• March 20, 2015

पुरातन परंपराओं से मनाएं नव वर्ष — कल्पना डिण्डोर

पुरातन परंपराओं से मनाएं नव वर्ष — कल्पना डिण्डोर

बांसवाड़ा ((जि०सू०ज०अ०)    भारतीय संस्कृति और परंपराओं का हर पर्व-उत्सव उल्लास और आनंद से सराबोर कर देने वाला है। यह पुरातन संस्कृति का वह आदर्श स्वरूप है जहां हर दिन किसी न किसी उत्सवी रंगों के संदेश के साथ उगता है और लोक जीवन से लेकर परिवेश तक को आह्लादित कर देता है।

       नए सफर का आगाज

       भारतीय परंपरा में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रम संवत्सर वर्ष का पहला दिन है जिससे वर्ष का आगाज होता है और इसी दिन से शुरू होती हैं उत्सव, पर्व और त्योहारों की सुनहरी श्रृंखलाएँ।  यह उद्घाटक दिवस अपने आप में ढेर सारी खुशियां लेकर आता है, नए संकल्पों का विश्वास दिलाता है और मन में इतनी सारी उमंग का ज्वार उमड़ा देता है कि हर कोई मौज-मस्ती के सागर में गोते लगाने लगता है।

       हर तरफ पसरता है उल्लास

       यह वह समय होता है जब समष्टि और व्यष्टि दोनों में ही नवचेतना का संचार होता दिखाई देता है और उल्लास का तारतम्य ऎसा कि वह हर किसी के चेहरों से लेकर आस-पड़ोस और दूर-दूर तक परम आनंद के लहरों का सुकून देता है।

       भक्ति और शक्ति का संगम

       नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी हिन्दू नववर्ष का पहला दिन। इस दिन से वासंती नवरात्रि का प्रारंभ भी होता है। वहीं माता की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि शक्ति उपासना का पर्व भी है। इसी नव वर्ष का आरंभ चेटीचंड के नाम से भी शुरू होता है इस दिन भगवान झुलेलाल का जन्मोत्सव होता है जो कि सिंधी समुदाय का विशिष्ट पर्व  इस बार विक्रम संवत् 2072 शनिवार से प्रारंभ हो रहा है। चैत्र नवरात्रि अपने आप में कई संदेश लिए हुए है।

       सेहत का रखवाला है नीम का रस

       इस नवरात्रि में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नीम के रस का सेवन किया जाता है। ये परम्परा काफी पुराने समय से चली आ रही है। जो लोग इन दिनों में नीम के कोमल पत्तों का सेवन करते है वे साल भर निरोगी रहते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

       फायदे ही फायदे हैं नीम के

       नीम से प्राप्त होने वाले स्वास्थ्य लाभ अनेक हैं। सरल शब्दों में कहा जाए जो नीम शरीर को शीतलता देता है,  नीम हृदय के लिए लाभदायक है। इससे पेट में जलन, गैस , बुखार, अरुचि,  कफ, त्वचा व चर्म संबंधी रोगाें से लाभ मिलता है। नीम का दातून दाँतों व मसूढ़ों के लिए फायदेमंद होता है। नीम के उपयोग से आयुर्वेद में कई बीमारियों की दवाइयां भी बनाई जाती हैं। घर में शाम के समय नीम के पत्तों का धूँआ करने पर मच्छर भाग  जाते  हैं और विभिन्न प्रकार के कीटाणुओं का खात्मा होता है।

       विज्ञान सम्मत है नीम सेवन

       चैत्र नवरात्रि से गर्मी का प्रकोप प्रारंभ हो जाता है। इस प्रकोप से बचने के लिए पुराने जमाने में ऋषि-मुनियों द्वारा चैत्र नवरात्रि के दिनों में नीम के सेवन की परम्परा बनाई गई है। इस नवरात्रि में स्वास्थ्य संबंधी नियमों की पालना की जाए तो गर्मी के पूरे मौसम में हम संक्रामक एवं मौसमी बीमारियों से बचे रहते हैं और स्वास्थ्य ठीक रहता है।

       इस तरह करें नीम का सेवन

       नीम का रस बनाने के लिए कोमल पत्तियों को पानी के साथ पीस लें और उसे सूती कपडे से छानकर स्वाद अनुसार काला नमक, काली मिर्च व हींग डालकर रस का सेवन करें। नीम के रस की तासीर ठण्डी होती है। रोज सुबह नीम का रस तैयार कर चैत्र नवरात्रि के आठों दिन इसका सेवन करें। नीम का रस बनाने के लिए एक दिन पहले से तोड़कर लायी गई पत्तियों की बजाय सवेरे ताजी व कोमल पत्तियां तोड़कर एक घण्टे के भीतर बना रसपान करना ज्यादा अच्छा होता है। नीम का रस बेहतर एंटीसेप्टीक का काम करता है।  इसके अलावा नीम की  5-5 कोमल पत्तियों का भी इन दिनों में सेवन कर सकते हैं।

       चैत्र नवरात्रि के दिनों में किया गया नीम रस सेवन साल बीमारियों से बचाता भी है और दवाइयों का खर्च बचाता भी है। इसलिए सभी को चाहिए कि चैत्र नवरात्रि के दिनों में नीम के रस का पान करें और सेहत सँवारें।

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