरीय बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वृक्षारोपण को जन आन्दोलन बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं, औषधीय, फलदार व फूलदार पौधों को ज्यादा से ज्यादा लगाने के निर्देश दिये गये हैं।
श्री रिणवा सदन में मांग संख्या 43 खनिज एवं मांग संख्या 9 वन पर हुई बहस का जवाब दे रहे थे। बहस के बाद सदन ने खनिज विभाग की 4 अरब 50 करोड़ 77 लाख 71 हजार रुपये तथा एवं वन विभाग की 8 अरब 51 करोड़ 88 लाख 95 हजार रुपये की अनुदान मांगें ध्वनिमत से पारित कर दीं। इससे पहले श्री रिणवा ने बताया की मांग संख्या 43 खनिज के संबंध 202 तथा मांग संख्या 9 वन के संबंध में 182 कटौती प्रस्ताव प्राप्त हुए है, जिनका जवाब शीघ्र ही भेज दिया जायेगा।
उन्होंने पिछले दिनों सीमेंट कम्पनियों को खान आवंटन के संबंध में बताया कि इसमें कही भी नियमों की अवहेलना नहीं हुई है, जो नियम बने हुए हैं उनकी पूरी अनुपालना सुनिश्चित की गयी है। यह आवंटन विश्व प्रसिद्घ कम्पनियों को किया गया है जो सालाना करोड़ों रुपये का टैक्स व रॉयल्टी देती हैं।
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के समय 2012 में सात सीमेंट ब्लॉक के आशय पत्र (एलओआई) दिये गये, इनमें से तीन कम्पनियां ही सीमेंट के क्षेत्र में काम करती थी, जबकि चार कागजी थीं। उन्होंने कहा कि हमनें 4 कम्पनियों को अभी एलओआई दिया है। यह अभी केन्द्र सरकार में जायेगा। हमने भारत सरकार से इस संबंध में राय मांगी है।
श्री रिणवा ने घोषणा की कि सिलिकोसिस बीमारी के रोकथाम के लिए 50 लाख रुपये के डस्ट मास्क खरीदकर खानों में काम करने वाले मजदूरों को दिये जायेंगे। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से मृत्यु पर 3 लाख रुपये एवं बीमार होने पर एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता का प्रावधान है। हमने इस बीमारी के इलाज के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को 43 करोड़ रुपये दिये हैं तथा मजदूरों के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बरतने पर 22 खानों के लाइसेंस भी निरस्त कर दिये हैं।
श्री रिणवा ने कहा कि प्रदेश में अलवर जिले के गिलोथ तथा अजमेर जिले के विजयनगर के पास सथाना को सिरेमिक जोन घोषित किया गया है। बीकानेर व ब्यावर में भी खनिज उपलब्धता के आधार पर सिरेमिक हब विकसित किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि खनिज बहुल क्षेत्रों में सड़कों की खराब हालत के कारण स्थानीय निवासियों को परेशानी होती है, इसलिए इस वर्ष डूंगरपुर, बांसवाड़ा एवं राजसमंद जिलों के खनन बाहुल्य क्षेत्रों में 6 अप्रोच रोड बनवाई जा रही हैं।
अगले वित्तीय वर्ष में भी वित्तीय संसाधनों के मद्देनजर करीब 100 किलोमीटर सड़कों का सुदृढ़ीकरण एवं नवीनीकरण कराया जायेगा। प्रदेश में खनिज विभाग के 14 भवनों का निर्माण एवं विस्तार कार्य भी हाथ में लिया गया है। विभाग में 31 सहायक खनिज अभियंताओं तथा 20 भू-वैज्ञानिकों के पदस्थापन आदेश भी कर दिये हैं। इसके साथ ही 14 भू-वैज्ञानिक, 2 रयासनज्ञ, कनिष्ठ लिपिक एवं आशुलिपिक के पदों को भरने के लिए अभ्यर्थना भिजवाई गई है।
उन्होंने बताया कि खनिज विभाग की भू-विज्ञान शाखा में कार्यरत वैज्ञानिकों ने इस वित्तीय वर्ष में 45 परियोजनाओं पर खनिज खोज कार्य किया। इससे पूरे राज्य में कई प्रकार के खनिजों के भण्डार खोजे गये। इस वर्ष बीकानेर के किनीया की बस्ती में 8.97 मीट्रिक टन लिग्नाइट के अतिरिक्त भण्डार खोजे गये। उन्होंने बताया कि जयपुर, जैसलमेर, चितौडगढ़, डूंगरपुर और नागौर जिलों में लाइम स्टोन के भण्डार प्रमाणित किये गये। जैसलमेर जिले में पीले रंग का मार्बल जोधपुर, धौलपुर, जालौर और बांसवाड़ा जिलों में ग्रेनाइट, मार्बल और सेण्डस्टोन के नये क्षेत्र खोले गये। आगामी वर्षों में 50 परियोजनाओं पर कार्य किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि राज्य में श्रीगंगानगर, बीकानेर, हनुमानगढ़ व चूरू में पोटाश के विपुल भण्डार हैं ये करीब 750 मीटर की गहराई पर हैं। राज्य हित में इस खनिज का उपयोग करने के लिए बाहरी कम्पनियों का सहयोग लेने के लिए योजना बनाई जा रही है।
श्री रिणवा ने कहा कि राज्य में प्रदेश के लिए खनिज नीति बना रहे हैं जिसका प्रारूप ऑनलाइन भी किया गया है तथा इस संबंध में 300 सुझाव भी प्राप्त हुए हैं। जल्द ही इस नीति को अंतिम रूप दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि विभागीय गतिविधियों को ऑनलाइन किया जा रहा है ताकि जनता के हित में और अधिक पारदर्शिता के साथ काम किया जा सके।
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